Tuesday, 23 January 2018

क्योकि सोचना जरूरी है कि हम जा कंहा रहे है:- बल्लू राम मावलिया अभयपुरा

युवा कवि युवा लेखक समाज सेवी जाट समाज के लाडले बल्लू राम मावलिया अभयपुरा की कलम से
मंडुसिया न्यूज़ ब्लॉग ज्ञान कि परिभाषा बदल गई है, लोगों कि सोचने और समझने कि क्षमता मे काफी गिरावट हो रही हैं ।हम सफल हो रहे हैं, अपने विचार और आदर्श को खो कर, अपने आप को बेचकर खूब उन्नति कर रहे हैं । कुछ खो रहे हैं,  महसूस भी हो रहा हैं, मगर इतना वक्त नही है थोड़ा ठहर कर सोचने का। एक अंधी दौर जीवन मे चल रहा है, जिसका मकसद और मंजिल कुछ नही हैं। मंजिल है तो सिर्फ धन और दौलत । विवेकशीलता मानव के अन्दर से खो गया है। हम लोग अपना-अपना विवेक खो कर भी विवेकानन्द कि बात करते है जिन्होंने अपने विवेक से दुनिया को आनन्दित किया था।आज हम लोगों की कथनी और करनी मे इतना फर्क हो गया है कि हर बात, हर सोच, हर विकास इत्यादि को पैसे कि तराजू पर तौलते हैं, माना कि मानव का जीवन पैसे के बिना नही चल सकता है, मगर पैसा साधन हो सकता है, साध्य नही हो सकता है। जितने भी सफल व्यक्ति हैं उनके जीवन मे जितनी व्यक्तिगत घुटन और समस्या है उतनी समस्या एक साधारण व्यक्ति के जीवन मे नही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर महसूस करता हूँ कि एक आम आदमी दुनिया कि निगाहों मे जो व्यक्ति सफल है  उससे अधिक सफल होता है। विकास एक नजरिया हैं, सफलता और असफलता का कोई निश्चित पैमाना नही होता है। असली मे जो अपना परिवार चला सकता हैं, अच्छे और बुरे मे फर्क कर सकता है, अपने से जुड़े लोगों का आदर और सम्मान कर सकता है, ओर करवा सकता है। वही ज्ञानी और सफल मानव है।
Save the family and save the nature
बल्लूराम मावलिया अभयपुरा

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