Thursday 5 April 2018

सामाजिक समरसता की शुरुवात सबसे पहले अपने घर से करनी चाहिये :- नवरत्न मंडुसिया


“सामाजिक समरसता” विषय पर  में नवरत्न मंडुसिया आपको सामाजिक समरसता पर मेरे इंटरनेशनल ब्लॉग  पर देश के विकास के लिए सामाजिक एकता की आवश्यकता होती है और समाज में एकता की पूर्व शर्त है सामाजिक समता. जब समता आएगी तो सामाजिक एकता अपने आप आएगी. इसके लिए हमें प्रयत्न करना होगा.मेरे हिसाब से यदि देश मे आगे बढ़ना है तो हमे देश मे शांति बनाए रखना चाहिए और भाईचारे की भांति रहना चाहिए वर्तमान समय मे आपसी फूट का माहौल बन रहा है लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए पता नही क्या क्या कर रहे है और आपसी फूट के कारण भारत देश मे मतभेद का माहौल बन रहा है दोस्तो दुनिया मे सबसे बड़ी शक्ति केवल है तो वो है भाईचारा  इसलिए हमें आपसी भाईचारा बनाये रखना चाहिए 2 अप्रेल को भारत देश लगभग जगह शांतिपूर्ण रहा है लेकिन कई जगह असामाजिक तत्वों की वजहों से माहौल भी खराब हुवा था तथा कई लोगो की मौते भी हुई थी लेकिन यह सब हमारी सब लोगो की वजह से हुवा है क्यो की हम लोग एक दूसरे की भावनाऐ समझ नही रहे है  इस लिए देश मे माहौल खराब हो रहा है यदि हम सब लोग एक दूसरे से प्रेम की भांति रहेंगे तो मानो बहुत जल्द ही भारत देश अग्रसर की ओर बढ़ जायेगा समाज मे सामाजिक समरसता के लिए समाज में जागरूकता लाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए. जिसमे हमारे समाज में विविधता है. स्वभाव, क्षमता और वैचारिक स्तर पर विविधता का होना स्वाभाविक भी है. भाषा, खान-पान, देवी-देवता, पंथ-सम्प्रदाय तथा जाति व्यवस्था में भी विविधता है. पर यह विविधता कभी हमारी आत्मीयता में बाधा उत्पन्न नहीं करती. विविध प्रकार के लोगों का समूह होने के बावजूद हम सब एक हैं. उन्होंने कहा कि समान व्यवहार, समता का व्यवहार होने से यह विविधता भी समाज का अलंकार बन जाती है. यदि हम लोग आपसी प्रेम से रहेंगे तो पड़ोसी देश मे भी हड़कम्प रहेगी इस लिए हमे आपसी प्रेम भाव रखना चाहिए तभी हम लोग आगे बढ़ पायेंगे हमारे देश में सभी विविधताओं में सबसे अधिक चर्चा जातिगत व्यवस्था की होती है. जातिभेद के कारण ही सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं और ये समस्याएं विषमता को जन्म देती हैं, जिसके कारण संघर्ष होता है. इसलिए समाज से जातिभेद को दूर करना होगा. सवाल किया कि इसका उपाय क्या है? उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका एकमात्र उपाय है  समरसता के लिए जातिगत व्यवस्थाओं को सही दिशा में काम करना चाहिए. जब तक सामाजिक भेदभाव है, तब तक देश में आरक्षण जारी रहना चाहिए  समरसता की शुरुआत स्वयं से करनी होगी. “हजार भाषणों से ज्यादा असर एक कार्यकर्ता के व्यवहार का होता है.” इसलिए हमारा मन निर्मल हो, हमारा वचन दंशमुक्त हो, हमारे वचन से किसी को पीड़ा न हो. हम सबका व्यवहार सभी लोगों को अपना मित्र बनाने वाला होगा, तब समाज में समता का भाव विकसित होगा.यदि हम लोग आपसी प्रेम से रहेंगे तो धीरे धीरे सब समझने लगे जाएंगे और समाज का विकास शुरू हो जायेगा नवरत्न मंडुसिया ने कहा कि अपने परिवार में ऐसा वातावरण बनाएं, जिससे सामजिक समरसता को बल मिले. हमारे देश के सभी पंथ-संप्रदायों ने, तथा समाज सुधारकों और संतों ने मनुष्यों के बीच भेदभाव का समर्थन नहीं किया है. समानता प्रत्येक पंथ की उत्पत्ति का मूल तत्व रही है, लेकिन बाद में समाज को जातियों या संप्रदायों में विभाजित कर दिया गया. भेदभाव लोगों के व्यवहार से भी पैदा होने लगा. उन्होंने भेदभाव खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया और उन परंपराओं को खारिज किया जो अनावश्यक हैं. उन्होंने कहा कि परम्परा के नाम पर इस भेदभाव को आगे और जारी रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन लोगों की भावनाओं को समझा जाना चाहिए जो हजारों वर्षों से पीड़ित रहे हैं. समाज के कई तबकों ने भेदभाव और अन्याय को लंबे समय तक सहा है. कि अब हमें भी कुछ वर्षों तक समझना और सहन करना सीखना चाहिए और अपने स्वयं के व्यवहार से वांछित बदलाव लाना चाहिए. रूढ़ी-परम्पराओं को आधुनिक वैज्ञानिक मानकों पर परखा जाना चाहिए और जो परीक्षण में विफल साबित हों, उन्हें खारिज कर दिया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से ये रूढ़ी-परम्पराएं हजारों वर्षों से नहीं परखी गईं और इनका आंख मूंदकर पालन किया जा रहा है. परंपरागत कर्मकांड तो चलते आ रहा है, किन्तु जीवन मूल्यों की अनदेखी की गई. अपने व्यवहार में जब तक ये मूल्य प्रकट नहीं होंगे, तब तक समता का दर्शन समाज में नहीं हो सकता. हमें अपने जीवन में मूल्यों को मन, मस्तिष्क और व्यवहार में आचरणीय बनाना होगा. संबोधन के दौरान नवरत्न मंडुसिया ने स्वामी विवेकानन्द, रानी लक्ष्मी बाई झरकारी बाई व  डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर, पू. बालासाहेब देवरस तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का उल्लेख किया.ओर कहा है कि हमे इनके विचारों पर चलना चाहिए तभी समाज का विकास हो सकता है आये दिन हो रही जातिवादी रैलिया भी समाज के लिए आतंकवाद से भी सबसे बड़ा खतरा है इसलिए हमें जातिवादी रैलियों में पर भी ध्यान देना चाहिए कि हमे रैली करनी है या नही समाज की खातिर जो लोग आगे बढ़ रहे ह हमे उसे आगे बढ़ने के मनोबल बढ़ाना चाहिए :- नवरत्न मंडुसिया सुरेरा 

