Thursday, 8 February 2018

जातिवादी रैलियों से समाज को खतरा :- नवरत्न मंडुसिया


आये दिन हो रही जातीवादी रैलियों का विरोध करता हु दोस्तों आजाद भारत मे आजादी से रहना है दुनिया का सबसे बड़ा प्रेम भाव और आपसी एकता होगी यदि आये दिन हम जातिवादी रैलिया करेंगे तो आने वाले दिनों में हर तरफ नफरत पैदा हो जायेगी और आपसी मतभेदों में फूट पड़ जायेगी। और इसका फायदा केवल पड़ोसी मुल्को को होगी दुनिया मे रहना है तो केवल भाईचारे से ही रहना होगा नही तो हमारे समाज मे इतनी नफरत फेल जाएगी कि कोई भी समाज एक दूसरे समाज पर विश्वास नही करेगा यदि हम लोग ये जातिवादी रैलियों निकाल कर हम आने वाली पीढ़ियों को भी जुर्म के रास्ते पर ला रहे है क्यो की हम अपराध करेंगे तो आनी वाली पीढ़ी भी अपराध करेगी इसलिए अभी भी हर समाज के पास मौका है कि जातिवादी रैलियों को समाप्त कर भाईचारे की ओर बढ़े और समाज का कल्याण कर सके में नवरत्न मंडुसिया जातिवादी रैलियों की घोर निंदा करता हु विरोध करता हु क्यो की मेरे हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है तो वो है केवल भाईचारा इसलिए हमें जातिवादी रैलियों को समाप्त करके आपसी प्रेमभाव को आगे लाये ताकि समाज टूटने की बजाय समाज आगे बढ़ सके में हर समाज के युवाओ को कहना चाहता हु हमे सयम रखते हुवे आपसी प्रेम भाव से रहे हो जातिवादी रैलियों को बहिष्कृत करे  मेरा मानना है मेरा  सोचना है कि ऐसी रैलियों में दूसरी जातियों के खिलाफ नफरत फैलायी जाती है। जिससे समाज में टूटन पैदा होती है। नवरत्न मंडुसिया का मानना है कि  हमे केवल भाईचारे की भांति ही रहना चाहिए और इस हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आदि का नाम भूलकर केवल भाईचारे में ही विश्वास रखना चाहिये ! इसमे कोई दो राय नहीं कि जाति के बिना भारतीय राजनीति और समाज दोनों की ही कल्पना नहीं की जा सकती। चुनावों में जातियों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन होता है। चुनाव जीतने के लिये जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर रणनीति बनायी जाती है। एक जाति का वोट लेने के लेने के दूसरी जातियों के खिलाफ नफरत का बीज बोया जाता है। राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर जाति विशेष के नेताओं को आगे बढ़ाया जाता है। इसलिये मेरा  फैसला क्रांतिकारी लग सकता है। खासतौर से आज के परिपेक्ष्य में जब कि भारत में एक नया शहरी मध्यवर्ग खड़ा हो रहा है और देश में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जोर पकड़ रही है। पर लोग ये भूल जाते हैं कि जाति इस देश की सचाई है। इस जातिवाद की वजह से ही कभी बराबरी नहीं रही। भारत आदिकाल से 'गैरबराबरी समाज' रहा है। जहां किसी भी शख्स की समाज में हैसियत उसकी जाति से ही आंकी और तय की जाती रही है।  बावजूद उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। उनको व्याहारिक जीवन में हेय दृष्टि से ही देखा जाता है। हालांकि अब इसमें कमी आ रही है लेकिन संवैधानिक बराबरी आज भी अधूरी है। शुरुआत में तो पिछड़ी जातियों को सत्ता में भागीदारी के नाम पर उनका सिर्फ शोषण किया गया। उनको सजावट की वस्तु बना दिया गया। आजादी के पहले और बाद में दलितों के लिये बाबा साहेब आंबेडकर ने लड़ाई लड़ी। आंबेडकर ने रिपब्लिकन पार्टी बनायी। पर दलित चेतना में निर्णायक उभार नहीं पैदा कर पाये और हारकर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा। मेरा मानना साफ है कि सामाजिक स्तर पर जातिवाद भले ही किसी अभिशाप से कम न हो लेकिन 'राजनीतिक-जातिवाद' ने समाज में बराबरी लाने का ऐतिहासिक काम किया है। बिना उसके पिछड़ी जातियों को न तो सत्ता में भागीदारी मिलती और न ही सत्ता में आने की वजह से मिलता सामाजिक सम्मान। इसलिये अदालत का फैसला अपनी जगह, सामाजिक सचाई अपनी जगह। इसलिये हमे हमे जातिवादी रैलियों को बहिष्कृत करके एक सभ्य समाज मे नई क्रांति लाना है
                                                                                                         नवरत्न मंडुसिया (लेखक )

