Saturday 30 April 2022

माफ़ी मांगने से वापिस घर केसे बसा 😌😭😔

नमस्कार दोस्तों में हूँ आपका दोस्त नवरत्न मन्डुसिया दोस्तों आज में आपको एक मोटिवेशनल कहानी सुनाने जा रहा हूँ  , दोस्तों इस कहानी को पढ़कर आपकी आंखों में आंसू ना आये तो मुझे इस कहानी को लिखने का कोई औचित्य नहीं है , और में सोचूंगा की मेने ये कहानी अच्छी नहीं लिखी है , सोनिया और राजीव को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज कोर्ट फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे। चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए।सोनिया के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी राजीव के घर से लेना था और राजीव के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो सोनिया के घर से लेने थे। साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि राजीव दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त सोनिया को चुकाएगा। लेकिन राजीव एक पढ़ा लिखा बेरोजगार युवा था लेकिन कोर्ट के फ़ेसले की विपरीत कोई जा भी नहीं सकता , इसलिये जो पेसे राजीव ने अपनी पत्नी सोनिया के लिये फ्यूचर प्लान के लिये इकठ्ठें कर रखे थे  वे पेसे सोनिया को देने थे, सोनिया और राजीव  दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर राजीव के घर पहुंचे। दहेज में दिए समान की निशानदेही सोनिया को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर ! सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।राजीव , सोनिया और सोनिया की माता जी। राजीव घर मे अकेला ही रहता था।  राजीव के माता पिता की तलाक के  चक्कर में गम में दोनों की मौत हो चुकी थी , अब राजीव अकेला ही रहता है , सोनिया और राजीव का इकलौता बेटा जो अभी 8 वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह सोनिया  के पास ही रहेगा। राजीव महीने में एक बार उससे मिल सकता है।घर मे परिवेश करते ही पुरानी यादें ताज़ी हो गई। कितनी मेहनत से सजाया था इसको सोनिया ने। एक एक चीज में उसकी जान बसी थी। सब कुछ उसकी आँखों के सामने बना था। एक एक ईंट से धीरे धीरे बनते घरोंदे को पूरा होते देखा था उसने। सपनो का घर था उसका। कितनी शिद्दत से राजीव ने उसके सपने को पूरा किया था। राजीव थकाहारा सा सोफे पर पसर गया। बोला "ले लो जो कुछ भी चाहिए मैं तुझे नही रोकूंगा" सोनिया ने अब गौर से राजीव  को देखा। चार साल में कितना बदल गया है। बालों में सफेदी झांकने लगी है। शरीर पहले से आधा रह गया है। चार साल में चेहरे की रौनक गायब हो गई।वह स्टोर रूम की तरफ बढ़ी जहाँ उसके दहेज का अधिकतर  समान पड़ा था। सामान ओल्ड फैशन का था इसलिए कबाड़ की तरह स्टोर रूम में डाल दिया था। मिला भी कितना था उसको दहेज। प्रेम विवाह था दोनो का। घर वाले तो मजबूरी में साथ हुए थे। प्रेम विवाह था तभी तो नजर लग गई किसी की। क्योंकि प्रेमी जोड़ी को हर कोई टूटता हुआ देखना चाहता है। बस एक बार राजीव गुस्से में बहक गया था। हाथ उठा बैठा था उसपर। बस गुस्से में सोनिया मायके चली गई थी। फिर चला था लगाने सिखाने का दौर । इधर राजीव के अड़ोसी पड़ोसी , और उधर सोनिया की माँ और पीहर वाले , नोबत - कोर्ट तक जा पहुंची और तलाक हो गया। न सोनिया लोटी और न राजीव  लाने गया। सोनिया की माँ बोली" कहाँ है तेरा सामान? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ""चुप रहो माँ" सोनिया को न जाने क्यों राजीव को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा। फिर स्टोर रूम में पड़े सामान को एक एक कर लिस्ट में मिलाया गया। बाकी कमरों से भी लिस्ट का सामान उठा लिया गया। सोनिया ने सिर्फ अपना सामान लिया राजीव के समान को छुवा भी नही। फिर सोनिया ने राजीव  को गहनों से भरा बैग पकड़ा दिया। राजीव ने बैग वापस सोनिया को दे दिया " रखलो, मुझे नही चाहिए काम आएगें तेरे मुसीबत में ।" गहनों की किम्मत 15 लाख से कम नही थी। "क्यूँ, कोर्ट में तो तुम्हरा वकील कितनी दफा गहने-गहने चिल्ला रहा था" "कोर्ट की बात कोर्ट में खत्म हो गई, सोनिया । वहाँ तो मुझे भी दुनिया का सबसे बुरा जानवर और शराबी साबित किया गया है।"