Wednesday 16 August 2017

क्योंकि संघर्ष ही जीवन है :- बल्लू राम मावलिया अभयपुरा

MOTIVATIONAL/प्रेरणादायक


प्रिय साथियों...
जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है । इस सृष्टि में छोटे-से-छोटे प्राणी से लेकर बड़े-से-बड़े प्राणी तक, सभी किसी-न-किसी रूप में संघर्षरत हैं । जिसने संघर्ष करना छोड़ दिया, वह मृतप्राय हो गया । जीवन में संघर्ष है प्रकृति के साथ, स्वयं के साथ, परिस्थितियों के साथ । तरह-तरह के संघर्षों का सामना आए दिन हम सबको करना पड़ता है और इनसे जूझना होता है । जो इन संघर्षों का सामना करने से कतराते हैं, वे जीवन से भी हार जाते हैं, जीवन भी उनका साथ नहीं देता ।
सफलता व कामयाबी  की चाहत तो सभी करते हैं, लेकिन उस सफलता को पाने के लिए किए जाने वाले संघर्षों से कतराते हैं । मिलने वाली सफलता सबको आकर्षित भी करती है, लेकिन उस सफलता की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले संघर्ष को कोई नहीं देखता, न ही उसकी ओर आकर्षित होता है, जबकि सफलता तक पहुँचने की वास्तविक कड़ी वह संघर्ष ही है । हम जिन व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाइयों पर देखते हैं, उनका भूतकाल अगर हम देखेंगे तो हमें जानने को मिलेगा की यह सफलता जीवन के साथ बहुत संघर्ष से प्राप्त हुई है ।
वास्तव में जब व्यक्ति अपने संघर्षों से दोस्ती कर लेता है, प्रसन्नता के साथ उन्हें अपनाता है, उत्साह के साथ चलता है तो संघर्ष का सफर उसका साथ देता है और उसे कठिन-से-कठिन डगर को पार करने में मदद करता है । लेकिन यदि व्यक्ति जबरन इसे अपनाता है, बेरुखी के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ता है, तो वह भी ज्यादा दूर तक नहीं चल पाता, बड़ी कठिनाई के साथ ही वह थोड़ा-बहुत आगे बढ़ पाता है । जब जीवन में एवरेस्ट जैसी मंजिल हो और उस तक पहुँचने के लिए कठिन संघर्षों का रास्ता हो, तो घबराने से बात नहीं बनती, संघर्षों को अपनाने से ही मंजिल मिल पाती है ।
जब हम संघर्ष करते हैं, तभी हमें अपने बल व सामर्थ्य का पता चलता है । संघर्ष करने से ही आगे बढ़ने का हौसला, आत्मविश्वास मिलता है और अंततः हम अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं ।
वास्तव में हमारे जीवन में भी संघर्ष  ही वह चीज है, जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है । यही हमें निखारता है और हर पल अधिक शक्तिशाली, अनुभवी बनाता है । यदि हमें भी बिना किसी संघर्ष के ही सब कुछ मिलने लगे तो न तो हम उसकी कीमत समझेंगे और न ही हम विकसित हो पाएँगे, बल्कि अपंग ही रह जाएँगे...।

बल्लूराम मावलिया अभयपुरा की कलम से 

Thursday 10 August 2017

बल्लू राम मावलिया अभयपूरा नाँगल के लब्ज

जानना है अगर मुझे तो आजमाकर देखिए।
हूं मैं कितना पुर-सुकून आँखों को पढ़कर देखिए।

लग रहा हूं खुश मगर, टूटा हुआ मैं ख्वाब हूं
मेरी शायरियों को जरा दर्दों में गाकर देखिए।

होता हरदम सच नहीं आँखों से दिखता जो हमें है
अब जरा सागर के अंदर आप उतर कर देखिए।

कहते हैं किसको सुकून यह बात अगर हो जानना
तो बचपने पर आप थोडा मुस्कुराकर देखिए l

फलसफा तो दर्द का हरबार मिलता जिन्दगी में
आप भी गरीब किसान के हाल जानकर देखिए......

किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नहीं होता।
निगाहें वो भी पढ लेती हैं, जो लिखा नहीं होता।।

दिल का साफ हूं दुख में भी मुस्कुराऊंगा

दुश्मनी मत लो दोस्तों मैं हर वक्त काम आऊंगा...
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*
*जिलाध्यक्ष किसान बचाओ देश बचाओ संघर्ष समिति सीकर*

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...