Tuesday, 23 January 2018

क्योकि सोचना जरूरी है कि हम जा कंहा रहे है:- बल्लू राम मावलिया अभयपुरा

युवा कवि युवा लेखक समाज सेवी जाट समाज के लाडले बल्लू राम मावलिया अभयपुरा की कलम से
मंडुसिया न्यूज़ ब्लॉग ज्ञान कि परिभाषा बदल गई है, लोगों कि सोचने और समझने कि क्षमता मे काफी गिरावट हो रही हैं ।हम सफल हो रहे हैं, अपने विचार और आदर्श को खो कर, अपने आप को बेचकर खूब उन्नति कर रहे हैं । कुछ खो रहे हैं,  महसूस भी हो रहा हैं, मगर इतना वक्त नही है थोड़ा ठहर कर सोचने का। एक अंधी दौर जीवन मे चल रहा है, जिसका मकसद और मंजिल कुछ नही हैं। मंजिल है तो सिर्फ धन और दौलत । विवेकशीलता मानव के अन्दर से खो गया है। हम लोग अपना-अपना विवेक खो कर भी विवेकानन्द कि बात करते है जिन्होंने अपने विवेक से दुनिया को आनन्दित किया था।आज हम लोगों की कथनी और करनी मे इतना फर्क हो गया है कि हर बात, हर सोच, हर विकास इत्यादि को पैसे कि तराजू पर तौलते हैं, माना कि मानव का जीवन पैसे के बिना नही चल सकता है, मगर पैसा साधन हो सकता है, साध्य नही हो सकता है। जितने भी सफल व्यक्ति हैं उनके जीवन मे जितनी व्यक्तिगत घुटन और समस्या है उतनी समस्या एक साधारण व्यक्ति के जीवन मे नही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर महसूस करता हूँ कि एक आम आदमी दुनिया कि निगाहों मे जो व्यक्ति सफल है  उससे अधिक सफल होता है। विकास एक नजरिया हैं, सफलता और असफलता का कोई निश्चित पैमाना नही होता है। असली मे जो अपना परिवार चला सकता हैं, अच्छे और बुरे मे फर्क कर सकता है, अपने से जुड़े लोगों का आदर और सम्मान कर सकता है, ओर करवा सकता है। वही ज्ञानी और सफल मानव है।
Save the family and save the nature
बल्लूराम मावलिया अभयपुरा

Wednesday, 13 December 2017

खाटूश्यामजी मे होगा 25 दिसम्बर को बलाई समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन

बेटा अंश है तो बेटी वंश है, बेटा आन है तो बेटी शान है, का संदेश देते हुए राज्य स्तरीय सामूहिक विवाह व पुर्नविवाह सम्मेलन 25 दिसम्बर  को आयोजित किया जाएगा।बलाई समाज के पंचम सामूहिक विवाह समेलन जो कि 25 दिसम्बर को खाटु श्याम जी में होने जा रहा हे।जिसमे लगभग 101 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधने जा रहे हे 71 का रजिस्ट्रेशन हो चूका हे। में आप सभी से इसे सफल बनाने की प्रार्थना करता हूँ।आप लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्तित होकर नव् दंपतियों को आशीर्वाद प्रदान करे व अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करके इस विवाह समेलन को सफल बनायें। लगभग 50 हजार की संख्या में समाज व् अन्य लोगो के शिरकत करने की उमीद हे। बहुत सारी व्यवस्थाये करने ह जो आपके  सहयोग के बिना संभव नहीं है। अतः आप अपने तन मन व् धन से इसे सफल बनायें। बहुत सारे कार्यकर्ताओ की आवश्यकता है तथा बारात व कलश यात्रा निकाली जाएगी। जहां आयोजन स्थल पर बारातियों का स्वागत किया जाएगा। इस मौके पर वर-वधुओं का पणिग्रहण संस्कार कराने के साथ ही समाज की भामाशाहों, मुख्य अतिथियों व प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा।  बलाई समाज सहित बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित व गणमान्य लोग व समाजबंधु कार्यक्रम में शिकरत करेंगे।
खास रिपोर्ट नवरत्न मंडुसिया
सुरेरा

