Tuesday 11 June 2019

बाबा साहेब अम्बेडकर ओर नीला रंग

नवरत्न मंडुसिया ¡¡ बहुजन समाज का नीला रंग शांति का प्रतीक रंग है यह नीला रंग बहुत ही शक्तिशाली रंगों में शुमार है  आप दलितों के संघर्ष को देखें तो तब भी आप दलितों के साथ नीले रंग के झंडे को पाएंगे। हाल ही में जब पूरे देश में दलितों ने एससी एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया था तो उस समय भी रैलियां नीले रंग के झंडों और टोपियों से पटी पड़ी थीं। जब भी दलितों का कोई मार्च या रैली निकलती है, तो उसमें भी नीला रंग लहराता दिखता है। ओर जब बहुजनों में यह रंग दिख जाता है तो उन बहुजनों में ओर ज्यादा क्रांति आ जाती है बाबा साहेब का ही देन है कि भ्रातबमे सभी समुदायों को समानता का अधिकार दिया गया शिक्षा का अधिकार दिया गया बोलने का अधिकार दिया गया बाबा साहेब ने कभी बि वक समाज के बारे में नही सोचा उन्होंने सोचा तो सभी समुदायों के बारे में सोचा आज सबको समानता का अधिकार है 
अंबेडकर की पार्टी का रंग भी नीला था

आपको बता दें कि बीआर अंबेडकर ने अपनी एक पार्टी बनाई थी, जिसका नाम था 'इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी'। ऐसा कहा जाता है कि अपनी पार्टी के झंडे का रंग उन्होंने नीला रखा था। बता दें कि उन्होंने यह रंग महाराष्ट्र के सबसे बड़े दलित वर्ग महार के झंडे से लिया। साल 2017 में अर्थ नाम के जर्नल में 'फैब्रिक रेनेड्रेड आइडेंटिटीः ए स्टडी ऑफ पब्लिक रिप्रेजेंटेशन इन रंजीता अताकाती' में प्रकाशित शोध पत्र भी यही बात कही गई है। तब से अंबेडकर ने इस नीले रंग को दलित चेतना का प्रतीक माना था।

आकाश का रंग भी नीला
आकाश यानी आसमान को विशालात का प्रतीक माना जाता है। यह सभी जानते है आकाश का रंग भी नीला है। यह वह रंग है जो बिना भेदभाव के लोगों को अपनाता है। आसमान के तले खड़ा हर व्यक्ति, हर समुदाय एक बराबर होता है। यह एक मात्र थ्योरी है लेकिन इस वजह से भी नीला रंग बाबा सहब से जुड़ा है। आपको बता दें कि इस तथ्य का कोई पुख्ता आधार नहीं।
बाबा साहब को नीले रंग का सूट बहुत पसंद था
ऐसा कहा जाता है कि बाबा साहब अंबेडकर को नीले रंग का सूट बहुत पसंद था। वो अक्सर नीले रंग का थ्री पीस सूट पहना करते थें। चूंकि अंबेडकर नीले रंग के सूट में होते थे, लिहाजा दलित समाज ने इस रंग को अपनी अस्मिता और प्रतीक के रूप में लिया और इस रंग को अपनाया। यही कारण है कि देशभर में अंबेडकर की जितनी भी मूर्तियां मिलेंगी सब नीले रंग में रंगी हैं।

