Monday, 9 September 2019

मेघ यूथ क्लब बरजन के निःशुल्क लाइब्रेरी व टयूशन क्लासेज की इस सराहनीय पहल को देश के विकास में बड़ा कदम

बरजन के युवाओं ने शिक्षा व समाज सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने हेतु मेघ यूथ क्लब बरजन नामक संस्था का गठन किया
नवरत्न मण्डुसिया
दिनांक 08.09.2019 को इसी संस्था के तत्वावधान में गाँव बरजन में *निःशुल्क लाईब्रेरी व ट्यूशन कल क्लासेज* का उद्धघाटन समारोह आयोजित किया गया जिसमें जिसमें मुख्य अतिथि 1.  B.R. verma जी  -BDO फागी 2.राकेश जी  वर्मा- सीकर अनु.जाति, जन.जाति  कर्मचारी संघ अध्यक्ष 3.हितेश जी गुडेशर RAS 4 . रतन लाल जी AAO 5.डॉ दिनेश जी तालापा 6.विनोद जी तालापा(सॉफ्ट.इंजी.IITमुंबई) 7.डॉ रतन लाल जी 8.गोपाल जी चौहान 9.ओमप्रकाश जी (जेईएन) 10.हीरा लाल जी ( वरिष्ठ अध्यापक) 11.नेमी चन्द जी (प्रो.) 12.नाथू लाल जी (अध्यापक) 13.भंवरी जी(सामाजिक वक्ता) 14.सुरेश जी(नर्सिंग अधिकारी) 15.पूरण मेघवाल(जिला परिषद सदस्य) 16.भंवर जी(राज.पुलिस) 17.परसाराम जी(पंचायत सहायक) 18.राम लाल जी(अध्यापक) 19.मदन लाल जी गाँधी(अध्यापक) 20.उदय लाल जी नर्सिंग अधिकारी
21.ईश्वर चंद मण्डुसिया (जिलाध्यक्ष सीकर भारतीय मेघवाल युवासंघ राजस्थान) व ग्राम पंचायत बरजन के गणमान्य लोग व बच्चे उपस्थित रहे।
उपरोक्त अतिथियों ने मेघ यूथ क्लब बरजन के निःशुल्क लाइब्रेरी व टयूशन क्लासेज की इस सराहनीय पहल को देश के विकास में बड़ा कदम बताया। उन्होंने शिक्षा पर ज़ोर देते हुए बताया कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे व्यक्ति जीवन सफल बना सकता है

Thursday, 13 June 2019

Act 66(A) ACT 153IPC ACT 295IPC

  नवरत्न मंडुसिया || 2008 में इस एक्ट में संशोधन करके धारा 66(A) को जोड़ा गया जो फरवरी 2009 में लागू हो गया.
यह धारा इलेक्टॉनिक डिवाइसेज पर आपत्तिजनक कंटेट पोस्ट करने के संबंध में है. इसके तहत दोषियों को तीन साल की जेल या 5 लाख रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
धारा 66A में लिखा है....
"कोई शख्स जो कंम्प्यूटर या फिर कम्युनिकेशन डिवाइस के जरिए भेजता है''
1) कोई भी ऐसी सूचना जो आपत्तिजनक हो या फिर जिसका मकसद चरित्रहनन का हो.
2) कोई भी सूचना जो झूठी है, पर इलेक्टॉनिक डिवाइसेज के जरिए उस सूचना का इस्तेमाल किसी शख्स को परेशान करने, असुविधा पहुंचाने, खतरा पैदा करने, अपमान करने व चोट पहुंचाने के लिए किया जाए.
3) कोई भी इलेक्ट्रॉनिक मेल या इलेक्ट्रॉनिक मैसेज, जिसके जरिए किसी को व्यर्थ परेशान करने या उसके लिए समस्याएं बढ़ाने के लिए किया जाए. तो ऐसा करने वाले शख्स को जेल भेजा जाएगा. दोषी को दो-तीन साल की सजा हो सकती है साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
यदि कोई व्यक्ति ऐसा करते हुए पाया जाता है तो पुलिस उसे 66A के तहत गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश कर सकती है. इसके साथ ही उस पर संबंधित मामले में उपयुक्त अन्य धाराएं जोड़ कर भी मुकदमा चला सकती है.

