Saturday 21 April 2018

शोभा मेघवाल ने बनाया पानी से बिजली बनाने का मॉडल, जिले में रही प्रथम

नवरत्न मंडुसिया की कलम से||छोटी सी उम्र में बड़ा कार्य करना बहुत बड़ी सफलता की कहानी होती है हमे शोभा मेघवाल ओर इनके परिवार व विद्यालय परिवार पर गर्व करना चाहिए कि इन्होंने बहुत बड़ा कार्य किया वैसे आज के जमाने मे कई अभावों के कारण लोग पीछे हट जाते है लेकिन शोभा मेघवाल ने हार को मात देकर जीवन के अनमोल भाग को आगे बढ़ाया है जिंदगी में हार ओर जीत के दो पहलू होते है जिसने जिसको समझ लिया तो उसी मुकाम पर पहुच जाते है उसी प्रकार शोभा मेघवाल ने मुकाम को हासिल किया है राष्ट्रीय आजीविका अभियान के तहत 28 फरवरी 2018 को जिला मुख्यालय पर मलकेश्वर मठ में जिला स्तरीय विज्ञान मेले क आयोजन किया गया था। मेले में रानीवाड़ा क्षेत्र के उत्कृष्ट राउप्रा विद्यालय मेडक कलां की सातवीं कक्षा की छात्रा शोभा कुमारी पुत्री मालाराम मेघवाल ने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। पानी से बिजली निर्माण करने का एक मॉडल बनाकर प्रदर्शित किया था। इसी प्रकार इसी विद्यालय के कक्षा 6 के छात्र भगाराम ने क्विज प्रतियोगिता में जिला स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त कर विद्यालय को गौरवान्वित किया। जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
रानीवाड़ा. प्रदर्शनी में मॉडल प्रदर्शित करती शोभा।

Friday 20 April 2018

दुल्हन की तरह सजा थाना, पुलिस वाले बने घराती, गोद लेकर पुलिस थाने ने कराई इस बेटी की शादी

मंडुसिया रिपार्ट //निवाई दत्तवास पुलिस ने बेसहारा दलित युवती को गोद लेने के बाद उसका विवाह करवाकर एक पुण्य कार्य किया है। पुलिस का यह कार्य प्रदेश की पुलिस एवं आमजन के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। यूं तो पुलिस अनेक कारनामों को लेकर चर्चा में रहता है, लेकिन दत्तवास थाना पुलिस ने जो कार्य किया है। वह सराहनीय ही नहीं बल्कि साधूवाद की पात्र का है। गत 2 अक्टूबर 2017 गांधी जयन्ती पर पुलिस थाने में रंग-रोगन का कार्य करने के लिए 21 वर्षीय ममता पुत्री बाबूलाल महावर भी मजदूरी करने पहुंची। मजदूरी के पैसे नहीं मिलने पर तीन माह बाद वह थाने पर पहुंची तथा थाना प्रभारी दयाराम चौधरी को बताया कि उसे मजदूरी नही मिली है। इस पर चौधरी ने सरपंच से बातचीत की। उसके खाते में तीन-चार दिन बाद पैसे आ गए। उसने अपनी व्यथा थाना प्रभारी चौधरी को बताते हुए कहा कि बचपन से ही उसके सिर से पिता का साया उठ गया। 2016 में लम्बी बीमारी से उसके भाई की मौत हो गई। भाई के इलाज के दौरान उसका परिवार कर्जे में डूब गया। लोगों ने उधार देना बंद कर दिया।
इस पर दत्तवास थाना पुलिस ने ममता को गोद लेकर उसका विवाह अक्षय तृतीया पर धूमधाम से कराने का संकल्प लिया। शादी के लिए टेन्ट व गार्डन की नि:शुल्क व्यवस्था पूर्व सरपंच सावरिया सोनी ने की। करीब दो सौ बारातियों को चाय-नाश्ता देकर अगुवानी पुलिस ने थाने पर की।तोरण की व्यवस्था दुल्हन के घर पर की। विवाह में करीब 7 सौ लोगों ने भाग लेकर ममता को आशीर्वाद दिया। ममता का विवाह एवं पुलिस की इस अनूठी पहल की चर्चा दत्तवास ही नहीं पूरे जिले में फैल गई। ममता की वृद्ध मां सीमा देवी जो हर समय विवाह के लिए चिंतित व दु:खी थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था।ममता के घर पर बजी शहनाई की आवाज लोगों के दिल को छू गई। इस नजारे को देखकर पुलिस स्टाफ ही नही आम लोगों में भी इस पुण्य के महाकुम्भ में सहयोग करने के लिए होड़ सी मच गई। गांव में ऐसे लग रहा था, जैसे ममता बाबूलाल की बेटी नहीं पूरे गांव की बेटी है। उसकी मां सीमा देवी ने भी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी बेटी का विवाह इतनी धूमधाम से होगा। इसमें विधायक हीरालाल रैगर, पुलिस अधीक्षक योगेश दाधीच, पुलिस उप अधीक्षक सुनिल कुमार सहित कई अधिकारियों ने आशीर्वाद ही नहीं आर्थिक सहयोग भी किया। ममता का विवाह रामगढ़ पचवारा निवासी नरेश कुमार के साथ हुआ। बस ममता को इस बात का दु:ख है कि वह अनपढ़ है। यह विवाह पुलिस के इतिहास में मानवता के एक नया लेख बन गया।

