Sunday 14 October 2018

डॉ सुनील कुमार बोकोलिया एक ऐसी शख्सियत हैं जो सरकारी अधिकारी होते हुए भी समाज सेवा के कार्यों में सदेव संलग्न रहते हैं :- डॉ.विदुषी शर्मा


मण्डुसिया न्यूज़ पोर्टल ¦¦¦ किसी भी व्यक्ति के "शख्स से शख्शियत" बनने की यात्रा है कोई भी  अवॉर्ड , पुरस्कार या  सम्मान, और जब उसे कोई विशिष्ट पद या सम्मान ,देश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा किसी विशिष्ट कार्यक्रम में प्रदान किया जाता है तो इस सम्मान में चार चांद लग जाते हैं।  यह उन्हीं व्यक्तियों को मिलता है जो साधारण से असाधारण बनने की शक्ति, जज्बा, जुनून,  प्रतिभा और हौसला रखते हैं। डॉ सुनील कुमार बोकोलिया एक ऐसी शख्सियत हैं जो सरकारी अधिकारी होते हुए भी समाज सेवा के कार्यों में सदेव संलग्न रहते हैं । ये देश की प्रख्यात समाज सेविका एवं वर्तमान में पुदुचेरी की उप राज्यपाल डॉ किरण बेदी जी के साथ तथा कई अन्य गणमान्य अधिकारियों के साथ लंबे समय तक समाज सेवा के कार्यों में सलंग्न रहे है एवं इसी के साथ इन्हें  भारत सरकार से  63 प्रशंसा पत्र प्रथम श्रेणी में प्राप्त हुए हैं। यह देश के लिए 15 अगस्त और 26 जनवरी की परेड में माननीय प्रधानमंत्री जी के लिए सुरक्षा अरेंजमेंट में भी तैनात हुए हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ सुनील कुमार जी एक न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्राम, माइंड पावर एक्यूप्रेशर थेरेपी, रेकी, ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विशेषज्ञ और ऐसी अनेक 84 प्रोग्राम ट्रेनिंग भी ली हुई है। संक्षेप में यदि इनके बारे में यह भी कहा जाए कि ये  क्या नहीं  करते हैं, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इन्हें 67  राष्ट्रीय में 54 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं जिसमें देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार भी शामिल है ।यह समाज सेवा के लिए बच्चों की कई बीमारियों के इलाज भी करते हैं तथा हर महीने में 1 दिन गरीब महिलाओं के लिए निशुल्क कपड़े तथा सिलाई के कैंप भी लगाते हैं । इन्होंने हाल में दिल्ली में  जब ढाई सौ झुग्गियां जलकर राख हो गई थी तो वहां इन की टीम ने कई दिनों तक वहां  खाना खिलाया और कपड़े तथा राशन भी बांटा । ये हम सबके लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं जो देश की रक्षा का कार्यभार संभालते हुए समाज सेवा का कार्य भी कर रहे हैं। ऐसे समाजसेवी, देश प्रेमी, देश भक्ति का जज्बा लिए हुए  वीर सिपाहियों को हम सादर नमन करते हैं। यह हमारे देश की शान हैं एवं इन्हीं के साथ हम सुरक्षित एवं संरक्षित हैं। डॉ सुनील बाकोलिया जी की शख्शियत  एवं इनकी उपलब्धियों को कुछ शब्दों में समेट पाना सरल नहीं है। आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं डॉ सुनील जी को"मंथन ब्रेवरी अवार्ड" प्रदान करते हुए हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। हम इनके उज्जवल एवम मंगल भविष्य की कामना करते हैं। :- डॉ विदुषी  शर्मा की कलम से..












Sunday 5 August 2018

अपने तो अपने होते है यही फ़्रेंडशिप डे है :- नवरत्न मंडुसिया

नवरत्न मंडुसिया की कलम से :-अपनो के अलावा कोई नही होता यही दोस्ती है अपने पर प्यार और विश्वास रखे वही सच्ची दोस्ती है हमेशा हर दुःख और सुख में केवल अपने ही काम आते है इसलिए सबसे पहले अपने ही दोस्त होते है ये प्यार व्यार में में विश्वास नही करता में जान जानू में विश्वास नही करता में लवर में विश्वास नही करता दोस्त होता ह तो वही होता हो जो हर दुःख सुख को समझ सके इसलिए अपनो से जुड़ाव रखे अपनो से प्यार करे वही सच्ची मित्रता है ये फ्रेंडशिप डे तभी काम आएगा जब हम एक दूसरे में विश्वास रखेंगे मेरी ये लाइने  पसन्द आये तो मुझे कमेंट में आपके लब्ज लिखे लेखक नवरत्न मंडुसिया

Wednesday 25 July 2018

सूचना का अधिकार 2005 का उपयोग करे

*_RTI_ लगाने का तरीका* नवरत्न मंडुसिया की रिपोर्ट

👉🏿RTI मलतब है सूचना का अधिकार - ये कानून हमारे देश में 2005 में लागू हुआ।जिसका उपयोग करके आप सरकार और
किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है। आमतौर पर लोगो को इतना ही पता होता है।परंतु आज मैं आप को इस के बारे में कुछ और रोचक जानकारी देता हूँ -

👉🏿RTI से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछकर सूचना ले सकते है।
👉🏿RTI से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़ की जांच कर सकते है।
👉🏿RTI  से आप दस्तावेज़ की प्रमाणित कापी ले सकते है।
👉🏿RTI से आप सरकारी कामकाज में इस्तेमाल सामग्री का नमूना ले सकते है।
👉🏿RTI से आप किसी भी कामकाज का निरीक्षण कर सकते हैं।
👉🏿RTI में कौन- कौन सी धारा हमारे काम की है।

👉🏿धारा 6 (1) - RTI का आवेदन लिखने का धारा है।
👉🏿धारा 6 (3) - अगर आपका आवेदन गलत विभाग में चला गया है। तो वह विभाग
इस को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5 दिन के अंदर भेज देगा।
👉🏿धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नही देना होता।
👉🏿धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है
तो सूचना निशुल्क में दी जाएगी।
👉🏿धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब नही देता तो उसकी शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए।
👉🏿धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना RTI में नहीं दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो।
👉🏿धारा 19 (1) - अगर आप
की RTI का जवाब 30 दिन में नहीं आता है।तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते हो।
👉🏿धारा 19 (3) - अगर आपकी प्रथम अपील का भी जवाब नही आता है तो आप इस धारा की मदद से 90 दिन के अंदर दूसरी
अपील अधिकारी को अपील कर सकते हो।

👉🏿RTIकैसे लिखे?