धारा 153 आईपीसी (IPC Section 153 ) - उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना


विवरण

जो भी कोई अवैध बात करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से प्रकोपित करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध हो सकता है;
यदि उपद्रव होता है - यदि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा,
और यदि उपद्रव नहीं होता है - यदि उपद्रव का अपराध नहीं होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे छह मास तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध

उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना
1. यदि उपद्रव होता है
सजा - एक वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।


2. यदि उपद्रव नहीं होता है
सजा - छह महीने कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह समझौता करने योग्य नहीं है।



धारा 153क आईपीसी (IPC Section 153क ) - धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।


विवरण

1. जो कोई--
(क) बोले गए या लिखे गए शब्दों या संकेतों या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषायी या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द्र अथवा शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं, धर्म, मूलवंश, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रवर्तित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा, अथवा
(ख) कोई ऐसा कार्य करेगा, जो विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है और जो लोक-शान्ति में विघ्न डालता है या जिससे उसमें विघ्न पड़ना सम्भाव्य हो, अथवा
(ग) कोई ऐसा अभ्यास, आन्दोलन, कवायद या अन्य वैसा ही क्रियाकलाप इस आशय से संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे या यह सम्भाव्य जानते हुए संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे अथवा ऐसे क्रियाकलाप में इस आशय से भाग लेगा कि किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए भाग लेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे और ऐसे क्रियाकलाप से ऐसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच, चाहे किसी भी कारण से, भय या संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या उत्पन्न होनी सम्भाव्य है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
2. पूजा के स्थान आदि में किया गया अपराध - जो कोई उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अपराध किसी पूजा के स्थान में या किसी जमाव में, जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो, करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे पाँच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध

1. विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन।
सजा - तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
2. पूजा के स्थान आदि पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन।
सजा - पाँच वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं

आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। धारा 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।

धारा 295 आईपीसी (IPC Section 295 ) - किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।


विवरण

जो कोई किसी उपासना के स्थान को या व्यक्तियों के किसी वर्ग द्वारा पवित्र मानी गई किसी वस्तु को नष्ट, नुकसानग्रस्त या अपवित्र इस आशय से करेगा कि किसी वर्ग के धर्म का तद्द्वारा अपमान किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि व्यक्तियों का कोई वर्ग ऐसे नाश, नुकसान या अपवित्र किए जाने को अपने धर्म के प्रति अपमान समझेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध

किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।
सजा - दो वर्ष कारावास, या आर्थिक दण्ड, या दोनों।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।


यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है:- नवरत्न मंडुसिया

Tuesday, 11 June 2019

बाबा साहेब अम्बेडकर ओर नीला रंग

नवरत्न मंडुसिया ¡¡ बहुजन समाज का नीला रंग शांति का प्रतीक रंग है यह नीला रंग बहुत ही शक्तिशाली रंगों में शुमार है  आप दलितों के संघर्ष को देखें तो तब भी आप दलितों के साथ नीले रंग के झंडे को पाएंगे। हाल ही में जब पूरे देश में दलितों ने एससी एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया था तो उस समय भी रैलियां नीले रंग के झंडों और टोपियों से पटी पड़ी थीं। जब भी दलितों का कोई मार्च या रैली निकलती है, तो उसमें भी नीला रंग लहराता दिखता है। ओर जब बहुजनों में यह रंग दिख जाता है तो उन बहुजनों में ओर ज्यादा क्रांति आ जाती है बाबा साहेब का ही देन है कि भ्रातबमे सभी समुदायों को समानता का अधिकार दिया गया शिक्षा का अधिकार दिया गया बोलने का अधिकार दिया गया बाबा साहेब ने कभी बि वक समाज के बारे में नही सोचा उन्होंने सोचा तो सभी समुदायों के बारे में सोचा आज सबको समानता का अधिकार है 
अंबेडकर की पार्टी का रंग भी नीला था

आपको बता दें कि बीआर अंबेडकर ने अपनी एक पार्टी बनाई थी, जिसका नाम था 'इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी'। ऐसा कहा जाता है कि अपनी पार्टी के झंडे का रंग उन्होंने नीला रखा था। बता दें कि उन्होंने यह रंग महाराष्ट्र के सबसे बड़े दलित वर्ग महार के झंडे से लिया। साल 2017 में अर्थ नाम के जर्नल में 'फैब्रिक रेनेड्रेड आइडेंटिटीः ए स्टडी ऑफ पब्लिक रिप्रेजेंटेशन इन रंजीता अताकाती' में प्रकाशित शोध पत्र भी यही बात कही गई है। तब से अंबेडकर ने इस नीले रंग को दलित चेतना का प्रतीक माना था।

