Sunday 30 August 2020

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आइए रुबरु करवाते हैं एक सच्चे पुलिस वाले से नाम है - प्रेम अड़ानिया

नवरत्न मन्डुसिया की रिपोर्ट :-
नमस्कार दोस्तों आज एक कहानी बताने जा रहा हूं एक पुलिस वाले की जो की अपनी जिंदगी से ज्यादा गरिबो,पिछडो की जिन्दगी को ज्यादा तवज्जो देते है । प्रेम अड़ानिया का जन्म एक किसान परिवार में हुआ, इनके पिता कुम्भा राम जी अड़ानिया एक किसान हैं जो की अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उनको काबिल बनाना चाहते थे, जिसको प्रेम अड़ानिया ने सिद्ध कर दिखाया । आइए प्रेम अड़ानिया की जिंदगी पर फोकस डालते हैं आजाद भारत की आजाद सोच रखने वाले बरवाली गांव के तहसील मकराना जिला नागौर में जन्मे प्रेम अड़ानिया की एक मोटिवेशनल कहानी है। मकराना की परिधि में बसे गांव बरवाली से निकलने वाले इस युवा साथी को गरीबो का मसिहा की उपाधि दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ! पुलिस सेवा में भर्ती होने के कुछ ही दिनों में प्रेम नागौर जिले की जनता की आंखो के तारें बन गये ! कहते है न हीरा जहाँ भी रहता है उसकी चमक और कीमत में रत्ती फर्क नहीं आ सकता है ! सोना सोना ही रहता है और इसे 24 कैरेट साबित किया है प्रेम अडानियां ने ! हीरे और सोने की बात इसलिए कर रहे है क्यों कि पुलिस विभाग जनता की नजर में इन उपाधियों से थोड़ा अछूता है परन्तु यह आदमी इस नजर को बदल रहा है । अड़ानिया वर्तमान में राजस्थान में पुलिस अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं ,यह नोकरी कर अपना जीवन यापन करने से ज्यादा समाज सेवा को ज्यादा तवज्जो देते हैं। ओर इनके कार्य- समाज सेवा व समाज को कुरूतियो से दुुर करना व मौसर प्रथा यानी मृत्युभोज ओर दहेज प्रथा ओर बाल विवाह को पुर्ण रूप से समाज से बंद करवाना ही इनका मुख्य उदेश्य है.। और प्रेम अड़ानिया मुख्य रूप से समानता पर विश्वास करते हैं । दोस्तों प्रेम हमेशा हर समुदाय की खातिर जान जोखिम डालकर उनकी रक्षा करने मे हमेशा तत्पर रहते है । प्रेम अडानियां हमेशा समाजसेवा के साथ अपने कर्तव्यों और शैक्षणिक गतिविधियों में भी आगे रहते है । हाल ही में नागौर जिले का बेस्ट कांस्टेबल का खिताब जीतने वाला यह नौजवान एम् .ए. पास है । राज्य स्तर की सामान्य ज्ञान परीक्षा में नंबर 1 रह चुका है । पुलिस विभाग में काम करते हुए प्रेम सदा रचनात्मक कार्यों से जुड़े रहते है ! बाबा साहेब डां आंबेडकर को आदर्श मानकर समाज से अशिक्षा , भेदभाव , रूढ़िवादिता , अन्धविश्वास मिटाने को तत्पर है । इस सब खासियतों के अतिरिक्त अडानियां लेखन कार्य में भी अव्वल है ! सामाजिक उन्नति से जुड़े लेख और कवितायेँ लिखना भी इनको बहुत भाता है। प्रेम अडाणिया द्वारा अब तक 20 परिवारो को जिनके घर मे मृत्यु हो गयी जो पुरानी रूढिवादी पंरपरा को छोडने के लिये राजी नही हो रहे है जिनको समझाकर मौसर बंद करवाया गया व बाबा साहब भीमराव अबेंडकर के सिद्वांतो पर चलने के लिऐ प्रेरित किया जो उतरोतर जारी है । प्रेम अडाणिया समाज सेवा के साथ- साथ लेखन कार्य मे रूचि रखते है । प्रेम अडाणियां द्वारा अब तक 100 से ज्यादा कविताऐ लिखी जा चुकी है जो विभीन्न पत्र -पत्रिकाओ मे प्रकाष्ति होती रहती है । जिनमे दलित चेतना को लेकर काफी प्रयास किया गया। पुलिस जेसे व्यस्त विभाग मे रहते हुऐ भी समाज सेवा को अपना मुख्य ध्येय व आदर्श माना है । थाने पर आने वाले हर गरीब समुदाय के लोगो की मदद करना व उनकी सहायता करना इनका मुख्य उद्देश्य है । अत्याचारों से पिड़ित व अनपढ लोग थाने मे आने से कतराते थे जो अब बेझिझक थाने पर आकर अपनी समस्याऐ बताते है जिनका प्रेम अडानिया द्वारा उचित सहयोग किया जाता है । बाबा साहब की जयंति पर अड़ानिया द्वारा बाबा साहब के विचारो को फेलाने व हर घर बाबा साहब हो के उद्देश्य से कहीं बार बाबा साहब की तस्वीरे भी निःशुल्क वितरित की गई व उनके विचारो पर चलने के लिऐ लोगो केा प्रेरित किया गया जो उतरोतर जारी है । सम्मान की बात करे तो प्रेम अडानिया को समाज सेवा करने के लिए 2 बार उपखण्ड स्तर पर ,1 बार जिला स्तर पर, मेघवाल विकास समिति गच्छीपुरा व भीम युवा शक्ति कुचामन द्वारा बाबा साहब भीमराव अबेंडकर जयंति पर समाज सेवा व मौसर प्रथा को समाज से बंद करने का कार्य करने के लिये सम्मानित किया गया । समाज से मोसर प्रथा को बंद करने के लिए इनके द्वारा किये जा रहे प्रयासो की बदोलत इनको राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय अम्बेडकर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। आजाद भारत में आजाद सोच रखने वाले बहुत कम लोग होते हैं लेकिन विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुवे भी अडानिया नहीं घबरातें हैं । समाज में सदियों से हाशिये पर समझी गई एक गरीब कौम में जन्मे इस युवा बंधु को हमारी ओर से उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाऐं ! मुझे पूरी उम्मीद है पिता कुम्भा राम जी के घर का यह चिराग इस दबे कुचले समाज में रौशनी लाएगा ! यह चमक दूर तक जाएगी .......तय है !

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

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