इसके लिए आप एक सादा पेपर लें और उसमे 1 इंच की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए गए प्रारूप में अपने RTI लिख लें
...................................

सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और 6(3) के अंतर्गत आवेदन।

सेवा में,

अधिकारी का पद / जनसूचना अधिकारी
विभाग का नाम.............

विषय - RTI Act 2005 के अंतर्गत .................. से संबधित सूचनाऐं।

अपने सवाल यहाँ लिखें।

1-..............................
2-...............................
3-..............................
4-..............................
5-..............................
6-.............................

मैं आवेदन फीस के रूप में 10रू का पोस्टलऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /रही हूं।
या
मैं बी.पी.एल. कार्डधारी हूं। इसलिए सभी देय शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.कार्ड नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए मेरा आवेदन सम्बंधित लोकसूचना अधिकारी को पांच दिनों के
समयावधि के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।

भवदीय

नाम:....................
पता:.....................        
फोन नं:..................

हस्ताक्षर...................

ये सब लिखने के बाद अपने हस्ताक्षर कर दें।
👉🏿अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10 रु देते है और एक पेपर की कॉपी मांगने के 2 रु देते है।
👉🏿हर राज्य का RTI शुल्क अगल अलग है जिस का पता आप कर सकते हैं।
👉🏿जनजागृति के लिए जनहित में शेयर करे।
👉🏿RTI का सदउपयोग करें और भ्रष्टाचारियों की सच्चाई /पोल दुनिया के सामने लाईये

नवरत्न मंडुसिया की रिपोर्ट 


Saturday 16 June 2018

राजस्थान सरकार की शुभशक्ति योजना



 

शुभशक्ति योजना के बारे में मंडुसिया रिपोर्ट

हितलाभहिताधिकारियों की वयस्क व अविवाहिता पुत्री को तथा महिला हिताधिकारी को 55,000 रूपये प्रोत्साहन/सहायता राशि देय होगी। प्रोत्साहन राशि का उपयोग महिला हिताधिकारी/पुत्री के विवेक के अनुसार आगे शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने, स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ करने, कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त करने आदि में तथा स्वयं के विवाह हेतु उपयोग में लिया जाएगा
पात्रता एवं शर्ते.1 लड़की के पिता या माता अथवा दोनों, कम से कम एक वर्ष से मण्डल में पंजीकृत हिताधिकारी/निर्माण श्रमिक हों;
.2 अधिकतम् दो पुत्रियों अथवा महिला हिताधिकारी को और उसकी एक पुत्री को प्रोत्साहन राशि देय होगी;
.3 महिला हिताधिकारी अविवाहिता हो अथवा हिताधिकारी की पुत्री की आयु न्यूनतम् 18 वर्ष पूर्ण हो गई हो तथा वह अविवाहिता हो;
.4 हिताधिकारी की पुत्री/महिला हिताधिकारी कम से कम 8वीं कक्षा उत्तीर्ण हो;
.5 हिताधिकारी की पुत्री/महिला हिताधिकारी के नाम से बचत बैंक खाता हो;
.6 हिताधिकारी का स्वयं का आवास होने की स्थिति में, आवास में शौचालय हो;
.7 आवेदन की तिथि से पूर्व के एक वर्ष की अवधि में हिताधिकारी कम से कम 90 दिन निर्माण श्रमिक के रूप में कार्यरत रहा हो;
.8 प्रोत्साहन राशि हिताधिकारी के निर्माण श्रमिक होने के भौतिक सत्यापन की शर्त पर ही देय होगी। निर्माण श्रमिक होने का सत्यापन तहसीलदार, विकास अधिकारी, सहायक व उच्च अभियन्ता, सरकारी माध्यमिक विद्यालय का प्रधानाध्यापक अथवा अन्य राजपत्रित अधिकारी द्वारा किया जा सकेगा;
.9 प्रोत्साहन राशि का उपयोग महिला हिताधिकारी/पुत्री के विवेक के अनुसार आगे शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने, स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ करने, कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त करने आदि में तथा स्वयं के विवाह हेतु उपयोग में लिया जाएगा (स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ करने या कौशल विकास करने या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए लड़की को उचित परामर्श प्रदान किया जाएगा);
.10 योजना का हितलाभ प्राप्त करने के लिए हिताधिकारी द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन, पंजीकृत हिताधिकारी के रूप में एक वर्ष पूरा होने के पश्चात्, प्रस्तुत किया जाएगा। परन्तु यह आवश्यक होगा कि योजना का आवेदन प्रस्तुत करने के समय हिताधिकारी का परिचय-पत्र वैध/एक्टिव हो;
आवेदन की समय सीमाआवेदन पत्र हिताधिकारी द्वारा पंजीयन की तिथि से एक वर्ष की अवधि पूरी होने के पश्चात् तथा अविवाहिता पुत्री की आयु 18 वर्ष पूर्ण होने की तिथि से 6 माह की अवधि में अथवा योजना लागू होने की तिथि से 6 माह की अवधि में, जो भी लागू हो हो, अथवा लड़की की शादी होने से पूर्व प्रस्तुत किया जा सकेगा।
आवेदन के साथ लगाये जाने वाले दस्तावेज.1 हिताधिकारी की पुत्री,के बैंक खाते की पासबुक के प्रथम पृष्ठ (जिसमें हिताधिकारी का नाम, बैंक खाता संख्या व आईएफएससी कोड अंकित हो) की प्रति।
.2 हिताधिकारी की पुत्री की आयु 18 वर्ष पूरी होने के प्रमाण पत्र की प्रति।
.3 महिला हिताधिकारी अथवा हिताधिकारी की पुत्री के कक्षा 8 उत्तीर्ण करने की अंक तालिका, जो राजकीय अथवा राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय द्वारा जारी की गई हो, की प्रति।
.4 हिताधिकारी पंजीयन परिचय पत्र या कार्ड की प्रति
.5 भामशाह परिवार कार्ड या भामाषाह नामांकन की प्रति
.6 आधार कार्ड की प्रति
.7 बैंक खाता पासबुक के पहले पृष्ठ की प्रति