आकाश का रंग भी नीला
आकाश यानी आसमान को विशालात का प्रतीक माना जाता है। यह सभी जानते है आकाश का रंग भी नीला है। यह वह रंग है जो बिना भेदभाव के लोगों को अपनाता है। आसमान के तले खड़ा हर व्यक्ति, हर समुदाय एक बराबर होता है। यह एक मात्र थ्योरी है लेकिन इस वजह से भी नीला रंग बाबा सहब से जुड़ा है। आपको बता दें कि इस तथ्य का कोई पुख्ता आधार नहीं।
बाबा साहब को नीले रंग का सूट बहुत पसंद था
ऐसा कहा जाता है कि बाबा साहब अंबेडकर को नीले रंग का सूट बहुत पसंद था। वो अक्सर नीले रंग का थ्री पीस सूट पहना करते थें। चूंकि अंबेडकर नीले रंग के सूट में होते थे, लिहाजा दलित समाज ने इस रंग को अपनी अस्मिता और प्रतीक के रूप में लिया और इस रंग को अपनाया। यही कारण है कि देशभर में अंबेडकर की जितनी भी मूर्तियां मिलेंगी सब नीले रंग में रंगी हैं।

राजस्थान में प्रसूति सहायता योजना


नवरत्न मंडुसिया || हितलाभ  लड़की का जन्म होने पर 21,000 रू. तथा लड़के का जन्म होने पर 20,000 रू.
पात्रता एवं शर्ते 1. प्रसव से 6 सप्ताह पूर्व हिताधिकारी का पंजीयन आवश्यक।
2. अधिकतम दो प्रसव तक देय।
3. संस्थागत प्रसव होने अर्थात अस्पताल में प्रसूति होने की स्थिति में ही लाभ देय।
4. प्रसव के समय हिताधिकारी की आयु 20 वर्ष से कम नहीं हो।
5. पंजीयन से पूर्व 2 संतान होने की दशा में सहायता देय नहीं। पंजीयन से पूर्व एक सन्तान होने पर पंजीयन के पश्चात एक प्रसव हेतु ही सहायता देय।
आवेदन करने की समय सीमा प्रसव तिथि के 90 दिन में (अस्पताल में प्रसूति होने का प्रमाण पत्र)
आवेदन के साथ लगाये जाने वाले दस्तावेज 1. डिलीवरी डिस्चार्ज टिकट/ममता कार्ड।
2. बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र।
3. हिताधिकारी के पंजीयन पत्र की प्रति।
4. हिताधिकारी पंजीयन परिचय पत्र या कार्ड की प्रति
5. भामशाह परिवार कार्ड या भामाषाह नामांकन की प्रति
6. आधार कार्ड की प्रति
7. बैंक खाता पासबुक के पहले पृष्ठ की प्रति 



Sunday, 9 June 2019

डॉक्टर भीम राव अंबडेकर सेवा समिति दांतारामगढ़ की सामाजिक पहल शुरू गाँव गाँव ढाणी ढाणियों में