Tuesday 17 April 2018

क्योकि दलित-शोषित वर्ग को चेतना की मुख्यधारा से जोडकर ही विकसित राष्ट्र का निर्माण सम्भव हैं :- बल्लूराम मावलिया

बल्लू राम मावलिया की कलम से मेरे सामाजिक समरसता के ब्लॉग पर अपने वोल का इमोर्टेन्ट लिंक नवरत्न मंडुसिया के ब्लॉग पर पोस्ट कर रहे है राष्ट्र का विकास - जागरूक समाज प्राचीन काल मे मानव कल्याण की सीधे-सीधे जिम्मेदारी राजाओं, शासको ,सम्राटो की होती हैं। तथा यह ज्ञात भी हैं कि तत्कालीन समय मे समाज को जागरूक बनाने मे अशोक के शिलालेखों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । वर्तमान सन्दर्भ मे लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के उद्भव से मानव का विकास चुनी हुई सरकार का नैतिक एवम् सांवैधानिक दायित्व बन जाता हैं। ऐसे मे यदि सरकार अपने नैतिक दायित्वों का उचित निर्वहन न करे तो राष्ट्र का स्वर्णिम विकास  कैसे संभव हैं। विकसित देश का एक उत्तरदायी कारण सभ्य एवम् जागरूक समाज भी हैं। सरकार ने ऐसी कई योजनाए , जो कि विशिष्ट रूप से शोषित एवं पिछड़े वर्गों को ध्यान मे रखकर बनाई गई ,लेकिन उनका पूर्णत: लाभ उन वर्गों को न मिल सका इसका कारण भी लोगो का जागरूक  न होना ही हैं। संविधान मे कहा गया कि मूल अधिकारों के हनन होने पर प्रत्येक व्यक्ति उच्चतम न्यायालय जा सकता हैं।लेकिन जब पता ही नही होगा कि मूल अधिकार क्या हैं तो उच्चतम न्यायलय जायेगा कौन?जब पता ही नही होगा कि sc/st को सरकारी नौकरियों मे विशेष छूट हैं तो आर्थिक तंगी के बावजूद अपने बच्चे को पढ़ायेगा कौन? जब पता ही नही होगा कि महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान दिए गए हैं तो अपनी बच्चियों को अपने अधिकार दिलाएगा कौन? जब पता ही नही होगा कि मतदान के द्वारा ही हम अपने प्रतिनिधियों को सरकार मे चुनते हैं मतदान करेगा कौन? (जिसका वास्तविक स्वरुप फिल्म न्यूटन मे दर्शाया हैं )इन शोषित वर्गों की अनभिञता का लाभ भ्रष्ट अधिकारी ही लेंगे/ ऐसे राष्ट्र के प्रत्येक वर्ग जैसे कलाकार , प्रशासनिक , बुद्दिजीवी , शिक्षित आदि को समाज की मुख्य धारा से पिछड़े वर्गों को जागरूक करने का प्रयास करना चाहिए। ओर मिडिया जो लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्ब हैं, को फ़िल्मी जगत की ghossip से ऊपर उठकर समाज मे व्याप्त समस्याओ से सरकार को अवगत कराना चाहिए ताकि सरकार इस सन्दर्भ मे उचित निर्णय ले। इसके निदान के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण मुझे हाल ही के अखबारों मे मिला जिसमे एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी मे आये लोगो को संविधान की पुस्तक उपहार स्वरुप भेट  की और बताया की भारतीय संविधान की विधायिका ,कार्यपालिका न्यायपालिका  एवम् प्रत्येक संवैधानिक निकायों के बारे मे जान ने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का हैं। सरकार द्वारा ऐसे जागरूक अभियान चलाने चाहिए जिनमे प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों से अवगत हो न केवल केवल सरकार बल्कि हम जैसे लोगो को भी समाज  मे व्याप्त बुराइयों को दूर कर समाज की मुख्य धारा से हटे लोगो को मुख्यधारा मे लाने का प्रयास करना होगा।
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*