Friday 1 June 2018

श्रीमाधोपुर मे हुआ भीम पाठशाला का शुभारंभ

मंडुसिया न्यूज़ ! सीकर ! श्रीमाधोपुर तहसील मे भीम आर्मी सीकर के तत्वावधान मे भीम पाठशाला का शुभारंभ भीम आर्मी सीकर के जिलाध्यक्ष श्यामलाल मेघवाल ने किया मेघवाल ने बाबा साहेब संघर्ष भरे जीवन के बारे मे बच्चों को अवगत करवाया ओर जल्द ही बहुजन महापुरुषों की पुस्तकें उपलब्ध करवाने को कहा ताकि बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ बहुजन महापुरुषों का भी ज्ञान हो सके और रोज एक घण्टे की क्लाश लगेगी विनोद ढोसीवाल PTI जी ने बाबा साहब के संघषों के बारे में ओर जो बच्चे खेलने के इच्छुक है उनके लिए खेलने की व्यवस्था करवाने के लिए कहा व ज्योतिभा फुले सावित्रीबाई फुले आदि महापुरुषों के बारे मे अवगत करवाया ओर इसी क्रम में मुकेश जिलोवा जी ने  भी ये कहा समय समय पर भीम पाठशाला को सहयोग करता रहूगा। मनीष बर्रा जी ने  कहा मैं हर रविवार को एक घण्टे बच्चो की शिक्षा के लिए समय निकाल कर पढ़ाऊंगा। इस अवसर पर धर्मेन्द्र सिंह बबेरवाल प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी भीम आर्मी भारत एकता मिशन राजस्थान, भीम आर्मी श्रीमाधोपुर तहसील उपाध्यक्ष रमेश कुमार ढेणवाल, भीम आर्मी श्रीमाधोपुर तहसील मीडिया प्रभारी अनिल ढेनवाल,आशीष बर्रा उपाध्यक्ष डॉ. अम्बेडकर जन जागृति संस्थान श्रीमाधोपुर, कोषाध्यक्ष  देवराज डॉ. अम्बेडकर जन जागृति संस्थान श्रीमाधोपुर, भागचन्द ढोसीवाल, गौतम ढोसीवाल,अनिल महरड़ा,सुरेश शार्दूल, मोहित, आशिष मीणा,सुरेन्द्र बबेरवाल,संजय माहिच सभी सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता व सदस्यगण मोजुद थे।



Wednesday 30 May 2018

विश्व पर्यावरण दिवसः पर लगाएंगे पौधे :- मंगल चन्द रुण्डल

मंडुसिया न्यूज़ !जयपुर ! आओ मिलकर पेड़ लगाएं, देश को हरा भरा बनाएंआप सभी को बड़े हर्ष के साथ सूचित व आमन्त्रित किया जाता है की ग्राम रुण्डल व मानपुरा माचैड़ी के युवा साथियो के तत्वाधान में 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस बड़ी धूमधाम से दोनों गाँवो में पेड़ पौधे लगाकर मनाया जा रहा है जिसमे एक छोटा सा कार्यक्रम भी रखा जायेगा। जिसमे सभी सभी बुजुर्ग, युवा साथी, नारी शक्ति, व बच्चे  भी कार्यक्रम में पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ावे व युवा साथियों का मनोबल बढ़ावे।कार्यक्रम स्थल- राजकीय आदर्श चिकित्सालय मानपुरा- माचैड़ी के पास समय- प्रातः  07:30 बजे 05-06-2018, मंगलवार निवेदक- रुण्डल व मानपुरा माचैड़ी के समस्त युवा साथी व समस्त ग्रामवासी
रिपोर्ट :- मंगल चन्द रुण्डल

Saturday 21 April 2018

शोभा मेघवाल ने बनाया पानी से बिजली बनाने का मॉडल, जिले में रही प्रथम

नवरत्न मंडुसिया की कलम से||छोटी सी उम्र में बड़ा कार्य करना बहुत बड़ी सफलता की कहानी होती है हमे शोभा मेघवाल ओर इनके परिवार व विद्यालय परिवार पर गर्व करना चाहिए कि इन्होंने बहुत बड़ा कार्य किया वैसे आज के जमाने मे कई अभावों के कारण लोग पीछे हट जाते है लेकिन शोभा मेघवाल ने हार को मात देकर जीवन के अनमोल भाग को आगे बढ़ाया है जिंदगी में हार ओर जीत के दो पहलू होते है जिसने जिसको समझ लिया तो उसी मुकाम पर पहुच जाते है उसी प्रकार शोभा मेघवाल ने मुकाम को हासिल किया है राष्ट्रीय आजीविका अभियान के तहत 28 फरवरी 2018 को जिला मुख्यालय पर मलकेश्वर मठ में जिला स्तरीय विज्ञान मेले क आयोजन किया गया था। मेले में रानीवाड़ा क्षेत्र के उत्कृष्ट राउप्रा विद्यालय मेडक कलां की सातवीं कक्षा की छात्रा शोभा कुमारी पुत्री मालाराम मेघवाल ने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। पानी से बिजली निर्माण करने का एक मॉडल बनाकर प्रदर्शित किया था। इसी प्रकार इसी विद्यालय के कक्षा 6 के छात्र भगाराम ने क्विज प्रतियोगिता में जिला स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त कर विद्यालय को गौरवान्वित किया। जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
रानीवाड़ा. प्रदर्शनी में मॉडल प्रदर्शित करती शोभा।

Friday 20 April 2018

दुल्हन की तरह सजा थाना, पुलिस वाले बने घराती, गोद लेकर पुलिस थाने ने कराई इस बेटी की शादी