राजस्थान में प्रसूति सहायता योजना


नवरत्न मंडुसिया || हितलाभ  लड़की का जन्म होने पर 21,000 रू. तथा लड़के का जन्म होने पर 20,000 रू.
पात्रता एवं शर्ते 1. प्रसव से 6 सप्ताह पूर्व हिताधिकारी का पंजीयन आवश्यक।
2. अधिकतम दो प्रसव तक देय।
3. संस्थागत प्रसव होने अर्थात अस्पताल में प्रसूति होने की स्थिति में ही लाभ देय।
4. प्रसव के समय हिताधिकारी की आयु 20 वर्ष से कम नहीं हो।
5. पंजीयन से पूर्व 2 संतान होने की दशा में सहायता देय नहीं। पंजीयन से पूर्व एक सन्तान होने पर पंजीयन के पश्चात एक प्रसव हेतु ही सहायता देय।
आवेदन करने की समय सीमा प्रसव तिथि के 90 दिन में (अस्पताल में प्रसूति होने का प्रमाण पत्र)
आवेदन के साथ लगाये जाने वाले दस्तावेज 1. डिलीवरी डिस्चार्ज टिकट/ममता कार्ड।
2. बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र।
3. हिताधिकारी के पंजीयन पत्र की प्रति।
4. हिताधिकारी पंजीयन परिचय पत्र या कार्ड की प्रति
5. भामशाह परिवार कार्ड या भामाषाह नामांकन की प्रति
6. आधार कार्ड की प्रति
7. बैंक खाता पासबुक के पहले पृष्ठ की प्रति 



Sunday 9 June 2019

डॉक्टर भीम राव अंबडेकर सेवा समिति दांतारामगढ़ की सामाजिक पहल शुरू गाँव गाँव ढाणी ढाणियों में

सामाजिक समरसता//आज सुरेरा में सामाजिक कुरूतियों को लेकर मीटिंग का आयोजन किया गया सुरेरा में पिछले 15 सालों से मेघवाल समाज वार्ड नम्बर चार में मृत्युभोज बन्द है और इसके साथ साथ कई सामाजिक बुराइयों को बंद कर रखा है अब अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति में भी सामाजिक कुरूतियों को मिटाने का संकल्प ले रहे है इस माध्यम को ध्यान में रखते हुवे आज सुरेरा में भी सामाजिक मीटिंग का आयोजन किया गया डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ का उद्देश्य समाज मे व्याप्त कुरीतियों को मिटाना दहेज प्रथा खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक करना, गरीब कन्याओं का विवाह करवाना, भ्रूणहत्या का विरोध करना व गरीब लोगों की हर संभव सहायता करना है, शिक्षा, विधार्थियो को शेक्षिक परामर्श व् मार्गदर्शन, शराब व् अन्य प्रकार के नशा के दुष्प्रभावो पर चर्चा करना सभी सामाजिक कुरूतियो पर विचार करना है। ग्रामीण स्तर पर प्रतिभाओं का  सम्मानित  करना। निवेदक डॉ भीमराव अंबेडकर सेवा संस्थान  (रजि.) दांतारामगढ़ , सीकर जिसको लेकर समाज कल्याण दल प्रदेश के विभिन्न जिलों में अभियान चलाए हुए है। इसके अलावा अपना सदस्यता अभियान चलाए हुए है। युवाओं को अधिक से अधिक अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ में शामिल कर सामाजिक बुराइयों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ के निर्देशन में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान में युवा गाव में घर-घर जाकर ग्रामीणों को दहेज प्रथा का विरोध करने के लिए जागरूक कर रहे है। दहेज लेना व देना कानून जुर्म है। भ्रूणहत्या एक सामाजिक बुराई है, जो समाज के उपर कलंक है। जिसके कारण आज समाज में बेटियों की संख्या कम होती जा रही है, जिसके लिए भ्रूणहत्या जैसी समाजिक बुराई का अंत होना अति आवश्यक है। इसके कारण समाज में लड़के व लड़कियों के अनुपात में भारी अंतर हो गया है। अम्बेडकर सेवा समिति दांतारामगढ़ समाज में फैली नशाखोरी को खत्म करने के लिये जनता को जागरूक कर रहे है। नशाखोरी के कारण समाज में अपराध बढ़ा है। युवा नशे में अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते है। इसके अलावा कई फोकस को ध्यान में देते हुवे सामाजिक कुरूतियों को जड़ से समाप्त करने की प्रेणना ले रहे है इस अवसर पर अधिक से अधिक युवा भाग ले रहे है यह अभियान दांतारामगढ़ के हर गाँव मे जाकर चला रहे है और इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज को संघटित करना है और समाज मे व्याप्त कुरूतियों को मिटाना है इस अभियान में डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर सेवा समिति के पदाधिकारी सामूहिक रूप से भाग ले रहे है इस अवसर पर व्याख्यता राकेश वर्मा सुरेरा सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर चन्द चन्द मंडुसिया सुरेरा हेमा राम बलाई प्रधनाध्यपक युवा नेता प्रहलाद बरवड़ मंढा अम्बेडकर सेवा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्र डानिया सोशियल एक्टिविस्ट पूरण नागौरा धर्मेंद्र विद्यार्थी महेश काला मूल चन्द पिपरालीया राजलिया आदि उपस्थित थे अधिक जानकारी के लिए मेरे सामाजिक ब्लॉग गूगल पर सामाजिक समरसता के नाम से सर्च करे या लॉगिन करे नवरत्न मंडुसिया डॉट ब्लोग्सपॉट डॉट कॉम ओर सामाजिक समरसता से रिलेटेड अन्य लिंक देखे :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा






















