नवरत्न मंडुसिया की कलम से ||आजतक मेने किसी धर्म की आलोचना नही की
यदि कभी किसी धर्म जाति विशेष की मेने कोई आलोचना की है तो वो साबित करे में किसी धर्म को गलत नही ठहरा सकता हु क्यो की सबसे पहले खुद में यही देखना चाहिए कि में कितना सही हु कितना गलत हु क्यो की मुझे किसी धर्म की आलोचना करने का कोई अधिकार नही है जो लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते है वो राजनीति केवल राजनीति है | इसलिए हम इन लोगो से दूर रहते हुवे केवल काम से काम रखना चाहिए और छोटे बड़ो को समान करना चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्यो की हम लोग यदि किसी का समान करेंगे तो वो हमारा समान करेगा और हमे किसी के बहकावे में नही आना चाहिए केवल आपसी प्रेम भाव ही रखना चाहिए ताकि हम लोग प्रेमभाव से राह सके आजकल के जमाने मे सब लोग चर्चो में आने का शोक रखते है और हर कोई नेता बनना चाहता हैबलेकिं वह यह नही सोचता की हमारी एक गलती से किसी का परिवार उजड़ सकता है इसलिए हमें खुद को कठोर तरीके से हमे आने वाली विपरीत परिस्थिति को मात देनी है और हमे आगे बढ़ना है:- नवरत्न मंडुसिया की कलम से
यदि कभी किसी धर्म जाति विशेष की मेने कोई आलोचना की है तो वो साबित करे में किसी धर्म को गलत नही ठहरा सकता हु क्यो की सबसे पहले खुद में यही देखना चाहिए कि में कितना सही हु कितना गलत हु क्यो की मुझे किसी धर्म की आलोचना करने का कोई अधिकार नही है जो लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते है वो राजनीति केवल राजनीति है | इसलिए हम इन लोगो से दूर रहते हुवे केवल काम से काम रखना चाहिए और छोटे बड़ो को समान करना चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्यो की हम लोग यदि किसी का समान करेंगे तो वो हमारा समान करेगा और हमे किसी के बहकावे में नही आना चाहिए केवल आपसी प्रेम भाव ही रखना चाहिए ताकि हम लोग प्रेमभाव से राह सके आजकल के जमाने मे सब लोग चर्चो में आने का शोक रखते है और हर कोई नेता बनना चाहता हैबलेकिं वह यह नही सोचता की हमारी एक गलती से किसी का परिवार उजड़ सकता है इसलिए हमें खुद को कठोर तरीके से हमे आने वाली विपरीत परिस्थिति को मात देनी है और हमे आगे बढ़ना है:- नवरत्न मंडुसिया की कलम से
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