Thursday 5 April 2018

सामाजिक समरसता की शुरुवात सबसे पहले अपने घर से करनी चाहिये :- नवरत्न मंडुसिया


“सामाजिक समरसता” विषय पर  में नवरत्न मंडुसिया आपको सामाजिक समरसता पर मेरे इंटरनेशनल ब्लॉग  पर देश के विकास के लिए सामाजिक एकता की आवश्यकता होती है और समाज में एकता की पूर्व शर्त है सामाजिक समता. जब समता आएगी तो सामाजिक एकता अपने आप आएगी. इसके लिए हमें प्रयत्न करना होगा.मेरे हिसाब से यदि देश मे आगे बढ़ना है तो हमे देश मे शांति बनाए रखना चाहिए और भाईचारे की भांति रहना चाहिए वर्तमान समय मे आपसी फूट का माहौल बन रहा है लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए पता नही क्या क्या कर रहे है और आपसी फूट के कारण भारत देश मे मतभेद का माहौल बन रहा है दोस्तो दुनिया मे सबसे बड़ी शक्ति केवल है तो वो है भाईचारा  इसलिए हमें आपसी भाईचारा बनाये रखना चाहिए 2 अप्रेल को भारत देश लगभग जगह शांतिपूर्ण रहा है लेकिन कई जगह असामाजिक तत्वों की वजहों से माहौल भी खराब हुवा था तथा कई लोगो की मौते भी हुई थी लेकिन यह सब हमारी सब लोगो की वजह से हुवा है क्यो की हम लोग एक दूसरे की भावनाऐ समझ नही रहे है  इस लिए देश मे माहौल खराब हो रहा है यदि हम सब लोग एक दूसरे से प्रेम की भांति रहेंगे तो मानो बहुत जल्द ही भारत देश अग्रसर की ओर बढ़ जायेगा समाज मे सामाजिक समरसता के लिए समाज में जागरूकता लाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए. जिसमे हमारे समाज में विविधता है. स्वभाव, क्षमता और वैचारिक स्तर पर विविधता का होना स्वाभाविक भी है. भाषा, खान-पान, देवी-देवता, पंथ-सम्प्रदाय तथा जाति व्यवस्था में भी विविधता है. पर यह विविधता कभी हमारी आत्मीयता में बाधा उत्पन्न नहीं करती. विविध प्रकार के लोगों का समूह होने के बावजूद हम सब एक हैं. उन्होंने कहा कि समान व्यवहार, समता का व्यवहार होने से यह विविधता भी समाज का अलंकार बन जाती है. यदि हम लोग आपसी प्रेम से रहेंगे तो पड़ोसी देश मे भी हड़कम्प रहेगी इस लिए हमे आपसी प्रेम भाव रखना चाहिए तभी हम लोग आगे बढ़ पायेंगे हमारे देश में सभी विविधताओं में सबसे अधिक चर्चा जातिगत व्यवस्था की होती है. जातिभेद के कारण ही सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं और ये समस्याएं विषमता को जन्म देती हैं, जिसके कारण संघर्ष होता है. इसलिए समाज से जातिभेद को दूर करना होगा. सवाल किया कि इसका उपाय क्या है? उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका एकमात्र उपाय है  समरसता के लिए जातिगत व्यवस्थाओं को सही दिशा में काम करना चाहिए. जब तक सामाजिक भेदभाव है, तब तक देश में आरक्षण जारी रहना चाहिए  समरसता की शुरुआत स्वयं से करनी होगी. “हजार भाषणों से ज्यादा असर एक कार्यकर्ता के व्यवहार का होता है.” इसलिए हमारा मन निर्मल हो, हमारा वचन दंशमुक्त हो, हमारे वचन से किसी को पीड़ा न हो. हम सबका व्यवहार सभी लोगों को अपना मित्र बनाने वाला होगा, तब समाज में समता का भाव विकसित होगा.