मंडुसिया रिपार्ट //निवाई दत्तवास पुलिस ने बेसहारा दलित युवती को गोद लेने के बाद उसका विवाह करवाकर एक पुण्य कार्य किया है। पुलिस का यह कार्य प्रदेश की पुलिस एवं आमजन के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। यूं तो पुलिस अनेक कारनामों को लेकर चर्चा में रहता है, लेकिन दत्तवास थाना पुलिस ने जो कार्य किया है। वह सराहनीय ही नहीं बल्कि साधूवाद की पात्र का है। गत 2 अक्टूबर 2017 गांधी जयन्ती पर पुलिस थाने में रंग-रोगन का कार्य करने के लिए 21 वर्षीय ममता पुत्री बाबूलाल महावर भी मजदूरी करने पहुंची। मजदूरी के पैसे नहीं मिलने पर तीन माह बाद वह थाने पर पहुंची तथा थाना प्रभारी दयाराम चौधरी को बताया कि उसे मजदूरी नही मिली है। इस पर चौधरी ने सरपंच से बातचीत की। उसके खाते में तीन-चार दिन बाद पैसे आ गए। उसने अपनी व्यथा थाना प्रभारी चौधरी को बताते हुए कहा कि बचपन से ही उसके सिर से पिता का साया उठ गया। 2016 में लम्बी बीमारी से उसके भाई की मौत हो गई। भाई के इलाज के दौरान उसका परिवार कर्जे में डूब गया। लोगों ने उधार देना बंद कर दिया।
इस पर दत्तवास थाना पुलिस ने ममता को गोद लेकर उसका विवाह अक्षय तृतीया पर धूमधाम से कराने का संकल्प लिया। शादी के लिए टेन्ट व गार्डन की नि:शुल्क व्यवस्था पूर्व सरपंच सावरिया सोनी ने की। करीब दो सौ बारातियों को चाय-नाश्ता देकर अगुवानी पुलिस ने थाने पर की।तोरण की व्यवस्था दुल्हन के घर पर की। विवाह में करीब 7 सौ लोगों ने भाग लेकर ममता को आशीर्वाद दिया। ममता का विवाह एवं पुलिस की इस अनूठी पहल की चर्चा दत्तवास ही नहीं पूरे जिले में फैल गई। ममता की वृद्ध मां सीमा देवी जो हर समय विवाह के लिए चिंतित व दु:खी थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था।ममता के घर पर बजी शहनाई की आवाज लोगों के दिल को छू गई। इस नजारे को देखकर पुलिस स्टाफ ही नही आम लोगों में भी इस पुण्य के महाकुम्भ में सहयोग करने के लिए होड़ सी मच गई। गांव में ऐसे लग रहा था, जैसे ममता बाबूलाल की बेटी नहीं पूरे गांव की बेटी है। उसकी मां सीमा देवी ने भी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी बेटी का विवाह इतनी धूमधाम से होगा। इसमें विधायक हीरालाल रैगर, पुलिस अधीक्षक योगेश दाधीच, पुलिस उप अधीक्षक सुनिल कुमार सहित कई अधिकारियों ने आशीर्वाद ही नहीं आर्थिक सहयोग भी किया। ममता का विवाह रामगढ़ पचवारा निवासी नरेश कुमार के साथ हुआ। बस ममता को इस बात का दु:ख है कि वह अनपढ़ है। यह विवाह पुलिस के इतिहास में मानवता के एक नया लेख बन गया।

Tuesday 17 April 2018

क्योकि दलित-शोषित वर्ग को चेतना की मुख्यधारा से जोडकर ही विकसित राष्ट्र का निर्माण सम्भव हैं :- बल्लूराम मावलिया

बल्लू राम मावलिया की कलम से मेरे सामाजिक समरसता के ब्लॉग पर अपने वोल का इमोर्टेन्ट लिंक नवरत्न मंडुसिया के ब्लॉग पर पोस्ट कर रहे है राष्ट्र का विकास - जागरूक समाज प्राचीन काल मे मानव कल्याण की सीधे-सीधे जिम्मेदारी राजाओं, शासको ,सम्राटो की होती हैं। तथा यह ज्ञात भी हैं कि तत्कालीन समय मे समाज को जागरूक बनाने मे अशोक के शिलालेखों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । वर्तमान सन्दर्भ मे लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के उद्भव से मानव का विकास चुनी हुई सरकार का नैतिक एवम् सांवैधानिक दायित्व बन जाता हैं। ऐसे मे यदि सरकार अपने नैतिक दायित्वों का उचित निर्वहन न करे तो राष्ट्र का स्वर्णिम विकास  कैसे संभव हैं। विकसित देश का एक उत्तरदायी कारण सभ्य एवम् जागरूक समाज भी हैं। सरकार ने ऐसी कई योजनाए , जो कि विशिष्ट रूप से शोषित एवं पिछड़े वर्गों को ध्यान मे रखकर बनाई गई ,लेकिन उनका पूर्णत: लाभ उन वर्गों को न मिल सका इसका कारण भी लोगो का जागरूक  न होना ही हैं। संविधान मे कहा गया कि मूल अधिकारों के हनन होने पर प्रत्येक व्यक्ति उच्चतम न्यायालय जा सकता हैं।लेकिन जब पता ही नही होगा कि मूल अधिकार क्या हैं तो उच्चतम न्यायलय जायेगा कौन?जब पता ही नही होगा कि sc/st को सरकारी नौकरियों मे विशेष छूट हैं तो आर्थिक तंगी के बावजूद अपने बच्चे को पढ़ायेगा कौन? जब पता ही नही होगा कि महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान दिए गए हैं तो अपनी बच्चियों को अपने अधिकार दिलाएगा कौन? जब पता ही नही होगा कि मतदान के द्वारा ही हम अपने प्रतिनिधियों को सरकार मे चुनते हैं मतदान करेगा कौन? (जिसका वास्तविक स्वरुप फिल्म न्यूटन मे दर्शाया हैं )इन शोषित वर्गों की अनभिञता का लाभ भ्रष्ट अधिकारी ही लेंगे/ ऐसे राष्ट्र के प्रत्येक वर्ग जैसे कलाकार , प्रशासनिक , बुद्दिजीवी , शिक्षित आदि को समाज की मुख्य धारा से पिछड़े वर्गों को जागरूक करने का प्रयास करना चाहिए। ओर मिडिया जो लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्ब हैं, को फ़िल्मी जगत की ghossip से ऊपर उठकर समाज मे व्याप्त समस्याओ से सरकार को अवगत कराना चाहिए ताकि सरकार इस सन्दर्भ मे उचित निर्णय ले। इसके निदान के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण मुझे हाल ही के अखबारों मे मिला जिसमे एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी मे आये लोगो को संविधान की पुस्तक उपहार स्वरुप भेट  की और बताया की भारतीय संविधान की विधायिका ,कार्यपालिका न्यायपालिका  एवम् प्रत्येक संवैधानिक निकायों के बारे मे जान ने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का हैं। सरकार द्वारा ऐसे जागरूक अभियान चलाने चाहिए जिनमे प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों से अवगत हो न केवल केवल सरकार बल्कि हम जैसे लोगो को भी समाज  मे व्याप्त बुराइयों को दूर कर समाज की मुख्य धारा से हटे लोगो को मुख्यधारा मे लाने का प्रयास करना होगा।
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*