Saturday 1 June 2019

मदीना मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के भाइयों को 26 वें रोजे पर राकेश वर्मा द्वारा रोजा इफ्तार दावत दी गई।

नवरत्न मंडुसिया |||  मंडुसिया रिपोर्ट के अनुसार सुरेरा में रमजान के मुबारक माह के 26 वें रोजे पर समाज सेवी राकेश वर्मा  पैगवार के संयोजकत्व में मदीना मस्जिद परिसर में मुस्लिम जमात के लोगों को रोजा इफ्तार की दावत दी गई।इस दौरान रमजान पाक माह की मुबारकबाद देते हुए राकेश वर्मा ने कहा कि रमजान का महीना हमें अमन, प्रेम, समर्पण, शांति का सन्देश देता है। हमें आपस मे मिलकर समाज में आपसी भाईचारा व सहयोग के बंधन को और मजबूत कर अवसरवादी ताकतों को कमजोर करने का संकल्प लेना होगा । इस मौके पर रोजेदारों ने अल्लाह तआला से देश में अमन चैन की दुआ मांग कस्बे में शनिवार को शाम को 7 .26 बजे मदीना मस्जिद  में मुस्लिम समुदाय के भाइयों को 26 वें रोजे पर राकेश वर्मा द्वारा रोजा इफ्तार दावत दे कर सामुदायिक सौहार्द व् आपसी भाई चारे की मिशाल पेश की गई। मुस्लिम समुदाय द्वारा  इमाम मौलाना इजहार आलम ने मस्जिद में ख़ुदा के सजदे में  नमाज अदा कर  अमन , चैन , भाई चारे , विकास एवं खुशहाली की दुआ मांगी गई। इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय के भाईयो के साथ दावत दी गई। इस दौरान सुरेरा सरपंच छितर मल मीणा भारतीय  मेघवाल युवासंघ राजस्थान प्रदेश के सीकर जिलाध्यक्ष ईश्वर चन्द  मण्डुसिया , गोपाल सिंह,अर्जुन मुंडोतिया, मनमोहन , हुसैन मनियार, नाथू शाह, माले खां तेली,  छितर साईं,  फतेह मोहम्द, मुनीर खां , रफीक खां, हनीफ शाह ,आमीन खा,मांगू खा, अब्दुल ,असलम ,मोसिम आदि उपस्थित थे।