सुनकर सोनिया की माँ ने नाक चढ़ाई।"नही चाहिए। वो दस लाख भी नही चाहिए""क्यूँ?" कहकर राजीव सोफे से खड़ा हो गया।" बस यूँ ही" सोनिया  ने मुँह फेर लिया।"इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है कैसे काटोगी? ले जाओ,,, काम आएगें।"दोनों एक दूसरे से आंख से आंख नहीं मिला रहे थे किसी समय दोनों एक दूसरे को देखें बिना पानी तक नहीं पीते थे लेकिन आज पता नहीं किसकी नजर लग गयी , इतना कह कर राजीव ने भी मुंह फेर लिया और दूसरे कमरे में चला गया। शायद आंखों में कुछ उमड़ा होगा जिसे छुपाना भी जरूरी था। सोनिया की माँ  गाड़ी वाले को फोन करने में व्यस्त थी। सोनिया को मौका मिल गया। वो राजीव के पीछे उस कमरे में चली गई ।वो रो रहा था। अजीब सा मुँह बना कर।  जैसे भीतर के सैलाब को दबाने दबाने की जद्दोजहद कर रहा हो। सोनिया ने उसे कभी रोते हुए नही देखा था। आज पहली बार देखा न जाने क्यों दिल को कुछ सुकून सा मिला। मग़र ज्यादा भावुक नही हुई। सीधे  अंदाज में बोली "इतनी फिक्र थी तो क्यों दिया तलाक?""मैंने नही तलाक तुमने दिया" "दस्तखत तो तुमने भी किए""माफी नही माँग सकते थे?""मौका कब दिया तुम्हारे घर वालों ने। जब भी फोन किया काट दिया।" चार साल में पहली बार दोनों आपस में बात कर रहे थे ,"घर भी आ सकते थे""हिम्मत नही थी?"सोनिया की माँ आ गई। वो उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। "अब क्यों मुँह लग रही है इसके? अब तो रिश्ता भी खत्म हो गया"मां-बेटी बाहर बरामदे में सोफे पर बैठकर गाड़ी का इंतजार करने लगी। अब धीरे धीरे सोनिया भी भीतर से सब कुछ टूट रहा था। दिल बैठा जा रहा था। वो सुन्न सी पड़ती जा रही थी। जिस सोफे पर बैठी थी उसे गौर से देखने लगी। कैसे कैसे बचत करके उसने और  राजीव ने वो सोफा खरीदा था। वो भी  पूरे शहर में घूमी तब यह पसन्द आया था।" फिर उसकी नजर सामने तुलसी के सूखे पौधे पर गई। कितनी शिद्दत से देखभाल किया करती थी। उसके साथ तुलसी भी घर छोड़ गई। घबराहट और बढ़ी तो वह फिर से उठ कर भीतर चली गई। माँ ने पीछे से पुकारा मग़र उसने अनसुना कर दिया। राजीव बेड पर उल्टे मुंह पड़ा था। एक बार तो उसे दया आई उस पर। मग़र  वह जानती थी कि अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है इसलिए उसे भावुक नही होना है। उसने सरसरी नजर से कमरे को देखा। अस्त व्यस्त हो गया है पूरा कमरा। कहीं कंही तो मकड़ी के जाले झूल रहे हैं। कितनी नफरत थी उसे मकड़ी के जालों से फिर उसकी नजर चारों और लगी उन फोटो पर गई जिनमे वो राजीव से लिपट कर मुस्करा रही थी। कितने सुनहरे दिन थे वो। इतने में माँ फिर आ गई। हाथ पकड़ कर फिर उसे बाहर ले गई।बहर गाड़ी आ गई थी। सामान गाड़ी में डाला जा रहा था। सोनिया सुन सी बैठी थी। राजीव  गाड़ी की आवाज सुनकर बाहर आ गया। अचानक राजीव कान पकड़ कर घुटनो के बल बैठ गया। बोला--" मत जाओ,,, माफ कर दो" शायद यही वो शब्द थे जिन्हें सुनने के लिए चार साल से तड़प रही थी। सब्र के सारे बांध एक साथ टूट गए। सोनिया ने कोर्ट के फैसले का कागज निकाला और फाड़ दिया । 

और मां कुछ कहती उससे पहले ही लिपट गई राजीव से। साथ मे दोनो बुरी तरह रोते जा रहे थे।

दूर खड़ी सोनिया की माँ समझ गई कि 

कोर्ट का आदेश दिलों के सामने कागज से ज्यादा कुछ नही।

काश उनको पहले मिलने दिया होता, अगर माफी मांगने से ही रिश्ते टूटने से बच जाए, तो माफ़ी मांग लेनी चाहिए , दोस्तों आपको यह कहानी केसी लगी आप मुझे वाट्सएप 9929394143 और ई-मेल navratnamandusiya@gmail.com पर आप अपनी राय दे सकते है :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से


 

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