Thursday 5 April 2018

सामाजिक समरसता की शुरुवात सबसे पहले अपने घर से करनी चाहिये :- नवरत्न मंडुसिया


“सामाजिक समरसता” विषय पर  में नवरत्न मंडुसिया आपको सामाजिक समरसता पर मेरे इंटरनेशनल ब्लॉग  पर देश के विकास के लिए सामाजिक एकता की आवश्यकता होती है और समाज में एकता की पूर्व शर्त है सामाजिक समता. जब समता आएगी तो सामाजिक एकता अपने आप आएगी. इसके लिए हमें प्रयत्न करना होगा.मेरे हिसाब से यदि देश मे आगे बढ़ना है तो हमे देश मे शांति बनाए रखना चाहिए और भाईचारे की भांति रहना चाहिए वर्तमान समय मे आपसी फूट का माहौल बन रहा है लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए पता नही क्या क्या कर रहे है और आपसी फूट के कारण भारत देश मे मतभेद का माहौल बन रहा है दोस्तो दुनिया मे सबसे बड़ी शक्ति केवल है तो वो है भाईचारा  इसलिए हमें आपसी भाईचारा बनाये रखना चाहिए 2 अप्रेल को भारत देश लगभग जगह शांतिपूर्ण रहा है लेकिन कई जगह असामाजिक तत्वों की वजहों से माहौल भी खराब हुवा था तथा कई लोगो की मौते भी हुई थी लेकिन यह सब हमारी सब लोगो की वजह से हुवा है क्यो की हम लोग एक दूसरे की भावनाऐ समझ नही रहे है  इस लिए देश मे माहौल खराब हो रहा है यदि हम सब लोग एक दूसरे से प्रेम की भांति रहेंगे तो मानो बहुत जल्द ही भारत देश अग्रसर की ओर बढ़ जायेगा समाज मे सामाजिक समरसता के लिए समाज में जागरूकता लाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए. जिसमे हमारे समाज में विविधता है. स्वभाव, क्षमता और वैचारिक स्तर पर विविधता का होना स्वाभाविक भी है. भाषा, खान-पान, देवी-देवता, पंथ-सम्प्रदाय तथा जाति व्यवस्था में भी विविधता है. पर यह विविधता कभी हमारी आत्मीयता में बाधा उत्पन्न नहीं करती. विविध प्रकार के लोगों का समूह होने के बावजूद हम सब एक हैं. उन्होंने कहा कि समान व्यवहार, समता का व्यवहार होने से यह विविधता भी समाज का अलंकार बन जाती है. यदि हम लोग आपसी प्रेम से रहेंगे तो पड़ोसी देश मे भी हड़कम्प रहेगी इस लिए हमे आपसी प्रेम भाव रखना चाहिए तभी हम लोग आगे बढ़ पायेंगे हमारे देश में सभी विविधताओं में सबसे अधिक चर्चा जातिगत व्यवस्था की होती है. जातिभेद के कारण ही सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं और ये समस्याएं विषमता को जन्म देती हैं, जिसके कारण संघर्ष होता है. इसलिए समाज से जातिभेद को दूर करना होगा. सवाल किया कि इसका उपाय क्या है? उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका एकमात्र उपाय है  समरसता के लिए जातिगत व्यवस्थाओं को सही दिशा में काम करना चाहिए. जब तक सामाजिक भेदभाव है, तब तक देश में आरक्षण जारी रहना चाहिए  समरसता की शुरुआत स्वयं से करनी होगी. “हजार भाषणों से ज्यादा असर एक कार्यकर्ता के व्यवहार का होता है.” इसलिए हमारा मन निर्मल हो, हमारा वचन दंशमुक्त हो, हमारे वचन से किसी को पीड़ा न हो. हम सबका व्यवहार सभी लोगों को अपना मित्र बनाने वाला होगा, तब समाज में समता का भाव विकसित होगा.यदि हम लोग आपसी प्रेम से रहेंगे तो धीरे धीरे सब समझने लगे जाएंगे और समाज का विकास शुरू हो जायेगा नवरत्न मंडुसिया ने कहा कि अपने परिवार में ऐसा वातावरण बनाएं, जिससे सामजिक समरसता को बल मिले. हमारे देश के सभी पंथ-संप्रदायों ने, तथा समाज सुधारकों और संतों ने मनुष्यों के बीच भेदभाव का समर्थन नहीं किया है. समानता प्रत्येक पंथ की उत्पत्ति का मूल तत्व रही है, लेकिन बाद में समाज को जातियों या संप्रदायों में विभाजित कर दिया गया. भेदभाव लोगों के व्यवहार से भी पैदा होने लगा. उन्होंने भेदभाव खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया और उन परंपराओं को खारिज किया जो अनावश्यक हैं. उन्होंने कहा कि परम्परा के नाम पर इस भेदभाव को आगे और जारी रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन लोगों की भावनाओं को समझा जाना चाहिए जो हजारों वर्षों से पीड़ित रहे हैं. समाज के कई तबकों ने भेदभाव और अन्याय को लंबे समय तक सहा है. कि अब हमें भी कुछ वर्षों तक समझना और सहन करना सीखना चाहिए और अपने स्वयं के व्यवहार से वांछित बदलाव लाना चाहिए. रूढ़ी-परम्पराओं को आधुनिक वैज्ञानिक मानकों पर परखा जाना चाहिए और जो परीक्षण में विफल साबित हों, उन्हें खारिज कर दिया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से ये रूढ़ी-परम्पराएं हजारों वर्षों से नहीं परखी गईं और इनका आंख मूंदकर पालन किया जा रहा है. परंपरागत कर्मकांड तो चलते आ रहा है, किन्तु जीवन मूल्यों की अनदेखी की गई. अपने व्यवहार में जब तक ये मूल्य प्रकट नहीं होंगे, तब तक समता का दर्शन समाज में नहीं हो सकता. हमें अपने जीवन में मूल्यों को मन, मस्तिष्क और व्यवहार में आचरणीय बनाना होगा. संबोधन के दौरान नवरत्न मंडुसिया ने स्वामी विवेकानन्द, रानी लक्ष्मी बाई झरकारी बाई व  डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर, पू. बालासाहेब देवरस तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का उल्लेख किया.ओर कहा है कि हमे इनके विचारों पर चलना चाहिए तभी समाज का विकास हो सकता है आये दिन हो रही जातिवादी रैलिया भी समाज के लिए आतंकवाद से भी सबसे बड़ा खतरा है इसलिए हमें जातिवादी रैलियों में पर भी ध्यान देना चाहिए कि हमे रैली करनी है या नही समाज की खातिर जो लोग आगे बढ़ रहे ह हमे उसे आगे बढ़ने के मनोबल बढ़ाना चाहिए :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा 