सामाजिक समरसता//आज सुरेरा में सामाजिक कुरूतियों को लेकर मीटिंग का आयोजन किया गया सुरेरा में पिछले 15 सालों से मेघवाल समाज वार्ड नम्बर चार में मृत्युभोज बन्द है और इसके साथ साथ कई सामाजिक बुराइयों को बंद कर रखा है अब अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति में भी सामाजिक कुरूतियों को मिटाने का संकल्प ले रहे है इस माध्यम को ध्यान में रखते हुवे आज सुरेरा में भी सामाजिक मीटिंग का आयोजन किया गया डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ का उद्देश्य समाज मे व्याप्त कुरीतियों को मिटाना दहेज प्रथा खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक करना, गरीब कन्याओं का विवाह करवाना, भ्रूणहत्या का विरोध करना व गरीब लोगों की हर संभव सहायता करना है, शिक्षा, विधार्थियो को शेक्षिक परामर्श व् मार्गदर्शन, शराब व् अन्य प्रकार के नशा के दुष्प्रभावो पर चर्चा करना सभी सामाजिक कुरूतियो पर विचार करना है। ग्रामीण स्तर पर प्रतिभाओं का  सम्मानित  करना। निवेदक डॉ भीमराव अंबेडकर सेवा संस्थान  (रजि.) दांतारामगढ़ , सीकर जिसको लेकर समाज कल्याण दल प्रदेश के विभिन्न जिलों में अभियान चलाए हुए है। इसके अलावा अपना सदस्यता अभियान चलाए हुए है। युवाओं को अधिक से अधिक अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ में शामिल कर सामाजिक बुराइयों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ के निर्देशन में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान में युवा गाव में घर-घर जाकर ग्रामीणों को दहेज प्रथा का विरोध करने के लिए जागरूक कर रहे है। दहेज लेना व देना कानून जुर्म है। भ्रूणहत्या एक सामाजिक बुराई है, जो समाज के उपर कलंक है। जिसके कारण आज समाज में बेटियों की संख्या कम होती जा रही है, जिसके लिए भ्रूणहत्या जैसी समाजिक बुराई का अंत होना अति आवश्यक है। इसके कारण समाज में लड़के व लड़कियों के अनुपात में भारी अंतर हो गया है। अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ समाज में फैली नशाखोरी को खत्म करने के लिये जनता को जागरूक कर रहे है। नशाखोरी के कारण समाज में अपराध बढ़ा है। युवा नशे में अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते है। इसके अलावा कई फोकस को ध्यान में देते हुवे सामाजिक कुरूतियों को जड़ से समाप्त करने की प्रेणना ले रहे है इस अवसर पर अधिक से अधिक युवा भाग ले रहे है यह अभियान दांतारामगढ़ के हर गाँव मे जाकर चला रहे है और इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज को संघटित करना है और समाज मे व्याप्त कुरूतियों को मिटाना है इस अभियान में डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर सेवा समिति के पदाधिकारी सामूहिक रूप से भाग ले रहे है इस अवसर पर व्याख्यता राकेश वर्मा सुरेरा सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर चन्द चन्द मंडुसिया सुरेरा हेमा राम बलाई प्रधनाध्यपक युवा नेता प्रहलाद बरवड़ मंढा अम्बेडकर सेवा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्र डानिया सोशियल एक्टिविस्ट पूरण नागौरा धर्मेंद्र विद्यार्थी महेश काला मूल चन्द पिपरालीया राजलिया आदि उपस्थित थे अधिक जानकारी के लिए मेरे सामाजिक ब्लॉग गूगल पर सामाजिक समरसता के नाम से सर्च करे या लॉगिन करे नवरत्न मंडुसिया डॉट ब्लोग्सपॉट डॉट कॉम ओर सामाजिक समरसता से रिलेटेड अन्य लिंक देखे :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा






















Saturday, 1 June 2019

मदीना मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के भाइयों को 26 वें रोजे पर राकेश वर्मा द्वारा रोजा इफ्तार दावत दी गई।

नवरत्न मंडुसिया |||  मंडुसिया रिपोर्ट के अनुसार सुरेरा में रमजान के मुबारक माह के 26 वें रोजे पर समाज सेवी राकेश वर्मा  पैगवार के संयोजकत्व में मदीना मस्जिद परिसर में मुस्लिम जमात के लोगों को रोजा इफ्तार की दावत दी गई।इस दौरान रमजान पाक माह की मुबारकबाद देते हुए राकेश वर्मा ने कहा कि रमजान का महीना हमें अमन, प्रेम, समर्पण, शांति का सन्देश देता है। हमें आपस मे मिलकर समाज में आपसी भाईचारा व सहयोग के बंधन को और मजबूत कर अवसरवादी ताकतों को कमजोर करने का संकल्प लेना होगा । इस मौके पर रोजेदारों ने अल्लाह तआला से देश में अमन चैन की दुआ मांग कस्बे में शनिवार को शाम को 7 .26 बजे मदीना मस्जिद  में मुस्लिम समुदाय के भाइयों को 26 वें रोजे पर राकेश वर्मा द्वारा रोजा इफ्तार दावत दे कर सामुदायिक सौहार्द व् आपसी भाई चारे की मिशाल पेश की गई। मुस्लिम समुदाय द्वारा  इमाम मौलाना इजहार आलम ने मस्जिद में ख़ुदा के सजदे में  नमाज अदा कर  अमन , चैन , भाई चारे , विकास एवं खुशहाली की दुआ मांगी गई। इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय के भाईयो के साथ दावत दी गई। इस दौरान सुरेरा सरपंच छितर मल मीणा भारतीय  मेघवाल युवासंघ राजस्थान प्रदेश के सीकर जिलाध्यक्ष ईश्वर चन्द  मण्डुसिया , गोपाल सिंह,अर्जुन मुंडोतिया, मनमोहन , हुसैन मनियार, नाथू शाह, माले खां तेली,  छितर साईं,  फतेह मोहम्द, मुनीर खां , रफीक खां, हनीफ शाह ,आमीन खा,मांगू खा, अब्दुल ,असलम ,मोसिम आदि उपस्थित थे।