Saturday 17 March 2018

हम किसी धर्म की आलोचना नही कर सकते :- नवरत्न मंडुसिया

नवरत्न मंडुसिया की कलम से ||आजतक मेने किसी धर्म की आलोचना नही की
यदि कभी किसी धर्म जाति विशेष की मेने कोई आलोचना की है तो वो साबित करे में किसी धर्म को गलत नही ठहरा सकता हु क्यो की सबसे पहले खुद में यही देखना चाहिए कि में कितना सही हु कितना गलत हु क्यो की मुझे किसी धर्म की आलोचना करने का कोई अधिकार नही है जो लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते है वो राजनीति केवल राजनीति है | इसलिए हम इन लोगो से दूर रहते हुवे केवल काम से काम रखना चाहिए और छोटे बड़ो को समान करना चाहिए  चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्यो की हम लोग यदि किसी का समान करेंगे तो वो हमारा समान करेगा और हमे किसी के बहकावे में नही आना चाहिए केवल आपसी प्रेम भाव ही रखना चाहिए ताकि हम लोग प्रेमभाव से राह सके आजकल के जमाने मे सब लोग चर्चो में आने का शोक रखते है और हर कोई नेता बनना चाहता हैबलेकिं वह यह नही सोचता की हमारी एक गलती से किसी का परिवार उजड़ सकता है इसलिए हमें खुद को कठोर तरीके से हमे आने वाली विपरीत परिस्थिति को मात देनी है और हमे आगे बढ़ना है:- नवरत्न मंडुसिया की कलम से

