Wednesday 27 March 2019

लोक सभा सीट भारत मे

राज्यक्षेत्र प्रकारराज्य/केशाप्रलोकसभा सीटेंसीटों के प्रकार
सामान्य वर्गअनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति
1राज्यउत्तर प्रदेश806317-kirman
2राज्यमहाराष्ट्र483954
3राज्यआन्ध्र प्रदेश252041
4राज्यपश्चिम बंगाल4230102
5राज्यबिहार40346-
6राज्यतमिल नाडु39327-
7राज्यमध्य प्रदेश291946
8राज्यकर्ण282152
9राज्यगुजरात262024
10राज्यराजस्थान251843
11राज्यउड़ीसा211335
12राज्यकेरल20182-
13राज्यतेलंगाना171232
14राज्यअसम141112
15राज्यझारखण्ड14815
16राज्यपंजाब1394-
17राज्यछत्तीसगढ़11614
18राज्यहरियाणा1082-
19के.शा.प्र.दिल्ली761-
20राज्यजम्मू और कश्मीर66--
21राज्यउत्तराखण्ड541-
22राज्यहिमाचल प्रदेश431-
23राज्यअरुणाचल प्रदेश22--
24राज्यगोआ22--
25राज्यत्रिपुरा21-1
26राज्यमणिपुर21-1
27राज्यमेघालय2--2
28के.शा.प्र.अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह11--
29के.शा.प्र.चण्डीगढ़11--
30के.शा.प्र.दमन और दीव11--
31के.शा.प्र.दादर और नागर हवेली1--1
32राज्यनागालैण्ड11--
33के.शा.प्र.पॉण्डिचेरी11--
34राज्यमिज़ोरम1--1
35के.शा.प्र.लक्षद्वीप1--1
36राज्यसिक्किम11--
----देशभारत5434128447



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    Friday 8 March 2019

    नवरत्न मंडुसिया की कलम से समाज मे शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक की भूमिका

