Friday 23 June 2017

ममता सिंह निठारवाल राजस्थान प्रांत की बनी दलितों की मसीहा

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //आज मे आपको बताने जा रहा हूँ राजस्थान प्रांत के शिक्षा नगरी से महसूर सीकर की आजाद भारत की आजाद सोच रखने वाले ममता सिंह निठारवाल रखते है इनमें जोश सक्रियता आदि गुण पाये जाते है और दलितों की मसीहा बन चुकी ममता सिंह निठारवाल की आवाज़ हर दलित की जुबां पर है और दलित समुदाय के लोग बहूत इज्जत देने लग गये है ममता सिंह निठारवाल को 
 
ममता सिंह निठारवाल 

आजादी से पहले महिलाओ की स्थ्तिती बहूत ही दयनीय थी उस समय महिलाओ को शिक्षा का अधिकार नही था और ना ही महिलाओं को घर से बाहर जाने की अनुमति थी लेकिन एक ऐसा भी युग आ गया है जहाँ महिलाओ को पूरा स्वतंत्र अधिकार मिल गया है आज आपको उसी महिलाओं की दासतांन मे आपको बताऊँगा की की सीकर जिले की महिलाएँ भी किसी से कम नही नही आइये  जानते है ममता सिंह निठारवाल जो की वर्तमान समय मे महिला युवा मोर्चा की सदस्य और जिला परिषद की सदस्य भी है ममता निठारवाल गरीबो की रक्षक और दलितों की आवाज़ है दलितों को साथ मे लेकर चलना और हर समुदाय एक परिवार है इसको ज्यादा महत्व देती है ममता सिंह निठारवाल कई आंदोलनों मे भाग ले चुकी है ममता सिंह का कहना है समाजसेवा वैयक्तिक आधार पर, समूह अथवा समुदाय में व्यक्तियों की सहायता करने की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं कर सके। इसके माध्यम से सेवार्थी वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में उत्पन्न अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाने में सक्षम होता है। समाजसेवा अन्य सभी व्यवसायों से सर्वथा भिन्न होती है, क्योंकि समाज सेवा उन सभी सामाजिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक कारकों का निरूपण कर उसके परिप्रेक्ष्य में क्रियान्वित होती है, जो व्यक्ति एवं उसके पर्यावरण-परिवार, समुदाय तथा समाज को प्रभावित करते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता पर्यावरण की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक शक्तियों के बाद व्यक्तिगत जैविकीय, भावात्मक तथा मनोवैज्ञानिक तत्वों को गतिशील अंत:क्रिया को दृष्टिगत कर ही सेवार्थी की सेवा प्रदान करता है। वह सेवार्थी के जीवन के प्रत्येक पहलू तथा उसके पर्यावरण में क्रियाशील, प्रत्येक सामाजिक स्थिति से अवगत रहता है क्योंकि सेवा प्रदान करने की योजना बताते समय वह इनकी उपेक्षा नहीं कर सकता।