Friday 16 March 2018

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत आपसी प्रेम भाईचारा :- नवरत्न मंडुसिया

लोग कहते है
 भाजपा भगाओ कोंग्रेस भगाओ बसपा भगाओ सपा भगाओ
ओर देश बचाओ सब लोग एक दूसरे की टांग खीचने में लगे रहते है | देश केवल भारत देश के सैनिक ही बचा सकते है जो कि दिन रात फौजी लोग सो नही पाते  खा नही पाते है कड़कती सर्दी धूप में 24 घण्टे देश की सेवा करते है उन फौजियों को कोई पूछता तक नही क्यो देश मे अराजकता फैला रहे हो क्यो देश को बदनाम कर रहे हो क्यो देश मे अशांति फैला रहे हो मुझे तो बहुत दुख होता है ! जब भारत देश खुद ही अपने पैर पर खुलाड़ी मारता है दोस्तों में नवरत्न मंडुसिया एक बार फिर आपसे आग्रह करता हु अभी भी हमारे पास समय है सुधर जावो नही तो एक दिन वापिश आयेगा हमारे पड़ोसी मुल्क देश इस भारत देश को गुलाम बना देगा और वापिश साम्राज्य स्थापित कर लेगा और हम लोग वापिश गुलाम बन जाएंगे क्या हाथ आता हमे एक दूसरे में नफरत फैलाने में एक दूसरे को गलत नज़र से देखने मे दोस्तो ये सब हमारे लिए आतंकवाद से भी बढ़कर है इसलिए आपसी प्रेम भाव बनाये आपके ओर मेरे कहने से देश नही बचेगा यदि हम गन्दी राजनीति  को छोड़कर कर बात कहेंगे तब अच्छा लगेगा क्यो सारे दिन बकवास करते रहते हो इन चक्रों से केवल देश टूट ही सकता है जुड़ नही सकता रही बात नेताओ की तो ये नेता लोग सब चोर चोर मोसेरे भाई है सब एक है इसलिए आपसी प्रेमभाव रखे ताकि भारत देश टूटने से बच सके सारे दिन अपनी अपनी जातियों के नाम से राजनीतिक रोटियां सेक रहे है लेकिन उनको यह भी पता होना चाहिए कि इन सबसे हम सबको नुकसान है इसलिए अब एक कदम भाईचारे की ओर बढ़ाये ताकि हम सब यहां सम्मान रूप से रह सके ओर भारत देश को प्रबल बना सके कठोर बना सके ओर हम लोगो से पार्टियों के नाम लेकर क्या साबित कर सकते कोई हमे नही लूट सकता यदि हम सही रहे

