जानना है अगर मुझे तो आजमाकर देखिए।
हूं मैं कितना पुर-सुकून आँखों को पढ़कर देखिए।
लग रहा हूं खुश मगर, टूटा हुआ मैं ख्वाब हूं
मेरी शायरियों को जरा दर्दों में गाकर देखिए।
होता हरदम सच नहीं आँखों से दिखता जो हमें है
अब जरा सागर के अंदर आप उतर कर देखिए।
कहते हैं किसको सुकून यह बात अगर हो जानना
तो बचपने पर आप थोडा मुस्कुराकर देखिए l
फलसफा तो दर्द का हरबार मिलता जिन्दगी में
आप भी गरीब किसान के हाल जानकर देखिए......
किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नहीं होता।
निगाहें वो भी पढ लेती हैं, जो लिखा नहीं होता।।
दिल का साफ हूं दुख में भी मुस्कुराऊंगा
दुश्मनी मत लो दोस्तों मैं हर वक्त काम आऊंगा...
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*
*जिलाध्यक्ष किसान बचाओ देश बचाओ संघर्ष समिति सीकर*
हूं मैं कितना पुर-सुकून आँखों को पढ़कर देखिए।
लग रहा हूं खुश मगर, टूटा हुआ मैं ख्वाब हूं
मेरी शायरियों को जरा दर्दों में गाकर देखिए।
होता हरदम सच नहीं आँखों से दिखता जो हमें है
अब जरा सागर के अंदर आप उतर कर देखिए।
कहते हैं किसको सुकून यह बात अगर हो जानना
तो बचपने पर आप थोडा मुस्कुराकर देखिए l
फलसफा तो दर्द का हरबार मिलता जिन्दगी में
आप भी गरीब किसान के हाल जानकर देखिए......
किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नहीं होता।
निगाहें वो भी पढ लेती हैं, जो लिखा नहीं होता।।
दिल का साफ हूं दुख में भी मुस्कुराऊंगा
दुश्मनी मत लो दोस्तों मैं हर वक्त काम आऊंगा...
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*
*जिलाध्यक्ष किसान बचाओ देश बचाओ संघर्ष समिति सीकर*