समाज-कार्य का अधिकांश ज्ञान समाजशास्त्रीय सिद्धांतों से लिया गया है, लेकिन समाजशास्त्र जहाँ मानव-समाज और मानव-संबंधों के सैद्धांतिक पक्ष का अध्ययन करता है, वहीं समाज-कार्य इन संबंधों में आने वाले अंतरों एवं सामाजिक परिवर्तन के कारणों की खोज क्षेत्रीय स्तर पर करने के साथ-साथ व्यक्ति के मनोसामाजिक पक्ष का भी अध्ययन करता है। इसी कारण समाज मे समाज-कार्य करने वाले कर्त्ता का आचरण विद्वान की तरह न होकर समस्याओं में हस्तक्षेप के ज़रिये व्यक्तियों, परिवारों, छोटे समूहों या समुदायों के साथ संबंध स्थापित करने की तरफ़ उन्मुख होता है। इसके लिए समाज-कार्य का अनुशासन पूर्ण रूप से प्रशिक्षित और पेशेवर कार्यकर्ताओं पर भरोसा करता है ममता सिंह निठारवाल एक कुशल राजनीतिज्ञ है यह बालिकाओं की शिक्षा पर भी प्रबल ध्यान देती है बालिकाओं को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती है इस कारण मे नवरत्न मन्डुसिया (मेघवाल) ममता सिंह निठारवाल को धन्यवाद देना चाहता हूँ की आप जेसे युवा सोच रखने वाले आजाद भारत की नींव को मजबूत करने मे सफल होंगे ममता सिंह निठारवाल का कहना है की समाज सेवा और राजनीति ये दो ऐसी चीज़े है जो अक्सर साथ साथ रहते है समाज सेवा समाजसेवक और राजनीति के साथ साथ आगे बढ़ने मे प्रेरित करते है समाज सेवा और राजनीति में धर्म की मुख्य भूमिका होती है। प्रत्येक राजनेता को धार्मिक संस्कारों को मुख्य मानते हुए कर्म करना चाहिए। तभी वह समाज, परिवार व देश में ख्याति प्राप्त कर उन्नति की ओर अग्रसर होता है।जिसके कारण हम एक दूसरे समुदाय मे प्रेम की भाँति रह सके  विपरीत परिस्थितियों का सामना सकारात्मक सोच के साथ करते हुए वे आगे बढ़ते की सोच रखनी चाहिये राजनीति के माध्यम से देश सेवा का मौका मिल जाता जिसके कारण उनके साथ साथ समाज सेवा भी हो जाती है 
कुछ ही वर्षों में राजनीति में अपना स्थान बनाकर वे आगे की रणनीति बनायेंगे । जनहित से जुडे़ छोटे से छोटे मामले को उठाकर उन्होंने जनता के बीच अपनी पहचान बनायी। समाज-सेवा या दूसरों के उपकार के लिये यह कोई आवश्यक बात नहीं कि मनुष्य धन द्वारा ही दूसरों की सहायता करे। धन तो बाहरी साधन है और उसका उपयोग समयानुसार बदला करता है। ऐसे भी अवसर आते हैं जब कि करोड़ों रुपया पास में रखा रहने पर भी मनुष्य एक रोटी अथवा एक गिलास पानी के लिये तरसता रह जाता है। इसलिए सच्ची सेवा और सहायता के उपकरण तो तन और मन ही को मानना चाहिये। ये ही वास्तव में हमारी सम्पत्ति हैं और इनके द्वारा सेवा करने से किसी को कोई कभी नहीं रोक सकता। इसके लिये अगर आवश्यक है तो यही कि हमारे हृदय में दूसरों की सहायता-सेवा करने की सच्ची भावना हो। आज तक जितने बड़े-बड़े महापुरुष हुये हैं जिनका नाम इतिहास में लिखा गया है और अब भी समय समय पर हम गौरव के साथ जिनका स्मरण करते रहते हैं, जिनकी जयन्तियाँ मनाते रहते हैं, इनमें शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने धन द्वारा प्रतिष्ठा अथवा श्रद्धा प्राप्त की हो। महापुरुषों का आम लक्षण यही है कि वे दूसरों के उपकारार्थ के लिए अपने तन मन और प्राणों तक को उत्सर्ग कर देते हैं। अनेक महान पुरुष तो ऐसे भी हो गये हैं जो जनता के सामने भी बहुत कम आये, पर जिन्होंने गुप्त रूप से ही समाज और देश की सेवा में निस्वार्थ भाव से प्राण अर्पण कर दिये। क्या ऐसे महान त्यागियों की सेवा और महानता को हम कभी भुला सकते हैं तथा ममता सिंह निठारवाल बाबा साहेब के आदर्श को मानती है तथा उनके विचारो पर चलने का आहान करती है तथा बाल विवाह दहेज प्रथा पर्दा प्रथा भूर्ण हत्या आदि का विरोध करती है :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से  

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...