Saturday 17 February 2018

पति -पत्नी के बीच ये 5 बातें होना बहुत जरूरी :- नवरत्न मंडुसिया

नवरत्न मंडुसिया !! पति-पत्नी के रिश्ते में कभी प्यार तो कभी लड़ाई झगड़ा होना स्वभाविक सी बात है।आमतौर पर हर बीवी अपने पति से यही बात बार-बार दोहराती हैं कि आपके पास मेरे लिए वक्त नही है। लाइफ इतनी बिजी हो गई है कि आप परिवार के साथ ज़िन्दगी का मज़ा ही नही ले पा रहे
 लेकिन कई बार यह दूरियां इतनी बढ़ जाती है कि रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है।अगर आप भी कुछ ऐसे ही स्थिति से गुजर रहे हैं तो इन बातों की ओर ध्यान देंः-
 1.गलतियों को करें नज़र अंदाज
 आपका अपने पार्टनर पर कुछ ज्यादा ही उम्मीदें करना भी गलत होता है। इस बात को हमेशा याद रखें कि दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं होता।उनकी छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करें ताकि झगड़े की नौबत ही न आएं।
 2.जल्दबाजी में न करें फैसले 
 आपके और पार्टनर के बीच में अगर किसी बात को लेकर सहमति नहीं बनती तो इसका मतलब यह नहीं कि जल्द ही कोई फैसला ले लिया जाए। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप दोनों साथ में समय बिताएं और बैठकर समस्या का समाधान निकालें।
 3. कॉम्प्रोमाइज 
 पति-पत्नी के बीच अक्सर ऐसा होता है कि एक-दूसरें की बात को स्वीकार नहीं करते लेकिन अगर आपको लगता है कि आप हमेशा  सही होते हैं तो सबसे पहले आपको खुद को बदलने की जरूरत है। कॉम्प्रोमाइज करना बुरी बात नहीं है। 
 4. मत रखें ईगो कई बार मेल ईगो की वजह से भी रिश्तों में खटास आ जाती है। अगर पति में बहुत ज्यादा ईगो है तो पत्नी को चाहिए कि वह थोड़ा शांत रहे और परिस्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश करे। 5. एक साथ वक्त बिताएं अगर आप चाहते हैं कि आपका रिश्ता कामयाब रहे तो ये बहुत जरूरी है कि आप दोनों साथ में वक्त बिताएं। इस तरह कई समस्याएं अपने आप ही सुलझ जाती हैं। तथा सामान्य जिंदगी के बाद यानी शादी की लाइफ के बारे में नवरत्न मंडुसिया लेके आ रहे है ओरिजनल मैरिज लाइफ स्टोरी

Friday 9 February 2018

वीर तेजाजी महाराज का जीवन परिचय

नवरत्न मंडुसिया की ओर से जय तेजाजी री
तेजाजी राजस्थानमध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे।
तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं।
लोक देवता तेजाजी का जन्म तेजाजी का जन्म एक जाट घराने में हुआ जो धोलिया वंशी थे। नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे। यह कथा है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ ही समय बाद उनके पिता और पेमल के मामा में कहासुनी हो गयी और तलवार चल गई जिसमें पेमल के मामा की मौत हो गई। इस कारण उनके विवाह की बात को उन्हें बताया नहीं गया था। एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी 'लीलण' पर सवार होकर अपनी ससुराल पनेर गए। रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई। नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भेंट उसकी सहेली लाछा गूजरी के यहाँ हुई। उसी रात लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए। लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध हो कर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गाएं छुड़ाई। इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए। वापस आने पर वचन की पालना में साँप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण जीभ पर साँप से कटवाया। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 हो गई तथा पेमल ने भी उनके साथ जान दे दी। उस साँप ने उनकी वचनबद्धता से प्रसन्न हो कर उन्हें वरदान दिया। इसी वरदान के कारण तेजाजी भी साँपों के देवता के रूप में पूज्य हुए। गाँव गाँव में तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है। इन देवरो में साँप के काटने पर जहर चूस कर निकाला जाता है तथा तेजाजी की तांत बाँधी जाती है। तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है। तेजाजी का जन्म धौलिया गौत्र के जाट परिवार में हुआ। धैालिया शासकों की वंशावली इस प्रकार है:- 1.महारावल 2.भौमसेन 3.पीलपंजर 4.सारंगदेव 5.शक्तिपाल 6.रायपाल 7.धवलपाल 8.नयनपाल 9.घर्षणपाल 10.तक्कपाल 11.मूलसेन 12.रतनसेन 13.शुण्डल 14.कुण्डल 15.पिप्पल 16.उदयराज 17.नरपाल 18.कामराज 19.बोहितराव 20.ताहड़देव 21.तेजाजी
तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी का जन्म खड़नाल के धौल्या गौत्र के जाट कुलपति ताहड़देव के घर में चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ सत्रह सौ तीस को हुआ। तेजाजी के जन्म के बारे में मत है-
जाट वीर धौलिया वंश गांव खरनाल के मांय।
आज दिन सुभस भंसे बस्ती फूलां छाय।।
शुभ दिन चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ पहचान।
सहस्र एक सौ तीस में प्रकटे अवतारी ज्ञान।।