Thursday 18 April 2019

प्रदीप डोगीवाल की शिक्षक भूमिका अव्वल

नवरत्न मंडुसिया!!में नवरत्न मंडुसिया आज एक शिक्षक प्रदीप डोगीवाल पुत्र श्री बलदेवा राम डोगीवाल के बारे में इनकी कहानी बताने जा रहा हु प्रदीप डोगीवाल एक टीचर के साथ साथ एंकर से भी कम नही है प्रदीप डोगीवाल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव से की है प्रदीप डोगीवाल सीकर जिले के धोद तहसील के काशी का बास में जन्मे है डोगीवाल एक शिक्षक के साथ साथ सामाजिक सेवा में भी अव्वल रहते है आइये जानते है प्रदीप डोगीवाल के बारे में दोस्तो में नवरत्न मंडुसिया एक सामाजिक ब्लॉग चलता हूं और ब्लॉग का नाम है सामाजिक समरसता इस  ब्लॉग का उद्देश्य सामाजिक समरसता लाना है जिंदगी के  23 वर्ष कैसे बीत गए, बड़ा अजीब लगता है। यूं महसूस होता है कि अरे ये अभी-अभी ही गुजरे है लेकिन मेहनत और लगन ने आज प्रदीप डोगीवाल को प्रथम प्रयास में ही पाली में शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी है यह युवा अपनी शिक्षा प्रणाली में अच्छा योगदान तो देते भी है साथ साथ मे बच्चों को मोटिवेट भी करते रहते है जब में नवरत्न मंडुसिया पहली बार सन 2013 में सीकर के एक शिक्षक बीएड कॉलेज और बीएसटीसी कॉलेज के विद्या भारती कॉलेज में मिला तो मुझे मिलकर अच्छा लगा इनकी हर एक बातो से वाकिब हुवा हमेशा हर सांस्कृतिक कार्यक्रम में आगे रहते थे और अव्वल भी रहते थे मुझे मिलकर अच्छा लगा  प्रदीप डोगीवाल की शिक्षा बीए ओर बीएसटीसी है प्रदीप डोगीवाल का एक भाई सुरेश डोगीवाल भी है वह भी अभी पढ़ाई कर रहा है माता भवरी देवी के आदर्शो पर चलते है पिता से हमेशा मोटिवेशनल होने के लिए आगे बढ़ते रहे रहते है वाकई ये बरस फूलों की खुशबू पर सवार थे। भीनी-भीनी और हौले-हौले चलती हवाओं में खुशबू और वक्त रंग-बिरंगी तितली बन गया था। उसके परों पर ये बरस केसर की क्यारियों में धुलते रहे। ये बरस न बोझ बने न चट्टान की तरह काटने पड़े, मुस्कुराहटों, लोरियों, अपनेपन के मोरपंख से रास्ता बनाते रहे। हालांकि  प्रदीप डोगीवाल का शिक्षक बनाना इतना  आसान नहीं था लेकिन  ये वक्त के कठोर मेहनत कठोर परिश्रम और चट्टानी चुनौतियों पर उगी हुई हरी घास थी। ये घास आश्वस्त करती थी कि अभी संभावनाओं के फूल, उम्मीदों की तितलियां, होठों पर मुस्कुराहट के अंकुर फूटेंगे बे आवाज और रातरानी की तरह अंधेरे में खुशबुओं के उजास बिखरेंगे और दिन की तमाम तपीश और त्रासदियां तिरोहित होकर रातरानी की गंध में समा जाती थीं। जिंदगी बड़ी अजीब है। कठोर भी और बच्चे की मुस्कुराहट और किलकारी भी। प्रदीप डोगीवाल शिक्षक बनकर बच्चों के बीच आ गया था। पहली ही बार उन जोधपुरी रास्तों के कठोर घुमाओं से गुजरते हुए लू-लपट के बीच जीर्ण-सी इमारत के परिसर में आ गया था। प्रदीप डोगीवाल को आश्चर्य हुआ था कि मुझे जरा-सा भी परायापन, अनजानापन, अपरिचय महसूस ही नहीं हुआ था। इमारत में उसके पटाव में, उजालदानों में कबूतर गुटूर गूं कर रहे थे। फटी टाटपट्टियों पर बच्चे बैठे पट्टियों पर लिख रहे थे। उस दिन मुझे ऐसा क्यूं लगा था कि मैं यहीं से कहीं गया था और फिर अपनों के बीच लौटा हूं। शायद यही अपनापन मेरे अंतस से उमड़-घुमड़कर बाहर आ गया था, मैं उन्हीं गुटूर गूं और किलकारियों में समा गया था। एक शिक्षक की जिंदगी का यह पहला दिन था जो पगडंडी बनकर सरपट भागने लगा था। एक अल्हड़ बालक की तरह... मैं उन्हीं का हिस्सा हो गया था।  