Tuesday 17 April 2018

क्योकि दलित-शोषित वर्ग को चेतना की मुख्यधारा से जोडकर ही विकसित राष्ट्र का निर्माण सम्भव हैं :- बल्लूराम मावलिया

बल्लू राम मावलिया की कलम से मेरे सामाजिक समरसता के ब्लॉग पर अपने वोल का इमोर्टेन्ट लिंक नवरत्न मंडुसिया के ब्लॉग पर पोस्ट कर रहे है राष्ट्र का विकास - जागरूक समाज प्राचीन काल मे मानव कल्याण की सीधे-सीधे जिम्मेदारी राजाओं, शासको ,सम्राटो की होती हैं। तथा यह ज्ञात भी हैं कि तत्कालीन समय मे समाज को जागरूक बनाने मे अशोक के शिलालेखों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । वर्तमान सन्दर्भ मे लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के उद्भव से मानव का विकास चुनी हुई सरकार का नैतिक एवम् सांवैधानिक दायित्व बन जाता हैं। ऐसे मे यदि सरकार अपने नैतिक दायित्वों का उचित निर्वहन न करे तो राष्ट्र का स्वर्णिम विकास  कैसे संभव हैं। विकसित देश का एक उत्तरदायी कारण सभ्य एवम् जागरूक समाज भी हैं। सरकार ने ऐसी कई योजनाए , जो कि विशिष्ट रूप से शोषित एवं पिछड़े वर्गों को ध्यान मे रखकर बनाई गई ,लेकिन उनका पूर्णत: लाभ उन वर्गों को न मिल सका इसका कारण भी लोगो का जागरूक  न होना ही हैं। संविधान मे कहा गया कि मूल अधिकारों के हनन होने पर प्रत्येक व्यक्ति उच्चतम न्यायालय जा सकता हैं।लेकिन जब पता ही नही होगा कि मूल अधिकार क्या हैं तो उच्चतम न्यायलय जायेगा कौन?जब पता ही नही होगा कि sc/st को सरकारी नौकरियों मे विशेष छूट हैं तो आर्थिक तंगी के बावजूद अपने बच्चे को पढ़ायेगा कौन? जब पता ही नही होगा कि महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान दिए गए हैं तो अपनी बच्चियों को अपने अधिकार दिलाएगा कौन? जब पता ही नही होगा कि मतदान के द्वारा ही हम अपने प्रतिनिधियों को सरकार मे चुनते हैं मतदान करेगा कौन? (जिसका वास्तविक स्वरुप फिल्म न्यूटन मे दर्शाया हैं )इन शोषित वर्गों की अनभिञता का लाभ भ्रष्ट अधिकारी ही लेंगे/ ऐसे राष्ट्र के प्रत्येक वर्ग जैसे कलाकार , प्रशासनिक , बुद्दिजीवी , शिक्षित आदि को समाज की मुख्य धारा से पिछड़े वर्गों को जागरूक करने का प्रयास करना चाहिए। ओर मिडिया जो लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्ब हैं, को फ़िल्मी जगत की ghossip से ऊपर उठकर समाज मे व्याप्त समस्याओ से सरकार को अवगत कराना चाहिए ताकि सरकार इस सन्दर्भ मे उचित निर्णय ले। इसके निदान के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण मुझे हाल ही के अखबारों मे मिला जिसमे एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी मे आये लोगो को संविधान की पुस्तक उपहार स्वरुप भेट  की और बताया की भारतीय संविधान की विधायिका ,कार्यपालिका न्यायपालिका  एवम् प्रत्येक संवैधानिक निकायों के बारे मे जान ने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का हैं। सरकार द्वारा ऐसे जागरूक अभियान चलाने चाहिए जिनमे प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों से अवगत हो न केवल केवल सरकार बल्कि हम जैसे लोगो को भी समाज  मे व्याप्त बुराइयों को दूर कर समाज की मुख्य धारा से हटे लोगो को मुख्यधारा मे लाने का प्रयास करना होगा।
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*

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