Thursday 8 February 2018

जातिवादी रैलियों से समाज को खतरा :- नवरत्न मंडुसिया


आये दिन हो रही जातीवादी रैलियों का विरोध करता हु दोस्तों आजाद भारत मे आजादी से रहना है दुनिया का सबसे बड़ा प्रेम भाव और आपसी एकता होगी यदि आये दिन हम जातिवादी रैलिया करेंगे तो आने वाले दिनों में हर तरफ नफरत पैदा हो जायेगी और आपसी मतभेदों में फूट पड़ जायेगी। और इसका फायदा केवल पड़ोसी मुल्को को होगी दुनिया मे रहना है तो केवल भाईचारे से ही रहना होगा नही तो हमारे समाज मे इतनी नफरत फेल जाएगी कि कोई भी समाज एक दूसरे समाज पर विश्वास नही करेगा यदि हम लोग ये जातिवादी रैलियों निकाल कर हम आने वाली पीढ़ियों को भी जुर्म के रास्ते पर ला रहे है क्यो की हम अपराध करेंगे तो आनी वाली पीढ़ी भी अपराध करेगी इसलिए अभी भी हर समाज के पास मौका है कि जातिवादी रैलियों को समाप्त कर भाईचारे की ओर बढ़े और समाज का कल्याण कर सके में नवरत्न मंडुसिया जातिवादी रैलियों की घोर निंदा करता हु विरोध करता हु क्यो की मेरे हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है तो वो है केवल भाईचारा इसलिए हमें जातिवादी रैलियों को समाप्त करके आपसी प्रेमभाव को आगे लाये ताकि समाज टूटने की बजाय समाज आगे बढ़ सके में हर समाज के युवाओ को कहना चाहता हु हमे सयम रखते हुवे आपसी प्रेम भाव से रहे हो जातिवादी रैलियों को बहिष्कृत करे  मेरा मानना है मेरा  सोचना है कि ऐसी रैलियों में दूसरी जातियों के खिलाफ नफरत फैलायी जाती है। जिससे समाज में टूटन पैदा होती है। नवरत्न मंडुसिया का मानना है कि  हमे केवल भाईचारे की भांति ही रहना चाहिए और इस हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आदि का नाम भूलकर केवल भाईचारे में ही विश्वास रखना चाहिये ! इसमे कोई दो राय नहीं कि जाति के बिना भारतीय राजनीति और समाज दोनों की ही कल्पना नहीं की जा सकती। चुनावों में जातियों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन होता है। चुनाव जीतने के लिये जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर रणनीति बनायी जाती है। एक जाति का वोट लेने के लेने के दूसरी जातियों के खिलाफ नफरत का बीज बोया जाता है। राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर जाति विशेष के नेताओं को आगे बढ़ाया जाता है। इसलिये मेरा  फैसला क्रांतिकारी लग सकता है। खासतौर से आज के परिपेक्ष्य में जब कि भारत में एक नया शहरी मध्यवर्ग खड़ा हो रहा है और देश में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जोर पकड़ रही है। पर लोग ये भूल जाते हैं कि जाति इस देश की सचाई है। इस जातिवाद की वजह से ही कभी बराबरी नहीं रही। भारत आदिकाल से 'गैरबराबरी समाज' रहा है। जहां किसी भी शख्स की समाज में हैसियत उसकी जाति से ही आंकी और तय की जाती रही है।  बावजूद उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। उनको व्याहारिक जीवन में हेय दृष्टि से ही देखा जाता है। हालांकि अब इसमें कमी आ रही है लेकिन संवैधानिक बराबरी आज भी अधूरी है। शुरुआत में तो पिछड़ी जातियों को सत्ता में भागीदारी के नाम पर उनका सिर्फ शोषण किया गया। उनको सजावट की वस्तु बना दिया गया। आजादी के पहले और बाद में दलितों के लिये बाबा साहेब आंबेडकर ने लड़ाई लड़ी। आंबेडकर ने रिपब्लिकन पार्टी बनायी। पर दलित चेतना में निर्णायक उभार नहीं पैदा कर पाये और हारकर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा। मेरा मानना साफ है कि सामाजिक स्तर पर जातिवाद भले ही किसी अभिशाप से कम न हो लेकिन 'राजनीतिक-जातिवाद' ने समाज में बराबरी लाने का ऐतिहासिक काम किया है। बिना उसके पिछड़ी जातियों को न तो सत्ता में भागीदारी मिलती और न ही सत्ता में आने की वजह से मिलता सामाजिक सम्मान। इसलिये अदालत का फैसला अपनी जगह, सामाजिक सचाई अपनी जगह। इसलिये हमे हमे जातिवादी रैलियों को बहिष्कृत करके एक सभ्य समाज मे नई क्रांति लाना है
                                                                                                         नवरत्न मंडुसिया (लेखक )