Saturday 17 March 2018

हम किसी धर्म की आलोचना नही कर सकते :- नवरत्न मंडुसिया

नवरत्न मंडुसिया की कलम से ||आजतक मेने किसी धर्म की आलोचना नही की
यदि कभी किसी धर्म जाति विशेष की मेने कोई आलोचना की है तो वो साबित करे में किसी धर्म को गलत नही ठहरा सकता हु क्यो की सबसे पहले खुद में यही देखना चाहिए कि में कितना सही हु कितना गलत हु क्यो की मुझे किसी धर्म की आलोचना करने का कोई अधिकार नही है जो लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते है वो राजनीति केवल राजनीति है | इसलिए हम इन लोगो से दूर रहते हुवे केवल काम से काम रखना चाहिए और छोटे बड़ो को समान करना चाहिए  चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्यो की हम लोग यदि किसी का समान करेंगे तो वो हमारा समान करेगा और हमे किसी के बहकावे में नही आना चाहिए केवल आपसी प्रेम भाव ही रखना चाहिए ताकि हम लोग प्रेमभाव से राह सके आजकल के जमाने मे सब लोग चर्चो में आने का शोक रखते है और हर कोई नेता बनना चाहता हैबलेकिं वह यह नही सोचता की हमारी एक गलती से किसी का परिवार उजड़ सकता है इसलिए हमें खुद को कठोर तरीके से हमे आने वाली विपरीत परिस्थिति को मात देनी है और हमे आगे बढ़ना है:- नवरत्न मंडुसिया की कलम से

Friday 16 March 2018

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत आपसी प्रेम भाईचारा :- नवरत्न मंडुसिया

लोग कहते है
 भाजपा भगाओ कोंग्रेस भगाओ बसपा भगाओ सपा भगाओ
ओर देश बचाओ सब लोग एक दूसरे की टांग खीचने में लगे रहते है | देश केवल भारत देश के सैनिक ही बचा सकते है जो कि दिन रात फौजी लोग सो नही पाते  खा नही पाते है कड़कती सर्दी धूप में 24 घण्टे देश की सेवा करते है उन फौजियों को कोई पूछता तक नही क्यो देश मे अराजकता फैला रहे हो क्यो देश को बदनाम कर रहे हो क्यो देश मे अशांति फैला रहे हो मुझे तो बहुत दुख होता है ! जब भारत देश खुद ही अपने पैर पर खुलाड़ी मारता है दोस्तों में नवरत्न मंडुसिया एक बार फिर आपसे आग्रह करता हु अभी भी हमारे पास समय है सुधर जावो नही तो एक दिन वापिश आयेगा हमारे पड़ोसी मुल्क देश इस भारत देश को गुलाम बना देगा और वापिश साम्राज्य स्थापित कर लेगा और हम लोग वापिश गुलाम बन जाएंगे क्या हाथ आता हमे एक दूसरे में नफरत फैलाने में एक दूसरे को गलत नज़र से देखने मे दोस्तो ये सब हमारे लिए आतंकवाद से भी बढ़कर है इसलिए आपसी प्रेम भाव बनाये आपके ओर मेरे कहने से देश नही बचेगा यदि हम गन्दी राजनीति  को छोड़कर कर बात कहेंगे तब अच्छा लगेगा क्यो सारे दिन बकवास करते रहते हो इन चक्रों से केवल देश टूट ही सकता है जुड़ नही सकता रही बात नेताओ की तो ये नेता लोग सब चोर चोर मोसेरे भाई है सब एक है इसलिए आपसी प्रेमभाव रखे ताकि भारत देश टूटने से बच सके सारे दिन अपनी अपनी जातियों के नाम से राजनीतिक रोटियां सेक रहे है लेकिन उनको यह भी पता होना चाहिए कि इन सबसे हम सबको नुकसान है इसलिए अब एक कदम भाईचारे की ओर बढ़ाये ताकि हम सब यहां सम्मान रूप से रह सके ओर भारत देश को प्रबल बना सके कठोर बना सके ओर हम लोगो से पार्टियों के नाम लेकर क्या साबित कर सकते कोई हमे नही लूट सकता यदि हम सही रहे

