नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //ज्ञान की रोशनी में जीने वाली महिलाएं दूसरे को नेकी के मार्ग पर चलने को प्रेरित करती हैं। इनका सुंदर व्यवहार दूसरों के घरों में प्रेम व शांति का वातावरण पैदा करता है। यह विचार युवा सोच की बुलंद आवाज़ और दलितों की मसीहा के रुप मे दलितों की आवाज़ बन रही युवा क्रान्तिकारी जिला परिषद सदस्य ममता सिंह निठारवाल का कहना है पुरुष प्रधान इस देश में महिलाओं को बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए। महिलाओं की समानता से घर-परिवार की खुशहाली निर्भर है। ममता सिंह निठारवाल ने बताया की भारत में आज़ादी के बाद से ही वोट देने का अधिकार तो मिल गया लेकिन आज भी भारत की पंचायतों में महिलाओं की 50 प्रतिशत से अधिक भागीदारी है। इसलिये सर्व समाज की ज्यादातर महिलाओ को आगे आना चाहिये और समानता का अधिकार है उसका पूरा फ़ायदा उठाना चाहिये महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करने वाली एक महिला वकील बेल्ला अब्ज़ुग के प्रयास से 1971 से 26 अगस्त को 'महिला समानता दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा। महिला समानता दिवस मानाने वाला पहला देश न्यूजीलैंड था तथा भारत में महिलाओं की स्थिति बहूत ही दयनीय थी भारत ने महिलाओं को आज़ादी के बाद से ही मतदान का अधिकार पुरुषों के बराबर दिया,
परन्तु यदि वास्तविक समानता की बात करें तो भारत में आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति गौर करने के लायक है। यहाँ वे सभी महिलाएं नज़र आती हैं, जो सभी प्रकार के भेदभाव के बावजूद प्रत्येक क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर चुकी हैं और सभी उन पर गर्व भी महसूस करते हैं। परन्तु इस कतार में उन सभी महिलाओं को भी शामिल करने की ज़रूरत है, जो हर दिन अपने घर में और समाज में महिला होने के कारण असमानता को झेलने के लिए विवश है। चाहे वह घर में बेटी, पत्नी, माँ या बहन होने के नाते हो या समाज में एक लड़की होने के नाते हो। आये दिन समाचार पत्रों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी खबरों को पढ़ा जा सकता है, परन्तु इन सभी के बीच वे महिलाएं जो अपने ही घर में सिर्फ इसीलिए प्रताड़ित हो रही हैं, क्योंकि वह एक औरत है।
ममता सिंह निठारवाल का कहना है की आज के युग मे जात-पांत, ऊंच-नीच, गरीबी-अमीरी, धर्म-सम्प्रदाय व महिला-पुरुष के भेदभाव को खत्म करके आध्यात्मिक जागृति पैदा कर रहा है। और ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे मे प्रेम भाव की जागृति पेदा होनी चाहिये क्यों की जहाँ महिलाओ की पूजा होती है वहा पर देवता निवास करते है :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से
ममता सिंह निठारवाल का कहना है की आज के युग मे जात-पांत, ऊंच-नीच, गरीबी-अमीरी, धर्म-सम्प्रदाय व महिला-पुरुष के भेदभाव को खत्म करके आध्यात्मिक जागृति पैदा कर रहा है। और ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे मे प्रेम भाव की जागृति पेदा होनी चाहिये क्यों की जहाँ महिलाओ की पूजा होती है वहा पर देवता निवास करते है :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से
ममता सिंह निठारवाल एक कार्यक्रम मे भाषण देते हुवे
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