Tuesday 23 January 2018

क्योकि सोचना जरूरी है कि हम जा कंहा रहे है:- बल्लू राम मावलिया अभयपुरा

युवा कवि युवा लेखक समाज सेवी जाट समाज के लाडले बल्लू राम मावलिया अभयपुरा की कलम से
मंडुसिया न्यूज़ ब्लॉग ज्ञान कि परिभाषा बदल गई है, लोगों कि सोचने और समझने कि क्षमता मे काफी गिरावट हो रही हैं ।हम सफल हो रहे हैं, अपने विचार और आदर्श को खो कर, अपने आप को बेचकर खूब उन्नति कर रहे हैं । कुछ खो रहे हैं,  महसूस भी हो रहा हैं, मगर इतना वक्त नही है थोड़ा ठहर कर सोचने का। एक अंधी दौर जीवन मे चल रहा है, जिसका मकसद और मंजिल कुछ नही हैं। मंजिल है तो सिर्फ धन और दौलत । विवेकशीलता मानव के अन्दर से खो गया है। हम लोग अपना-अपना विवेक खो कर भी विवेकानन्द कि बात करते है जिन्होंने अपने विवेक से दुनिया को आनन्दित किया था।आज हम लोगों की कथनी और करनी मे इतना फर्क हो गया है कि हर बात, हर सोच, हर विकास इत्यादि को पैसे कि तराजू पर तौलते हैं, माना कि मानव का जीवन पैसे के बिना नही चल सकता है, मगर पैसा साधन हो सकता है, साध्य नही हो सकता है। जितने भी सफल व्यक्ति हैं उनके जीवन मे जितनी व्यक्तिगत घुटन और समस्या है उतनी समस्या एक साधारण व्यक्ति के जीवन मे नही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर महसूस करता हूँ कि एक आम आदमी दुनिया कि निगाहों मे जो व्यक्ति सफल है  उससे अधिक सफल होता है। विकास एक नजरिया हैं, सफलता और असफलता का कोई निश्चित पैमाना नही होता है। असली मे जो अपना परिवार चला सकता हैं, अच्छे और बुरे मे फर्क कर सकता है, अपने से जुड़े लोगों का आदर और सम्मान कर सकता है, ओर करवा सकता है। वही ज्ञानी और सफल मानव है।
Save the family and save the nature
बल्लूराम मावलिया अभयपुरा

सुरेरा में ईद का त्यौहार मनाया गया

सुरेरा में ईद त्यौहार पर युवाओं में उत्साह सुरेरा: ||नवरत्न मंडूसीया की कलम से|| राजस्थान शांति और सौहार्द और प्यार और प्रेम और सामाजिक समरस...