Saturday 17 February 2018

पति -पत्नी के बीच ये 5 बातें होना बहुत जरूरी :- नवरत्न मंडुसिया

नवरत्न मंडुसिया !! पति-पत्नी के रिश्ते में कभी प्यार तो कभी लड़ाई झगड़ा होना स्वभाविक सी बात है।आमतौर पर हर बीवी अपने पति से यही बात बार-बार दोहराती हैं कि आपके पास मेरे लिए वक्त नही है। लाइफ इतनी बिजी हो गई है कि आप परिवार के साथ ज़िन्दगी का मज़ा ही नही ले पा रहे
 लेकिन कई बार यह दूरियां इतनी बढ़ जाती है कि रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है।अगर आप भी कुछ ऐसे ही स्थिति से गुजर रहे हैं तो इन बातों की ओर ध्यान देंः-
 1.गलतियों को करें नज़र अंदाज
 आपका अपने पार्टनर पर कुछ ज्यादा ही उम्मीदें करना भी गलत होता है। इस बात को हमेशा याद रखें कि दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं होता।उनकी छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करें ताकि झगड़े की नौबत ही न आएं।
 2.जल्दबाजी में न करें फैसले 
 आपके और पार्टनर के बीच में अगर किसी बात को लेकर सहमति नहीं बनती तो इसका मतलब यह नहीं कि जल्द ही कोई फैसला ले लिया जाए। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप दोनों साथ में समय बिताएं और बैठकर समस्या का समाधान निकालें।
 3. कॉम्प्रोमाइज 
 पति-पत्नी के बीच अक्सर ऐसा होता है कि एक-दूसरें की बात को स्वीकार नहीं करते लेकिन अगर आपको लगता है कि आप हमेशा  सही होते हैं तो सबसे पहले आपको खुद को बदलने की जरूरत है। कॉम्प्रोमाइज करना बुरी बात नहीं है। 
 4. मत रखें ईगो कई बार मेल ईगो की वजह से भी रिश्तों में खटास आ जाती है। अगर पति में बहुत ज्यादा ईगो है तो पत्नी को चाहिए कि वह थोड़ा शांत रहे और परिस्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश करे। 5. एक साथ वक्त बिताएं अगर आप चाहते हैं कि आपका रिश्ता कामयाब रहे तो ये बहुत जरूरी है कि आप दोनों साथ में वक्त बिताएं। इस तरह कई समस्याएं अपने आप ही सुलझ जाती हैं। तथा सामान्य जिंदगी के बाद यानी शादी की लाइफ के बारे में नवरत्न मंडुसिया लेके आ रहे है ओरिजनल मैरिज लाइफ स्टोरी

Friday 9 February 2018

वीर तेजाजी महाराज का जीवन परिचय

नवरत्न मंडुसिया की ओर से जय तेजाजी री
तेजाजी राजस्थानमध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे।
तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं।
लोक देवता तेजाजी का जन्म तेजाजी का जन्म एक जाट घराने में हुआ जो धोलिया वंशी थे। नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे। यह कथा है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ ही समय बाद उनके पिता और पेमल के मामा में कहासुनी हो गयी और तलवार चल गई जिसमें पेमल के मामा की मौत हो गई। इस कारण उनके विवाह की बात को उन्हें बताया नहीं गया था। एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी 'लीलण' पर सवार होकर अपनी ससुराल पनेर गए। रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई। नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भेंट उसकी सहेली लाछा गूजरी के यहाँ हुई। उसी रात लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए। लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध हो कर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गाएं छुड़ाई। इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए। वापस आने पर वचन की पालना में साँप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण जीभ पर साँप से कटवाया। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 हो गई तथा पेमल ने भी उनके साथ जान दे दी। उस साँप ने उनकी वचनबद्धता से प्रसन्न हो कर उन्हें वरदान दिया। इसी वरदान के कारण तेजाजी भी साँपों के देवता के रूप में पूज्य हुए। गाँव गाँव में तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है। इन देवरो में साँप के काटने पर जहर चूस कर निकाला जाता है तथा तेजाजी की तांत बाँधी जाती है। तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है। तेजाजी का जन्म धौलिया गौत्र के जाट परिवार में हुआ। धैालिया शासकों की वंशावली इस प्रकार है:- 1.महारावल 2.भौमसेन 3.पीलपंजर 4.सारंगदेव 5.शक्तिपाल 6.रायपाल 7.धवलपाल 8.नयनपाल 9.घर्षणपाल 10.तक्कपाल 11.मूलसेन 12.रतनसेन 13.शुण्डल 14.कुण्डल 15.पिप्पल 16.उदयराज 17.नरपाल 18.कामराज 19.बोहितराव 20.ताहड़देव 21.तेजाजी
तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी का जन्म खड़नाल के धौल्या गौत्र के जाट कुलपति ताहड़देव के घर में चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ सत्रह सौ तीस को हुआ। तेजाजी के जन्म के बारे में मत है-
जाट वीर धौलिया वंश गांव खरनाल के मांय।
आज दिन सुभस भंसे बस्ती फूलां छाय।।
शुभ दिन चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ पहचान।
सहस्र एक सौ तीस में प्रकटे अवतारी ज्ञान।।