    नवरत्न मंडुसिया!!में नवरत्न मंडुसिया आज एक अध्यापक एक टीचर एक शिक्षक के बारे में बताने जा रहा हु दोस्तों आज के जमाने मे शिक्षको का नाम असामाजिक तत्वों ने नाम खराब कर रखा है लेकिन उन समाज के असामाजिक तत्वों को हमे समाज से बहिष्कृत करके समाज मे अच्छे शिक्षक का निर्माण करना है दोस्तो शिक्षक का मतलब होता है अच्छी शिक्षा देना समाज का अच्छा निर्माण करना बड़ो का समान करना परिवार की एकजुटता की शिक्षा देना भारत सरकार ने भी कई कार्यक्रम चला रखी है कि शिक्षा का अधिकार सभी को मिले हमे शिक्षा का अधिकार का फायदा उठा कर हमें फायदा लेना चाहिए शिक्षक शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द टीचर का हिंदी अनुवाद जैसा प्रतीत होता है। यानि एक ऐसा इंसान जो शिक्षण का कार्य करता है। सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को सहजता और विशेषज्ञता के साथ करता है। ओर अच्छी शिक्षा दे सके भारत में शिक्षक के लिए गुरू शब्द का प्रयोग प्राचीनकाल से होता आया है, गुरू का शाब्दिक अर्थ होता है संपूर्ण यानि जो हमें जीवन की संपूर्णता को हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए हमारा पथ आलोकित करता है। 21वीं सदी में शिक्षा अनेकानेक बदलाव के दौर से गुजर रही है, पर मानवीय संपर्क और दो-तरफा संवाद की भूमिका समय के साथ और भी ज्यादा प्रासंगिक होकर हमारे सामने आ रही है। ओर गुरु वही होता है जो अच्छी शिक्षा भेंट करे गुरु कोई भी हो सकता है यानी जो अच्छी शिक्षा दे वही गुरु होता है इसलिए जीवन मे एक गुरु बनाना भी जरूरी होता है आइये में नवरत्न मंडुसिया सुरेरा आपको विस्तार से अवगत कराता हु की शिक्षक क्या होता है गुरू की रूपरेखा क्या होती है
    शिक्षक की भूमिका है महत्वपूर्ण:- वर्तमान समय गाइडलाइन जरूरी है वह छोटी से गाइडलाइन मनुष्य के जीवन को इतना उकेर देती है की वह अपने जीवन की अनमोल जिंदगी को साकार कर देती है भले ही पश्चिमी देशों में पर्सनलाइज्ड लर्निंग जैसे संप्रत्यय लोकप्रियता पा रहे हैं और आर्टिफीशियल इंटलीजेंस पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है, मगर वैज्ञानिक इस बारे में चेतावनी भी जारी कर रहे हैं कि ऐसी तकनीक इंसानों के लिए एक दिन जानलेवा साबित हो सकती है। क्यो की जितनी गुरु की वाणी सबसे इमोर्टेन्ट होती है उतनी टेक्निकल चीजे इमोर्टेन्ट नही होती है क्यो की टेक्निकल चीजो को सोचने समझने की समझ नही होती है इसलिए शिक्षा में शिक्षकों का ही इमोर्टेन्ट लिंक होता है 
    बच्चों का पहला ‘रोल मॉडल’ होता है शिक्षक :- अभी हाल ही में एक अभिभावक ने अपने छोटे बच्चों के लिए स्कूल का चुनाव करने का अनुभव सुनाते हुए कहा कि परिवार के बाहर बच्चों का पहला ‘रोल मॉडल’ शिक्षक ही होता है। एक बच्चा बहुत से लोगों को अपने शिक्षक की बात मानता हुआ, उनके इशारे पर किसी काम को करते हुए और नेतृत्व करते हुए देखता है तो भीतर ही भीतर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके शिक्षक योग्य हों और अपने काम को पूरी विशेषज्ञता, तन्मयता और प्रभावशीलता के साथ करें। वही बालक उसी शिक्षक की भांति आगे बढ़ने की होड़ में आगे बढ़ता है और आगे बढ़कर ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है इसके साथ ही बच्चे को वह स्नेह और आश्वासन दें जो उसे भविष्य के लिए जिम्मेदारी लेने वाला, अपनी ग़लती स्वीकार करने वाला और अपनी ग़लतियों के सीखकर आगे बढ़ने वाला इंसान बनाएं ताकि वह जीवन में प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ता हुआ अपनी संभावनाओं को शिखर को छू सके और एक स्वपन को साकार कर सके जिसे इंसान की सर्वश्रेष्ठ संभावनाओं को वास्तविकता में बदलना कहते हैं। यह हुनर ही एक शिक्षक को ख़ास बनाता है कि वह संभावनाओं को सच्चाई में तब्दील करने का हुनर जानता है, वह अपने छात्र-छात्राओं को बच्चों जैसा नेह देता हे और चुनौतियों से जूझने और खुद से बाहर आने का संघर्ष करने की स्वायत्तता और स्वतंत्रता भी।
    शिक्षक मात्र वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है :- यानि शिक्षक की भूमिका एक ऐसे कोच की भांति है जो ओलंपिक जैसे किसी कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले खेल के लिए अपने बच्चों को तैयार करता है। मगर यह भी जानता है कि इस खेल में हर किसी को एक ही मंज़िल पर नहीं जाना है। इनमें से बहुत से हैं जो अच्छे दर्शक बनेंगे। इनमें वे भी हैं जो लेखक बनेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो संगीत की दुनिया में अपना नाम रौशन करेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो शिक्षक बनकर बाकी बच्चों के सपनों को साकार करने की भूमिका स्वीकार करेंगे। यानि एक शिक्षक संभावनाओं के द्वार के पार जाने वाले इंसानों को निर्माण की भूमिका में सदैव समर्पण के साथ लगा रहता है, वह मात्र वेतनभोगी नहीं होता। एक शिक्षक केवल पुरस्कार और पद का आकांक्षी नहीं होता, वह सच्चे अर्थों में एक विज़नरी होता है और भविष्य की दिशा तय करने व उसके बदलाव में अपनी भूमिका को सहज ही पहचान लेता है। भले कितनी ही मुश्किलें आएं, मगर वह इस रास्ते से कभी विमुख नहीं होता है। क्योंकि उसका काम अंधेरे के खिलाफ लड़ने वाली पीढ़ी को भविष्य की अबूझ चुनौतियों के लिए तैयार करना है, जिन चुनौतियों के बारे में वह सिर्फ अनुमान भर लगा सकता है। क्योंकि वे भविष्य के गर्त में हैं, इसलिए वह अपने छात्र-छात्राओं की क्षमता पर भरोसा करता है और उन्हें अपने जीवन में संघर्ष करने और अपने सपनों को जीने व उनका उनका पीछा करने के लिए सदैव प्रोत्साहित करता रहता है :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा 

    सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

    सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...