प्रदीप डोगीवाल ने वर्तमान में खेल ग्राउंड सरपंच से पास करवाया है तथा साथ मे दो लाख का बजट भी पास करवाया है इतनी कम उम्र में बड़ी सोच रखने वाले युवा कम ही मिलेंगे ऐसे शिक्षकों को आगे बढ़ना चाहिए और देशभक्ति देश हित मे अच्छा योगदाना देना चाहिये एक अध्यापक बच्चों को क्या दे सकता है? क्या आश्वासन दे सकता है? एक खूबसूरत दुनिया का सपना दे सकता है। आंखों के फैले बियाबान में दूर कहीं टिमटिमाती रोशनी का ख्वाब दे सकता है। ओर अच्छी शिक्षा के अलावा देने को उसके पास क्या है। लेकिन अच्छी शिक्षा के साथ साथ विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के लिए उनको शिक्षा दे सकता है कठोर दुनिया से टकराकर चूर-चूर होती उम्मीदें, तिड़कते-बिखरते सपनों को निरंतर जोड़ते हुए बच्चों की उम्मीदों को थपकियां दे सकता है। हर बार बच्चों के टूटते सपनों को एक आशा की डोर से बांधकर दूर गगन में उड़ाता है। अभी डोगीवाल सरकारी सेवा में केवल कुछ ही दिन हुवे है लेकिन फिर भी बच्चों की किलकारियों में रहा, मासूम और भोलेपन की दुनिया में रहा। उनकी निर्दोष आंखों की चमक में रहा, कभी उनके उदास और आंसुओं से भरी पलकों में रहा। वे होठ जब मुस्कुराते थे तो लगता था तपते रेगिस्तान में ठंडी हवा का झोंका आ रहा है। वे कुछ कहते थे मैं सुनता था, उन अबोध शब्दों में कितना अपनापन, कितनी बड़ी दुनिया समाई होती थी। किताबों के पाठ और कविताएं, अक्षर-अक्षर, शब्द-शब्द शहद के मानिंद हो उठते थे। वाकई वह कक्षा सिर्फ कक्षा नहीं होती थी। वह मुस्कुराहट और उमंग से भरी डलिया होती थी, जो किसी उत्सव की तैयारी का पता देती थी। और आज चालीस बरस लंबी किलकारियों, हंसते-खेलते, मुस्कुराते बच्चों की दुनिया से जा रहा हूं। कितना सूना और सन्नाटा-सा मैं अपने चारों तरफ पा रहा हूं। हमेशा खुद स्वार्थ नही देखते है डोगीवाल हमेशा देश का भविष्य देखते है ज्यादातर डोगीवाल बच्चों की शिक्षा पर जोर देते है डोगीवाल आपसी प्रेमभाव भाईचारे में विश्वास रखते है जातिवाद के खिलाफ है कभी किसी को ऊँचा नीचा नही समझा सभी का एक खून है इसी पर मनन करते है और सब एक ह इस पर विश्वास करते है प्रदीप डोगीवाल अपनी पत्नी अनिता डोगीवाल को भी मोटिवेशनल लिंक मानते है अनिता डोगीवाल अभी वर्तमान में पढ़ाई के साथ साथ सास ससुर ओर परिवार जनों को भी संभालती है उन शिक्षकों, शिक्षिकाओं के द्वारा दिए गए मान-सम्मान को उससे ज्यादा अपनेपन को महसूसता हूं अपना समझा जैसे रिश्तों की डोर से बंधे रहे, एक पारिवारिक वातावरण में सामाजिक जवाबदारियों में रहे:- नवरत्न मंडुसिया