Thursday 8 February 2018

जातिवादी रैलियों से समाज को खतरा :- नवरत्न मंडुसिया


आये दिन हो रही जातीवादी रैलियों का विरोध करता हु दोस्तों आजाद भारत मे आजादी से रहना है दुनिया का सबसे बड़ा प्रेम भाव और आपसी एकता होगी यदि आये दिन हम जातिवादी रैलिया करेंगे तो आने वाले दिनों में हर तरफ नफरत पैदा हो जायेगी और आपसी मतभेदों में फूट पड़ जायेगी। और इसका फायदा केवल पड़ोसी मुल्को को होगी दुनिया मे रहना है तो केवल भाईचारे से ही रहना होगा नही तो हमारे समाज मे इतनी नफरत फेल जाएगी कि कोई भी समाज एक दूसरे समाज पर विश्वास नही करेगा यदि हम लोग ये जातिवादी रैलियों निकाल कर हम आने वाली पीढ़ियों को भी जुर्म के रास्ते पर ला रहे है क्यो की हम अपराध करेंगे तो आनी वाली पीढ़ी भी अपराध करेगी इसलिए अभी भी हर समाज के पास मौका है कि जातिवादी रैलियों को समाप्त कर भाईचारे की ओर बढ़े और समाज का कल्याण कर सके में नवरत्न मंडुसिया जातिवादी रैलियों की घोर निंदा करता हु विरोध करता हु क्यो की मेरे हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है तो वो है केवल भाईचारा इसलिए हमें जातिवादी रैलियों को समाप्त करके आपसी प्रेमभाव को आगे लाये ताकि समाज टूटने की बजाय समाज आगे बढ़ सके में हर समाज के युवाओ को कहना चाहता हु हमे सयम रखते हुवे आपसी प्रेम भाव से रहे हो जातिवादी रैलियों को बहिष्कृत करे  मेरा मानना है मेरा  सोचना है कि ऐसी रैलियों में दूसरी जातियों के खिलाफ नफरत फैलायी जाती है। जिससे समाज में टूटन पैदा होती है। नवरत्न मंडुसिया का मानना है कि  हमे केवल भाईचारे की भांति ही रहना चाहिए और इस हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आदि का नाम भूलकर केवल भाईचारे में ही विश्वास रखना चाहिये ! इसमे कोई दो राय नहीं कि जाति के बिना भारतीय राजनीति और समाज दोनों की ही कल्पना नहीं की जा सकती। चुनावों में जातियों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन होता है। चुनाव जीतने के लिये जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर रणनीति बनायी जाती है। एक जाति का वोट लेने के लेने के दूसरी जातियों के खिलाफ नफरत का बीज बोया जाता है। राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर जाति विशेष के नेताओं को आगे बढ़ाया जाता है। इसलिये मेरा  फैसला क्रांतिकारी लग सकता है। खासतौर से आज के परिपेक्ष्य में जब कि भारत में एक नया शहरी मध्यवर्ग खड़ा हो रहा है और देश में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जोर पकड़ रही है। पर लोग ये भूल जाते हैं कि जाति इस देश की सचाई है। इस जातिवाद की वजह से ही कभी बराबरी नहीं रही। भारत आदिकाल से 'गैरबराबरी समाज' रहा है। जहां किसी भी शख्स की समाज में हैसियत उसकी जाति से ही आंकी और तय की जाती रही है।  बावजूद उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। उनको व्याहारिक जीवन में हेय दृष्टि से ही देखा जाता है। हालांकि अब इसमें कमी आ रही है लेकिन संवैधानिक बराबरी आज भी अधूरी है। शुरुआत में तो पिछड़ी जातियों को सत्ता में भागीदारी के नाम पर उनका सिर्फ शोषण किया गया। उनको सजावट की वस्तु बना दिया गया। आजादी के पहले और बाद में दलितों के लिये बाबा साहेब आंबेडकर ने लड़ाई लड़ी। आंबेडकर ने रिपब्लिकन पार्टी बनायी। पर दलित चेतना में निर्णायक उभार नहीं पैदा कर पाये और हारकर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा। मेरा मानना साफ है कि सामाजिक स्तर पर जातिवाद भले ही किसी अभिशाप से कम न हो लेकिन 'राजनीतिक-जातिवाद' ने समाज में बराबरी लाने का ऐतिहासिक काम किया है। बिना उसके पिछड़ी जातियों को न तो सत्ता में भागीदारी मिलती और न ही सत्ता में आने की वजह से मिलता सामाजिक सम्मान। इसलिये अदालत का फैसला अपनी जगह, सामाजिक सचाई अपनी जगह। इसलिये हमे हमे जातिवादी रैलियों को बहिष्कृत करके एक सभ्य समाज मे नई क्रांति लाना है
                                                                                                         नवरत्न मंडुसिया (लेखक )

Tuesday 23 January 2018

क्योकि सोचना जरूरी है कि हम जा कंहा रहे है:- बल्लू राम मावलिया अभयपुरा

युवा कवि युवा लेखक समाज सेवी जाट समाज के लाडले बल्लू राम मावलिया अभयपुरा की कलम से
मंडुसिया न्यूज़ ब्लॉग ज्ञान कि परिभाषा बदल गई है, लोगों कि सोचने और समझने कि क्षमता मे काफी गिरावट हो रही हैं ।हम सफल हो रहे हैं, अपने विचार और आदर्श को खो कर, अपने आप को बेचकर खूब उन्नति कर रहे हैं । कुछ खो रहे हैं,  महसूस भी हो रहा हैं, मगर इतना वक्त नही है थोड़ा ठहर कर सोचने का। एक अंधी दौर जीवन मे चल रहा है, जिसका मकसद और मंजिल कुछ नही हैं। मंजिल है तो सिर्फ धन और दौलत । विवेकशीलता मानव के अन्दर से खो गया है। हम लोग अपना-अपना विवेक खो कर भी विवेकानन्द कि बात करते है जिन्होंने अपने विवेक से दुनिया को आनन्दित किया था।आज हम लोगों की कथनी और करनी मे इतना फर्क हो गया है कि हर बात, हर सोच, हर विकास इत्यादि को पैसे कि तराजू पर तौलते हैं, माना कि मानव का जीवन पैसे के बिना नही चल सकता है, मगर पैसा साधन हो सकता है, साध्य नही हो सकता है। जितने भी सफल व्यक्ति हैं उनके जीवन मे जितनी व्यक्तिगत घुटन और समस्या है उतनी समस्या एक साधारण व्यक्ति के जीवन मे नही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर महसूस करता हूँ कि एक आम आदमी दुनिया कि निगाहों मे जो व्यक्ति सफल है  उससे अधिक सफल होता है। विकास एक नजरिया हैं, सफलता और असफलता का कोई निश्चित पैमाना नही होता है। असली मे जो अपना परिवार चला सकता हैं, अच्छे और बुरे मे फर्क कर सकता है, अपने से जुड़े लोगों का आदर और सम्मान कर सकता है, ओर करवा सकता है। वही ज्ञानी और सफल मानव है।
Save the family and save the nature
बल्लूराम मावलिया अभयपुरा

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...