Monday, 4 September 2017

सुरेरा के युवा पत्रकार अर्जुन राम मुंडोंतिया

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से /ग्रामीण अंचल मे जन्मे युवा पत्रकार अर्जुन राम मुंडोंतिया
जो की हर ख़बर को बड़ी शालीनता से प्रकाशित करते है
इस पत्रकार की जितनी तारीफ करे उतनी ही कम है
इस युवा की उम्र मात्र 20 साल है और इतनी कम उम्र मे इतनी बड़ी  उपलब्धि पाना बड़ी मुश्किल है  हमे आशा भी है की अर्जुन राम भविष्य मे भी एक ईमानदार पत्रकार बनके रहेंगे
आइये जानते कौन है अर्जुन राम मुंडोंतिया 
अर्जुन राम राजस्थान प्रांत के सीकर जिले के दाँतारामगढ़ तहसील के सुरेरा गाँव के है
अर्जुन राम रवीदासी समुदाय से है  और अर्जुन राम मुंडोंतीया ने प्रारम्भीक शिक्षा गाँव के सरकारी विद्यालय से की बाद मे रामगढ़ के सरकारी विद्यालय से 12 वी पास की और दिनप्रतिदिन अपना पत्रकारिता मे मन लगा तो यह अपने पिता के मार्गदर्शन से सुरेरा गाँव भारीजा गाँव मन्ढा गाँवों की सकारात्मक रिपोर्टिंग करने लग गया और गाँवों मे युवा पत्रकार के रुप मे उभरने लग गया अब अपने दम पर अच्छी रिपोर्टिंग कर लेते है अर्जुन राम 12 वी पास करने के बाद बी. ए की पढ़ाई की और साथ साथ मे आईटीआई विधुत्कार से की अब पढ़ाई के साथ साथ अच्छी रिपोर्टिंग भी करते है और घर के काम मे भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है यह युवा विवेकानंद और बाबा साहेब डॉक्टर भिव राव अम्बेडकर के आदर्शों पर चलने के लिये एक दूसरे लोगो को प्रेरित करते है और बाबा साहेब को अपना आदर्श मानते है:- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से
अर्जुन राम मुंडोंतिया 