Wednesday 27 March 2019

लोक सभा सीट भारत मे

राज्यक्षेत्र प्रकारराज्य/केशाप्रलोकसभा सीटेंसीटों के प्रकार
सामान्य वर्गअनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति
1राज्यउत्तर प्रदेश806317-kirman
2राज्यमहाराष्ट्र483954
3राज्यआन्ध्र प्रदेश252041
4राज्यपश्चिम बंगाल4230102
5राज्यबिहार40346-
6राज्यतमिल नाडु39327-
7राज्यमध्य प्रदेश291946
8राज्यकर्ण282152
9राज्यगुजरात262024
10राज्यराजस्थान251843
11राज्यउड़ीसा211335
12राज्यकेरल20182-
13राज्यतेलंगाना171232
14राज्यअसम141112
15राज्यझारखण्ड14815
16राज्यपंजाब1394-
17राज्यछत्तीसगढ़11614
18राज्यहरियाणा1082-
19के.शा.प्र.दिल्ली761-
20राज्यजम्मू और कश्मीर66--
21राज्यउत्तराखण्ड541-
22राज्यहिमाचल प्रदेश431-
23राज्यअरुणाचल प्रदेश22--
24राज्यगोआ22--
25राज्यत्रिपुरा21-1
26राज्यमणिपुर21-1
27राज्यमेघालय2--2
28के.शा.प्र.अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह11--
29के.शा.प्र.चण्डीगढ़11--
30के.शा.प्र.दमन और दीव11--
31के.शा.प्र.दादर और नागर हवेली1--1
32राज्यनागालैण्ड11--
33के.शा.प्र.पॉण्डिचेरी11--
34राज्यमिज़ोरम1--1
35के.शा.प्र.लक्षद्वीप1--1
36राज्यसिक्किम11--
----देशभारत5434128447



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    Friday 8 March 2019

    नवरत्न मंडुसिया की कलम से समाज मे शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक की भूमिका