Thursday, 18 April 2019

प्रदीप डोगीवाल की शिक्षक भूमिका अव्वल

नवरत्न मंडुसिया!!में नवरत्न मंडुसिया आज एक शिक्षक प्रदीप डोगीवाल पुत्र श्री बलदेवा राम डोगीवाल के बारे में इनकी कहानी बताने जा रहा हु प्रदीप डोगीवाल एक टीचर के साथ साथ एंकर से भी कम नही है प्रदीप डोगीवाल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव से की है प्रदीप डोगीवाल सीकर जिले के धोद तहसील के काशी का बास में जन्मे है डोगीवाल एक शिक्षक के साथ साथ सामाजिक सेवा में भी अव्वल रहते है आइये जानते है प्रदीप डोगीवाल के बारे में दोस्तो में नवरत्न मंडुसिया एक सामाजिक ब्लॉग चलता हूं और ब्लॉग का नाम है सामाजिक समरसता इस  ब्लॉग का उद्देश्य सामाजिक समरसता लाना है जिंदगी के  23 वर्ष कैसे बीत गए, बड़ा अजीब लगता है। यूं महसूस होता है कि अरे ये अभी-अभी ही गुजरे है लेकिन मेहनत और लगन ने आज प्रदीप डोगीवाल को प्रथम प्रयास में ही पाली में शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी है यह युवा अपनी शिक्षा प्रणाली में अच्छा योगदान तो देते भी है साथ साथ मे बच्चों को मोटिवेट भी करते रहते है जब में नवरत्न मंडुसिया पहली बार सन 2013 में सीकर के एक शिक्षक बीएड कॉलेज और बीएसटीसी कॉलेज के विद्या भारती कॉलेज में मिला तो मुझे मिलकर अच्छा लगा इनकी हर एक बातो से वाकिब हुवा हमेशा हर सांस्कृतिक कार्यक्रम में आगे रहते थे और अव्वल भी रहते थे मुझे मिलकर अच्छा लगा  प्रदीप डोगीवाल की शिक्षा बीए ओर बीएसटीसी है प्रदीप डोगीवाल का एक भाई सुरेश डोगीवाल भी है वह भी अभी पढ़ाई कर रहा है माता भवरी देवी के आदर्शो पर चलते है पिता से हमेशा मोटिवेशनल होने के लिए आगे बढ़ते रहे रहते है वाकई ये बरस फूलों की खुशबू पर सवार थे। भीनी-भीनी और हौले-हौले चलती हवाओं में खुशबू और वक्त रंग-बिरंगी तितली बन गया था। उसके परों पर ये बरस केसर की क्यारियों में धुलते रहे। ये बरस न बोझ बने न चट्टान की तरह काटने पड़े, मुस्कुराहटों, लोरियों, अपनेपन के मोरपंख से रास्ता बनाते रहे। हालांकि  प्रदीप डोगीवाल का शिक्षक बनाना इतना  आसान नहीं था लेकिन  ये वक्त के कठोर मेहनत कठोर परिश्रम और चट्टानी चुनौतियों पर उगी हुई हरी घास थी। ये घास आश्वस्त करती थी कि अभी संभावनाओं के फूल, उम्मीदों की तितलियां, होठों पर मुस्कुराहट के अंकुर फूटेंगे बे आवाज और रातरानी की तरह अंधेरे में खुशबुओं के उजास बिखरेंगे और दिन की तमाम तपीश और त्रासदियां तिरोहित होकर रातरानी की गंध में समा जाती थीं। जिंदगी बड़ी अजीब है। कठोर भी और बच्चे की मुस्कुराहट और किलकारी भी। प्रदीप डोगीवाल शिक्षक बनकर बच्चों के बीच आ गया था। पहली ही बार उन जोधपुरी रास्तों के कठोर घुमाओं से गुजरते हुए लू-लपट के बीच जीर्ण-सी इमारत के परिसर में आ गया था। प्रदीप डोगीवाल को आश्चर्य हुआ था कि मुझे जरा-सा भी परायापन, अनजानापन, अपरिचय महसूस ही नहीं हुआ था। इमारत में उसके पटाव में, उजालदानों में कबूतर गुटूर गूं कर रहे थे। फटी टाटपट्टियों पर बच्चे बैठे पट्टियों पर लिख रहे थे। उस दिन मुझे ऐसा क्यूं लगा था कि मैं यहीं से कहीं गया था और फिर अपनों के बीच लौटा हूं। शायद यही अपनापन मेरे अंतस से उमड़-घुमड़कर बाहर आ गया था, मैं उन्हीं गुटूर गूं और किलकारियों में समा गया था। एक शिक्षक की जिंदगी का यह पहला दिन था जो पगडंडी बनकर सरपट भागने लगा था। एक अल्हड़ बालक की तरह... मैं उन्हीं का हिस्सा हो गया था।  