Wednesday, 16 August 2017

क्योंकि संघर्ष ही जीवन है :- बल्लू राम मावलिया अभयपुरा

MOTIVATIONAL/प्रेरणादायक


प्रिय साथियों...
जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है । इस सृष्टि में छोटे-से-छोटे प्राणी से लेकर बड़े-से-बड़े प्राणी तक, सभी किसी-न-किसी रूप में संघर्षरत हैं । जिसने संघर्ष करना छोड़ दिया, वह मृतप्राय हो गया । जीवन में संघर्ष है प्रकृति के साथ, स्वयं के साथ, परिस्थितियों के साथ । तरह-तरह के संघर्षों का सामना आए दिन हम सबको करना पड़ता है और इनसे जूझना होता है । जो इन संघर्षों का सामना करने से कतराते हैं, वे जीवन से भी हार जाते हैं, जीवन भी उनका साथ नहीं देता ।
सफलता व कामयाबी  की चाहत तो सभी करते हैं, लेकिन उस सफलता को पाने के लिए किए जाने वाले संघर्षों से कतराते हैं । मिलने वाली सफलता सबको आकर्षित भी करती है, लेकिन उस सफलता की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले संघर्ष को कोई नहीं देखता, न ही उसकी ओर आकर्षित होता है, जबकि सफलता तक पहुँचने की वास्तविक कड़ी वह संघर्ष ही है । हम जिन व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाइयों पर देखते हैं, उनका भूतकाल अगर हम देखेंगे तो हमें जानने को मिलेगा की यह सफलता जीवन के साथ बहुत संघर्ष से प्राप्त हुई है ।
वास्तव में जब व्यक्ति अपने संघर्षों से दोस्ती कर लेता है, प्रसन्नता के साथ उन्हें अपनाता है, उत्साह के साथ चलता है तो संघर्ष का सफर उसका साथ देता है और उसे कठिन-से-कठिन डगर को पार करने में मदद करता है । लेकिन यदि व्यक्ति जबरन इसे अपनाता है, बेरुखी के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ता है, तो वह भी ज्यादा दूर तक नहीं चल पाता, बड़ी कठिनाई के साथ ही वह थोड़ा-बहुत आगे बढ़ पाता है । जब जीवन में एवरेस्ट जैसी मंजिल हो और उस तक पहुँचने के लिए कठिन संघर्षों का रास्ता हो, तो घबराने से बात नहीं बनती, संघर्षों को अपनाने से ही मंजिल मिल पाती है ।
जब हम संघर्ष करते हैं, तभी हमें अपने बल व सामर्थ्य का पता चलता है । संघर्ष करने से ही आगे बढ़ने का हौसला, आत्मविश्वास मिलता है और अंततः हम अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं ।
वास्तव में हमारे जीवन में भी संघर्ष  ही वह चीज है, जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है । यही हमें निखारता है और हर पल अधिक शक्तिशाली, अनुभवी बनाता है । यदि हमें भी बिना किसी संघर्ष के ही सब कुछ मिलने लगे तो न तो हम उसकी कीमत समझेंगे और न ही हम विकसित हो पाएँगे, बल्कि अपंग ही रह जाएँगे...।

बल्लूराम मावलिया अभयपुरा की कलम से 

Thursday, 10 August 2017

बल्लू राम मावलिया अभयपूरा नाँगल के लब्ज

जानना है अगर मुझे तो आजमाकर देखिए।
हूं मैं कितना पुर-सुकून आँखों को पढ़कर देखिए।

लग रहा हूं खुश मगर, टूटा हुआ मैं ख्वाब हूं
मेरी शायरियों को जरा दर्दों में गाकर देखिए।

होता हरदम सच नहीं आँखों से दिखता जो हमें है
अब जरा सागर के अंदर आप उतर कर देखिए।

कहते हैं किसको सुकून यह बात अगर हो जानना
तो बचपने पर आप थोडा मुस्कुराकर देखिए l

फलसफा तो दर्द का हरबार मिलता जिन्दगी में
आप भी गरीब किसान के हाल जानकर देखिए......

किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नहीं होता।
निगाहें वो भी पढ लेती हैं, जो लिखा नहीं होता।।

दिल का साफ हूं दुख में भी मुस्कुराऊंगा

दुश्मनी मत लो दोस्तों मैं हर वक्त काम आऊंगा...
*बल्लूराम मावलिया अभयपुरा*
*जिलाध्यक्ष किसान बचाओ देश बचाओ संघर्ष समिति सीकर*

Friday, 30 June 2017

Do not add crime to righteousness

And if you are adding, give a reply to me!
"Name the name of any person who has not been born in any caste or religion?
It is a simple fact that the culprit will be of any caste or creed.
Now the leaders of that caste will tell you not only the criminal offense but also the punishment.
By which you are misguided ... stand up against the culprit and the culprit is saved.
You have already saved thousands of such criminals and punished innocent people.
The culprits who are criminals are growing up and those innocent people have forced them to become criminals.
Do you want to make India a country of crime?
If not, then before knowing any gaudy post, know the truth by putting your mind on it.
The culprit is just a criminal.
If you are a responsible citizen of India then please save the country.
* Navratna Mandusiya *
( *Author/wtiter* )
-Jay Bhim-Jay India
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सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...