यदि हम लोग आपसी प्रेम से रहेंगे तो धीरे धीरे सब समझने लगे जाएंगे और समाज का विकास शुरू हो जायेगा नवरत्न मंडुसिया ने कहा कि अपने परिवार में ऐसा वातावरण बनाएं, जिससे सामजिक समरसता को बल मिले. हमारे देश के सभी पंथ-संप्रदायों ने, तथा समाज सुधारकों और संतों ने मनुष्यों के बीच भेदभाव का समर्थन नहीं किया है. समानता प्रत्येक पंथ की उत्पत्ति का मूल तत्व रही है, लेकिन बाद में समाज को जातियों या संप्रदायों में विभाजित कर दिया गया. भेदभाव लोगों के व्यवहार से भी पैदा होने लगा. उन्होंने भेदभाव खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया और उन परंपराओं को खारिज किया जो अनावश्यक हैं. उन्होंने कहा कि परम्परा के नाम पर इस भेदभाव को आगे और जारी रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन लोगों की भावनाओं को समझा जाना चाहिए जो हजारों वर्षों से पीड़ित रहे हैं. समाज के कई तबकों ने भेदभाव और अन्याय को लंबे समय तक सहा है. कि अब हमें भी कुछ वर्षों तक समझना और सहन करना सीखना चाहिए और अपने स्वयं के व्यवहार से वांछित बदलाव लाना चाहिए. रूढ़ी-परम्पराओं को आधुनिक वैज्ञानिक मानकों पर परखा जाना चाहिए और जो परीक्षण में विफल साबित हों, उन्हें खारिज कर दिया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से ये रूढ़ी-परम्पराएं हजारों वर्षों से नहीं परखी गईं और इनका आंख मूंदकर पालन किया जा रहा है. परंपरागत कर्मकांड तो चलते आ रहा है, किन्तु जीवन मूल्यों की अनदेखी की गई. अपने व्यवहार में जब तक ये मूल्य प्रकट नहीं होंगे, तब तक समता का दर्शन समाज में नहीं हो सकता. हमें अपने जीवन में मूल्यों को मन, मस्तिष्क और व्यवहार में आचरणीय बनाना होगा. संबोधन के दौरान नवरत्न मंडुसिया ने स्वामी विवेकानन्द, रानी लक्ष्मी बाई झरकारी बाई व  डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर, पू. बालासाहेब देवरस तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का उल्लेख किया.ओर कहा है कि हमे इनके विचारों पर चलना चाहिए तभी समाज का विकास हो सकता है आये दिन हो रही जातिवादी रैलिया भी समाज के लिए आतंकवाद से भी सबसे बड़ा खतरा है इसलिए हमें जातिवादी रैलियों में पर भी ध्यान देना चाहिए कि हमे रैली करनी है या नही समाज की खातिर जो लोग आगे बढ़ रहे ह हमे उसे आगे बढ़ने के मनोबल बढ़ाना चाहिए :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा 

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...