प्रदीप डोगीवाल ने वर्तमान में खेल ग्राउंड सरपंच से पास करवाया है तथा साथ मे दो लाख का बजट भी पास करवाया है इतनी कम उम्र में बड़ी सोच रखने वाले युवा कम ही मिलेंगे ऐसे शिक्षकों को आगे बढ़ना चाहिए और देशभक्ति देश हित मे अच्छा योगदाना देना चाहिये एक अध्यापक बच्चों को क्या दे सकता है? क्या आश्वासन दे सकता है? एक खूबसूरत दुनिया का सपना दे सकता है। आंखों के फैले बियाबान में दूर कहीं टिमटिमाती रोशनी का ख्वाब दे सकता है। ओर अच्छी शिक्षा के अलावा देने को उसके पास क्या है। लेकिन अच्छी शिक्षा के साथ साथ विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के लिए उनको शिक्षा दे सकता है कठोर दुनिया से टकराकर चूर-चूर होती उम्मीदें, तिड़कते-बिखरते सपनों को निरंतर जोड़ते हुए बच्चों की उम्मीदों को थपकियां दे सकता है। हर बार बच्चों के टूटते सपनों को एक आशा की डोर से बांधकर दूर गगन में उड़ाता है। अभी डोगीवाल सरकारी सेवा में केवल कुछ ही दिन हुवे है लेकिन फिर भी बच्चों की किलकारियों में रहा, मासूम और भोलेपन की दुनिया में रहा। उनकी निर्दोष आंखों की चमक में रहा, कभी उनके उदास और आंसुओं से भरी पलकों में रहा। वे होठ जब मुस्कुराते थे तो लगता था तपते रेगिस्तान में ठंडी हवा का झोंका आ रहा है। वे कुछ कहते थे मैं सुनता था, उन अबोध शब्दों में कितना अपनापन, कितनी बड़ी दुनिया समाई होती थी। किताबों के पाठ और कविताएं, अक्षर-अक्षर, शब्द-शब्द शहद के मानिंद हो उठते थे। वाकई वह कक्षा सिर्फ कक्षा नहीं होती थी। वह मुस्कुराहट और उमंग से भरी डलिया होती थी, जो किसी उत्सव की तैयारी का पता देती थी। और आज चालीस बरस लंबी किलकारियों, हंसते-खेलते, मुस्कुराते बच्चों की दुनिया से जा रहा हूं। कितना सूना और सन्नाटा-सा मैं अपने चारों तरफ पा रहा हूं। हमेशा खुद स्वार्थ नही देखते है डोगीवाल हमेशा देश का भविष्य देखते है ज्यादातर डोगीवाल बच्चों की शिक्षा पर जोर देते है डोगीवाल आपसी प्रेमभाव भाईचारे में विश्वास रखते है जातिवाद के खिलाफ है कभी किसी को ऊँचा नीचा नही समझा सभी का एक खून है इसी पर मनन करते है और सब एक ह इस पर विश्वास करते है प्रदीप डोगीवाल अपनी पत्नी अनिता डोगीवाल को भी मोटिवेशनल लिंक मानते है अनिता डोगीवाल अभी वर्तमान में पढ़ाई के साथ साथ सास ससुर ओर परिवार जनों को भी संभालती है उन शिक्षकों, शिक्षिकाओं के द्वारा दिए गए मान-सम्मान को उससे ज्यादा अपनेपन को महसूसता हूं अपना समझा जैसे रिश्तों की डोर से बंधे रहे, एक पारिवारिक वातावरण में सामाजिक जवाबदारियों में रहे:- नवरत्न मंडुसिया

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...