    नवरत्न मंडुसिया!!में नवरत्न मंडुसिया आज एक अध्यापक एक टीचर एक शिक्षक के बारे में बताने जा रहा हु दोस्तों आज के जमाने मे शिक्षको का नाम असामाजिक तत्वों ने नाम खराब कर रखा है लेकिन उन समाज के असामाजिक तत्वों को हमे समाज से बहिष्कृत करके समाज मे अच्छे शिक्षक का निर्माण करना है दोस्तो शिक्षक का मतलब होता है अच्छी शिक्षा देना समाज का अच्छा निर्माण करना बड़ो का समान करना परिवार की एकजुटता की शिक्षा देना भारत सरकार ने भी कई कार्यक्रम चला रखी है कि शिक्षा का अधिकार सभी को मिले हमे शिक्षा का अधिकार का फायदा उठा कर हमें फायदा लेना चाहिए शिक्षक शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द टीचर का हिंदी अनुवाद जैसा प्रतीत होता है। यानि एक ऐसा इंसान जो शिक्षण का कार्य करता है। सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को सहजता और विशेषज्ञता के साथ करता है। ओर अच्छी शिक्षा दे सके भारत में शिक्षक के लिए गुरू शब्द का प्रयोग प्राचीनकाल से होता आया है, गुरू का शाब्दिक अर्थ होता है संपूर्ण यानि जो हमें जीवन की संपूर्णता को हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए हमारा पथ आलोकित करता है। 21वीं सदी में शिक्षा अनेकानेक बदलाव के दौर से गुजर रही है, पर मानवीय संपर्क और दो-तरफा संवाद की भूमिका समय के साथ और भी ज्यादा प्रासंगिक होकर हमारे सामने आ रही है। ओर गुरु वही होता है जो अच्छी शिक्षा भेंट करे गुरु कोई भी हो सकता है यानी जो अच्छी शिक्षा दे वही गुरु होता है इसलिए जीवन मे एक गुरु बनाना भी जरूरी होता है आइये में नवरत्न मंडुसिया सुरेरा आपको विस्तार से अवगत कराता हु की शिक्षक क्या होता है गुरू की रूपरेखा क्या होती है
    शिक्षक की भूमिका है महत्वपूर्ण:- वर्तमान समय गाइडलाइन जरूरी है वह छोटी से गाइडलाइन मनुष्य के जीवन को इतना उकेर देती है की वह अपने जीवन की अनमोल जिंदगी को साकार कर देती है भले ही पश्चिमी देशों में पर्सनलाइज्ड लर्निंग जैसे संप्रत्यय लोकप्रियता पा रहे हैं और आर्टिफीशियल इंटलीजेंस पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है, मगर वैज्ञानिक इस बारे में चेतावनी भी जारी कर रहे हैं कि ऐसी तकनीक इंसानों के लिए एक दिन जानलेवा साबित हो सकती है। क्यो की जितनी गुरु की वाणी सबसे इमोर्टेन्ट होती है उतनी टेक्निकल चीजे इमोर्टेन्ट नही होती है क्यो की टेक्निकल चीजो को सोचने समझने की समझ नही होती है इसलिए शिक्षा में शिक्षकों का ही इमोर्टेन्ट लिंक होता है 
    बच्चों का पहला ‘रोल मॉडल’ होता है शिक्षक :- अभी हाल ही में एक अभिभावक ने अपने छोटे बच्चों के लिए स्कूल का चुनाव करने का अनुभव सुनाते हुए कहा कि परिवार के बाहर बच्चों का पहला ‘रोल मॉडल’ शिक्षक ही होता है। एक बच्चा बहुत से लोगों को अपने शिक्षक की बात मानता हुआ, उनके इशारे पर किसी काम को करते हुए और नेतृत्व करते हुए देखता है तो भीतर ही भीतर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके शिक्षक योग्य हों और अपने काम को पूरी विशेषज्ञता, तन्मयता और प्रभावशीलता के साथ करें। वही बालक उसी शिक्षक की भांति आगे बढ़ने की होड़ में आगे बढ़ता है और आगे बढ़कर ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है इसके साथ ही बच्चे को वह स्नेह और आश्वासन दें जो उसे भविष्य के लिए जिम्मेदारी लेने वाला, अपनी ग़लती स्वीकार करने वाला और अपनी ग़लतियों के सीखकर आगे बढ़ने वाला इंसान बनाएं ताकि वह जीवन में प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ता हुआ अपनी संभावनाओं को शिखर को छू सके और एक स्वपन को साकार कर सके जिसे इंसान की सर्वश्रेष्ठ संभावनाओं को वास्तविकता में बदलना कहते हैं। यह हुनर ही एक शिक्षक को ख़ास बनाता है कि वह संभावनाओं को सच्चाई में तब्दील करने का हुनर जानता है, वह अपने छात्र-छात्राओं को बच्चों जैसा नेह देता हे और चुनौतियों से जूझने और खुद से बाहर आने का संघर्ष करने की स्वायत्तता और स्वतंत्रता भी।
    शिक्षक मात्र वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है :- यानि शिक्षक की भूमिका एक ऐसे कोच की भांति है जो ओलंपिक जैसे किसी कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले खेल के लिए अपने बच्चों को तैयार करता है। मगर यह भी जानता है कि इस खेल में हर किसी को एक ही मंज़िल पर नहीं जाना है। इनमें से बहुत से हैं जो अच्छे दर्शक बनेंगे। इनमें वे भी हैं जो लेखक बनेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो संगीत की दुनिया में अपना नाम रौशन करेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो शिक्षक बनकर बाकी बच्चों के सपनों को साकार करने की भूमिका स्वीकार करेंगे। यानि एक शिक्षक संभावनाओं के द्वार के पार जाने वाले इंसानों को निर्माण की भूमिका में सदैव समर्पण के साथ लगा रहता है, वह मात्र वेतनभोगी नहीं होता। एक शिक्षक केवल पुरस्कार और पद का आकांक्षी नहीं होता, वह सच्चे अर्थों में एक विज़नरी होता है और भविष्य की दिशा तय करने व उसके बदलाव में अपनी भूमिका को सहज ही पहचान लेता है। भले कितनी ही मुश्किलें आएं, मगर वह इस रास्ते से कभी विमुख नहीं होता है। क्योंकि उसका काम अंधेरे के खिलाफ लड़ने वाली पीढ़ी को भविष्य की अबूझ चुनौतियों के लिए तैयार करना है, जिन चुनौतियों के बारे में वह सिर्फ अनुमान भर लगा सकता है। क्योंकि वे भविष्य के गर्त में हैं, इसलिए वह अपने छात्र-छात्राओं की क्षमता पर भरोसा करता है और उन्हें अपने जीवन में संघर्ष करने और अपने सपनों को जीने व उनका उनका पीछा करने के लिए सदैव प्रोत्साहित करता रहता है :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा 

    सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

    सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...